आपने कई मंदिर देखे होंगे। दक्षिण भारत के मंदिरों की खूबसूरती पूरी दुनिया को अचंभित करती है, वहीं कई मठ ऐसे भी हैं जो अपनी वास्तुकला से हमें हैरान कर देते हैं। लेकिन आज हम आपको उड़ते हुए संतों के मंदिर (शाओलिन फ्लाइंग मॉन्क्स टेम्पल) के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे देखकर आप हैरान रह जाएँगे। आपको अपनी आँखों पर यकीन नहीं होगा। वैसे, चीन में भी ऐसे कई हैरान कर देने वाले मंदिर हैं।
हम बात कर रहे हैं चीन के हेनान प्रांत में बने शाओलिन फ्लाइंग मॉन्क्स टेम्पल की। संतरे के आकार का दिखने वाला यह मंदिर बौद्ध भिक्षुओं का आश्रय स्थल है। दूर से देखने पर आपको लगेगा कि यह उड़ रहा है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है, इसके पीछे की कहानी और भी दिलचस्प है।
सोंगशान पर्वत पर बना यह मंदिर दरअसल 230 सीटों वाला एक अखाड़ा है, जहाँ शाओलिन भिक्षु हर हफ्ते ध्यान करते हैं। इस जगह को चान बौद्ध धर्म के जन्मस्थान और शाओलिन कुंग फू के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है। आधुनिक मार्शल आर्ट की उत्पत्ति भी यहीं से हुई थी।आप सोच रहे होंगे कि शायद यह मंदिर ध्यान की शक्ति से उड़ता होगा? लेकिन ऐसा नहीं है। इसके नीचे एक विशाल पंखा लगाया गया है, जो मंदिर के भीतरी भाग में छिपा है। इसे पवन सुरंग कहते हैं, जहाँ से हवा निकलती रहती है और यह ऊपर की ओर उड़ती हुई दिखाई देती है।
लातवियाई वास्तुकला स्टूडियो मेलिटिस आर्किटेक्ट्स ने इसे डिज़ाइन किया है और इसे दुनिया में वास्तुकला के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक माना जाता है। लोग यहाँ आते हैं और इसे उड़ता हुआ देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। यह पवन सुरंग न केवल भिक्षुओं के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी खुली है। हर साल हज़ारों लोग इसे देखने आते हैं।इसकी अवधारणा कलात्मक प्रदर्शनों के माध्यम से ज़ेन और कुंग-फू के इतिहास को बताना है। निर्माण पद्धति में आधुनिक और प्राचीन तकनीकों का मिश्रण है। अंदर सभागार के अलावा, इसमें आगंतुकों और कलाकारों के लिए तीन मंजिला आवास की सुविधा भी है।
यह पर्वत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और शाओलिन बौद्ध भिक्षुओं का निवास भी है। पहली शताब्दी ईसा पूर्व में माउंट सोंग इस पहाड़ी पर स्थित था। बाद में इसे पाँच पवित्र चोटियों में से एक घोषित किया गया। पेड़ों से ढकी ढलान पर स्थित यह मंदिर बहुत सुंदर दिखता है।
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