पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर भारतीय के लिए अहम हैं, क्योंकि ये न केवल हमारी गाड़ियों को चलाते हैं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी की लागत को भी प्रभावित करते हैं। 24 अप्रैल 2025 को तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की ताजा कीमतें जारी की हैं। दिल्ली से मुंबई और चेन्नई से कोलकाता तक, हर शहर में ये दाम अलग-अलग हैं। आइए, इस लेख में हम इन कीमतों, उनके पीछे के कारणों और आपके बजट पर पड़ने वाले असर को समझते हैं।
पेट्रोल-डीजल की ताजा कीमतें: आपके शहर का हाल
देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोजाना सुबह 6 बजे संशोधित होती हैं, और यह प्रक्रिया जून 2017 से चली आ रही है, जिसे डायनामिक फ्यूल प्राइसिंग कहते हैं। दिल्ली में आज पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। मुंबई में पेट्रोल 103.50 रुपये और डीजल 90.03 रुपये प्रति लीटर है। चेन्नई में पेट्रोल 100.80 रुपये और डीजल 92.39 रुपये प्रति लीटर है। कोलकाता में पेट्रोल 105.01 रुपये और डीजल 91.82 रुपये प्रति लीटर है। हैदराबाद में पेट्रोल की कीमत 107.46 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है, जो देश में सबसे ज्यादा है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में डीजल 81.85 रुपये प्रति लीटर के साथ सबसे सस्ता है। ये अंतर राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और परिवहन लागत के कारण हैं।
कीमतें तय करने के पीछे का गणित
पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं। सबसे बड़ा कारक है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत। भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 80% आयात करता है, इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर पंप पर दिखता है। हाल ही में, कच्चा तेल 2.83% बढ़कर 5,988 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जिसका कारण अमेरिका में ईंधन की मांग और भंडार में कमी है। इसके अलावा, रुपये और डॉलर का विनिमय दर भी कीमतों को प्रभावित करता है। कमजोर रुपया आयात को महंगा बनाता है। केंद्र सरकार द्वारा लगने वाली एक्साइज ड्यूटी (वर्तमान में 21 रुपये प्रति लीटर) और राज्यों द्वारा लगने वाला VAT भी कीमतों को दोगुना कर देता है। डीलर कमीशन और परिवहन लागत भी इसमें शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली में VAT ज्यादा होने से कीमतें अन्य शहरों की तुलना में अधिक हैं।
क्यों है डीजल सस्ता?
भारत में डीजल हमेशा पेट्रोल से सस्ता रहा है, और इसके पीछे कर संरचना और नीतिगत कारण हैं। डीजल का उपयोग किसानों, ट्रक और बस ऑपरेटरों द्वारा बड़े पैमाने पर होता है, इसलिए सरकार इसे सस्ता रखने की कोशिश करती है। डीजल पर VAT और अन्य कर पेट्रोल की तुलना में कम हैं। हालांकि, वैश्विक स्तर पर डीजल का उत्पादन लागत पेट्रोल से ज्यादा है, लेकिन भारत में नीतियों के कारण यह उपभोक्ताओं के लिए सस्ता पड़ता है। यह नीति न केवल परिवहन लागत को कम करती है, बल्कि महंगाई पर भी नियंत्रण रखने में मदद करती है, क्योंकि डीजल की कीमतों का असर सामानों की ढुलाई और बाजार की कीमतों पर पड़ता है।
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