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Karva Chauth Karwa Puja: करवा चौथ में कितने करवा लगते हैं, इसका क्या करना चाहिए और महत्व

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Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत मिट्टी के करवे के बिना पूरा नहीं होता है। इस व्रत का धार्मिक महत्व बहुत है। सनातन धर्म में मिट्टी को सबसे शुद्ध तत्व में से एक माना जाता है, इसलिए पूजा में मिट्टी के करवे और मिट्टी के दिए का प्रयोग किया जाता है। करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से आपके पति को उत्तम सेहत की प्राप्ति भी होती है। करवा चौथ की पूजा में चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल किया जाता है। करवे में बहुत कुछ भरा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं करवा चौथ में कितने करवे का प्रयोग होता है और करवे में क्या भरा जाता है।




करवा चौथ की थाली में कितने करवे रखें (Karwa Chauth Karwa)
करवा चौथ की थाली में मिट्टी के करवे रखे जाते हैं। इस दिन पूजा की थाली में अलग- अलग जगह पर अपनी परंपराओं के अनुसार करवे रखें जाते हैं। कुछ लोग पूजा की थाली में दो करवे रखते हैं। जिसमें एक करवे में अनाज भरे जाते हैं और दूसरे में गंगाजल युक्त भर के रखा जाता है। इसके साथ ही कहीं पर लोग चार करवे रखते हैं। जिसमें एक करवा सुहागिन और तीसरा माता करवा के लिए रखा जाता है। इस पूजा में करवे के जल से ही चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।




करवा चौथ के करवे में क्या भरना चाहिए
करवा चौथ के करवे में बहुत कुछ भरा जाता है। इस करवे में इसमें मुख्य रूप से गेहूं भरा जाता। इसके साथ ही इसमें चीनी, दूध और गंगाजल भरकर रखें। करवा में ये सब भरना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप करवे में अक्षत और चांदी का सिक्का भी रख सकते हैं। करवे में आप खील भरकर रख सकते हैं। चंद्रमा की पूजा के लिए खील रखना शुभ होता है।



मिट्टी के करवे का महत्व (Karwa Importance)
हिंदू धर्म में मिट्टी को बहुत ही शुद्ध माना गया है। करवा चौथ के व्रत में मिट्टी के करवे को मां देवी का प्रतीक मानकर सुहागिन स्त्रियां पूजा- अर्चना करती हैं। जब माता सीता और माता द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया था। उस समय भी पूजा के लिए मिट्टी के करवे का ही प्रयोग किया था।

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