रांची, 12 मई .
डीएवी पब्लिक स्कूल, झारखंड जोन-बी और जे से संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों के लिए तीन-दिवसीय शिक्षक संवर्धन कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को हुआ. कार्यशाला रांची स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल हेहल, डीएवी कपिलदेव और डीएवी गांधीनगर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है.
कार्यशाला में ईईडीडी, हिंदी,संस्कृत, अंग्रेजी,गणित,विज्ञान, वाणिज्य,सामाजिक विज्ञान,कम्प्यूटर साइंस,पीएचई,संगीत सहित अन्य विषयों में शिक्षण की प्रक्रिया में आनेवाले ग्रे एरिया (काठिन्य क्षेत्र) पर विषय विशेषज्ञों ने व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए. इसमें डीएवी विद्यालयों के लगभग 300 शिक्षक-शिक्षिकाएं ज्ञान का संवर्धन कर रहे हैं.
नूतन विचारों व प्रयोगों की जरूरत
इस अवसर पर एमके सिन्हा, प्राचार्य-सह-प्रशिक्षण समन्वयक, डीएवी कपिलदेव, ने कहा कि समय के साथ शिक्षक की भूमिका में न केवल परिवर्तन आया है,बल्कि जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं. इसलिए शिक्षक को निरंतर सीखते रहने की जरूरत है. इस प्रकार की कार्यशालाएं हमें शिक्षण की नवीनतम पद्धतियों और विद्यार्थियों की जरूरतों के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम बनाती हैं.
विपिन राय, प्राचार्य-सह-प्रशिक्षण समन्वयक, डीएवी हेहल ने कहा कि शिक्षक एक दिशा-संकेतक होता है, जो विद्यार्थियों के जीवन को उजाले की ओर ले जाता है. यह कार्यशाला शिक्षकों को न केवल एकेडमिक रूप से समृद्ध बनाएगी, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी नई ऊर्जा देगी. शिक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें नित नूतन विचारों व प्रयोगों की आवश्यकता होती है.
ऐसे आयोजनों से यह परिपक्वता आती है.
एसके मिश्रा, प्राचार्य, डीएवी बरियातू ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र की नींव होते हैं. उन्हें अद्यतन जानकारी और प्रासंगिक शिक्षण पद्धतियों से लैस करना आवश्यक है.
यह कार्यशाला शिक्षकों को ज्ञान, मूल्य और दृष्टिकोण–इन तीनों स्तरों पर समृद्ध करेगी. शिक्षकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करें.
कार्यशाला में प्रदीप कुमार झा (प्राचार्य, डीएवी, गांधीनगर), तापस घोष (डीएवी, पुंदाग), किरण यादव (डीएवी, नीरजा सहाय), कमलेश कुमार (प्राचार्य, डीएवी, खलारी), एसके पाठक (प्राचार्य, डीएवी, टीसीआई, गोविंदपुर) सहित अन्य विद्यालयों के प्राचार्य सहित अन्य वरीय शिक्षकों की भागीदारी रही.
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/ Vinod Pathak
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