राज्य विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने पटना के बहादुरपुर थाने में तैनात ट्रेनी पुलिस अवर निरीक्षक अजय कुमार को ₹7000 रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के पीछे शिकायत दर्ज करने वाले विक्रम ज्योति का अहम योगदान रहा, जिन्होंने एसवीयू को जानकारी दी कि अजय कुमार एक मामले में उनका नाम शामिल न करने के एवज में पैसा मांग रहे थे।
एसवीयू के अधिकारियों ने बताया कि शिकायत की पुष्टि के बाद धावा दल गठित किया गया और जांच के दौरान आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा गया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर कड़ी निगरानी और रोकथाम के लिए उठाया गया कदम है। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और मामले की गहन जांच जारी है।
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि अजय कुमार एक मामले में नाम शामिल न करने के लिए रुपये की मांग कर रहे थे। विक्रम ज्योति ने शिकायत करते हुए कहा कि यदि एसवीयू समय पर कार्रवाई न करती, तो उनके साथ अन्याय हो सकता था। उन्होंने पुलिस और एसवीयू की तत्परता की सराहना की।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की कार्रवाई समाज और जनता के लिए सकारात्मक संदेश देती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी जैसे मामलों में सख्त कदम उठाना कानून व्यवस्था को मजबूत करता है और जनता का पुलिस और प्रशासन पर विश्वास बढ़ाता है।
एसवीयू अधिकारियों ने कहा कि यह मामला राज्य में भ्रष्टाचार पर कड़ी निगरानी और प्रभावी कार्रवाई का उदाहरण है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी स्तर पर रिश्वत मांगने या लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसी घटनाओं की जानकारी दें ताकि दोषियों को समय पर पकड़ा जा सके।
पुलिस की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश गया कि कानून व्यवस्था बनाए रखना और भ्रष्टाचार को समाप्त करना राज्य सरकार और एसवीयू की प्राथमिकता है। अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान सभी कानूनी पहलुओं का ध्यान रखा गया और आरोपी के खिलाफ सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों ने भी एसवीयू की इस तत्पर कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई से पुलिस में अनुशासन और जनता में विश्वास बढ़ता है। उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में भी ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकार, पटना में बहादुरपुर थाने के ट्रेनी पुलिस अवर निरीक्षक अजय कुमार को ₹7000 रिश्वत लेते गिरफ्तार करना न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का कदम है, बल्कि यह जनता को यह संदेश भी देता है कि किसी भी स्तर पर रिश्वतखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एसवीयू की सक्रियता और शिकायतकर्ता की सतर्कता ने समय पर न्याय सुनिश्चित किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया।
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