जौनपुर,06 जुलाई (Udaipur Kiran) । दसवीं मोहर्रम के मौके पर रविवार को ख़ेतासराय कस्बे में यौम-ए-आशूरा का जुलूस अकीदत और गमगीन माहौल में निकाला गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच डेढ़ दर्जन ताजिये कस्बे के अलग-अलग चौक से होते हुए देर शाम कर्बला पहुंचे, जहां उन्हें दफ़न किया गया।
दोपहर से ही ताजियेदार तबल और मातमी धुन बजाते हुए जुलूस में शामिल होते रहे। फातिमान गेट पर सभी ताजिये एकत्र हुए। यहां फातिहा पढ़ी गई। इसके बाद जुलूस कर्बला के लिए रवाना हुआ। जुलूस में अखाड़ा रौनक-ए-इस्लाम सालारगंज के फनकारों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। उनके करतब लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे। इस दौरान डीजे पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत की मातमी धुनें बजती रहीं, जिससे माहौल गमगीन हो गया।
सौ साल पुरानी परंपरा निभाते फनकारसालारगंज का अखाड़ा रौनक-ए-इस्लाम करीब 100 साल पुराना बताया जाता है। अखाड़े के उस्ताद अब्दुल अहद खान तीसरी पीढ़ी से इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके दौर में मजीद उस्ताद के समय से ही अखाड़ा अपनी अद्भुत फनकारी के लिए मशहूर रहा है। अखाड़े में मोहम्मद वालीम, मो. अबू लैस, मो. सोहेल, मो. आलिम, मो. मुहेल, शरफुद्दीन और मो. सचिन समेत कई फनकार शामिल रहे, जिन्होंने तलवारबाजी और लाठी के करतब पेश किए।कस्बे की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। जुलूस मार्ग पर जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। एलआईयू की टीम भी मॉनीटरिंग करती रही। जुलूस के दौरान शाहगंज के क्षेत्राधिकारी, नायब तहसीलदार और थानाध्यक्ष मौके पर मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
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