देश में प्रेम-प्रसंग और रिश्तों की जटिलताएं अब अपराध के भयावह रूप में सामने आने लगी हैं। दिल्ली का श्रद्धा-आफ्ताब फ्रिज कांड, फिर ड्रम में शव वाला मामला, और अब मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले से एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक नाबालिग पत्नी ने अपने प्रेमी और उसके दोस्तों के साथ मिलकर अपने पति की बेरहमी से हत्या कर दी। यह मामला सिर्फ एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि उस गिरते सामाजिक तानेबाने का प्रतिबिंब है, जिसमें रिश्ते छल, धोखा और खून के रिश्तों की कीमत पर खड़े हो रहे हैं।
हत्या से पहले रची गई पूरी साजिशबुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र कुमार पाटीदार ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि घटना 13 अप्रैल 2025 की है, जब एक युवक का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। प्रारंभिक जांच में पुलिस को कोई स्पष्ट सुराग नहीं मिला, लेकिन लगातार साक्ष्य इकट्ठे करने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मृतक अपनी पत्नी के साथ खरीदारी के बहाने बुरहानपुर शहर आया था। रास्ते में दोनों ने होटल में खाना भी खाया, लेकिन यह सारी योजना पहले से तय थी।
पुलिया पर रुकवाई बाइक, फिर हुआ जानलेवा हमलाघटना स्थल सुल्तान क्षेत्र की मोना नदी की पुलिया पर पहुंचने के बाद पत्नी ने जानबूझकर अपनी चप्पल फेंक दी, ताकि पति बाइक रोके। जैसे ही पति ने बाइक रोकी, वहां प्रेमी और उसका साथी पहले से छिपे बैठे थे। वे सामने आए और बहस शुरू हुई। झगड़े के दौरान पत्नी ने कांच की बोतल से पति के सिर पर वार किया, और फिर प्रेमी व उसके दोस्तों ने धारदार हथियारों से उस पर हमला कर दिया। घटनास्थल पर ही पति की मौत हो गई। इसके बाद सभी आरोपी महाराष्ट्र की ओर फरार हो गए।
दो नाबालिग सहित चार आरोपी गिरफ्तारपुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि इस घटना में दो आरोपी नाबालिग हैं, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता खुद पत्नी है। चारों को गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ जारी है। इस घटना से न केवल बुरहानपुर जिला, बल्कि पूरा प्रदेश सकते में है।
क्यों है यह मामला इतना गंभीर?-
यह पहला मामला है बुरहानपुर जिले का, जिसमें नाबालिग पत्नी ने अपने वयस्क पति की हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।
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हत्या को पूर्व नियोजित योजना के तहत अंजाम दिया गया, जिसमें नकली बहाना, स्थान-चयन, और हथियारों का इस्तेमाल जैसी बातों की पुष्टि होती है।
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इसमें नाबालिग की आपराधिक प्रवृत्ति का सवाल भी उठता है, जो भारतीय किशोर न्याय कानून और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से गंभीर मुद्दा है।
भारतीय कानून के तहत, किसी नाबालिग द्वारा किए गए गंभीर अपराध में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड यह तय करता है कि आरोपी को बच्चा माना जाएगा या वयस्क के रूप में मुकदमा चलेगा। यदि यह प्रमाणित होता है कि नाबालिग ने हत्या की सुनियोजित साजिश रची, तो उस पर वयस्क की तरह केस चलाया जा सकता है।
यह घटना समाज के सामने कई ज्वलंत प्रश्न छोड़ती है —
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आखिर नाबालिग उम्र में ऐसा अपराध करने की मानसिकता क्यों बन रही है?
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क्या सोशल मीडिया, फिल्में और व्यक्तिगत आज़ादी की गलत समझ किशोरों को अपराध की ओर धकेल रही है?
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क्या परिवार और समाज की भूमिका कमजोर हो गई है?
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