नई दिल्ली, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । घर-घर कचरा संग्रह करने के लिए डीजल वाहनों की जगह पर इलेक्ट्रिक वाहनों को लाने से अमृतसर जैसे शहरों और उनके नगर निगमों के ईंधन खर्च में 60-70 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और डीजल वाहनों की तुलना में कार्बन उत्सर्जन 64 प्रतिशत तक घट सकता है। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडबल्यूू) के एक अध्ययन से सामने आयी है।
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि अमृतसर और अन्य भारतीय शहरों में कचरा संग्रह के लिए इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर वाहन डीजल या सीएनजी से चलते हैं। इस तरह के लगभग 200 डीजल वाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन करने से नगर निगम को सालाना 50-70 लाख रुपये से ज्यादा बचत हो सकती है और 16,000 किलोग्राम पीएम2.5 उत्सर्जन कम किया जा सकता है। पंजाब अकेला ऐसा राज्य है, जिसने अपनी ईवी पॉलिसी में लक्षित प्रोत्साहनों के माध्यम से अपने वेस्ट कलेक्शन फ्लीट (कचरा संग्रह बेड़े) के इलेक्ट्रिफिकेशन को प्राथमिकता दी है, इसलिए इसके शुरुआती लाभ को राज्यव्यापी अभियान में बदलने का यह उचित समय है। अमृतसर की कुल 14 लाख आबादी है और यह रोजाना 425 टन से अधिक कचरा पैदा करता है। आर्थिक और जलवायु के संयुक्त लाभों के साथ, यह विश्लेषण संपूर्ण पंजाब के अन्य शहरी स्थानीय निकायों- जिनमें लुधियाना, जालंधर, बठिंडा और पटियाला शामिल हैं- और कम उत्सर्जन वाली शहरी सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की योजना की भी जानकारी देता है। इसमें अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक एक लाख से अधिक आबादी वाले भारतीय शहरों में 80,000 से अधिक घर-घर कचरा संग्रह करने वाले वाहनों की जरूरत होगी। इसके लिए इस अध्ययन में इलेक्ट्रिफिकेशन के विभिन्न परिदृश्यों को भी विकसित किया गया है।
सीईईडब्ल्यू के सीनियर प्रोग्राम लीडर डॉ. हिमानी जैन ने कहा कि शहरी स्वच्छता में सुधार लाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के साथ वेस्ट कलेक्शन को क्लीन मोबिलिटी से जोड़ने का एक स्पष्ट अवसर मौजूद है। डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है, क्योंकि इसके मार्ग निश्चित हैं, प्रक्रिया नियमित है और अधिकांश शहरी स्थानीय निकायों के पास पार्किंग उपलब्ध है। हमारे अध्ययन में पाया गया है कि शुरुआती लागत ज्यादा होने के बावजूद ईवी की लाइफ-टाइम सेविंग में काफी बचत देते हैं, खासकर जब कचरा संग्रह का प्रति टन के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। यह अध्ययन इस परिवर्तन को एक शहर से आगे बढ़ाकर राष्ट्रव्यापी प्रयास बनाने के लिए जरूरी आंकड़े और उपाय उपलब्ध कराता है।
अभी अमृतसर में वेस्ट कलेक्शन करने वाले वाहन प्रति वर्ष 3.6 लाख लीटर से अधिक डीजल की खपत करते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं हवा की गुणवत्ता खराब करता है और शहर का कार्बन फुटप्रिंट भी बढ़ाता है।
————
(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
You may also like
शख्स ˏ ने बैंक में फोन कर कहा- मैं एयरपोर्ट बना रहा हूं, फटाफट लोन दो. जब खाते में आए 1 अरब रुपये तो उड़ गए सबके होश
चाची ˏ ने भतीजे संग किया ऐसा कांड, लोग बोले- अपने बच्चों को कभी इस घर में नहीं भेजेंगे
पूजा ˏ घर से आज ही हटा लें ये चीजें, वरना हो जाएंगे कंगाल, छीन जाएगी सुख-शांति भी घर की
सीने ˏ में जमा बलगम हो या गले की कफ बस 1 गांठ से पाएं तुरंत राहत, ऐसा असर की दवाइयाँ भी फेल हो जाएं
रात ˏ को भैंस चिल्लाई, गांव वाले सहम गए… सुबह जो सच्चाई सामने आई उसने पूरे गांव को हिला कर रख दिया