Jyotish :- गुरु नानक देव जी, जो धर्म से विमुख लोगों में अध्यात्म का संचार करते हैं, के कई चमत्कारों की कहानियाँ प्रचलित हैं। आज हम गुरु नानक जयंती के अवसर पर उनके एक विशेष चमत्कार का जिक्र करेंगे, जो उन्होंने उत्तराखंड में किया।
गुरु नानक देव जी और उनके साथी भाई मरदाना ने परमात्मा का संदेश फैलाने के लिए देश-विदेश की यात्रा की। एक बार जब वे पर्वतीय क्षेत्र से मैदानों की ओर बढ़ रहे थे, तो नैनीताल की एक घाटी में कुछ साधु ध्यान में लीन थे।
ये साधु ध्यान में मन लगाने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करते थे, जिससे उनका ध्यान भंग होता था और आपस में झगड़े होते थे। स्थानीय लोग इन्हें चमत्कारी साधु मानते थे, लेकिन साधुओं का व्यवहार आम लोगों के प्रति अच्छा नहीं था।
गुरु नानक देव जी ने देखा कि साधु नशे में हैं और जो खुद होश में नहीं है, वह दूसरों को कैसे मार्गदर्शन दे सकता है। उन्होंने एक पेड़ के नीचे आसन जमाया और भाई मरदाना से आग लाने को कहा।
जब साधुओं ने आग देने से मना कर दिया, तो मरदाना ने पत्थरों से आग जलाई। अचानक बारिश शुरू हो गई, लेकिन गुरु नानक की धूनी जलती रही। बारिश थमने पर साधुओं को आग की आवश्यकता महसूस हुई और वे गुरु नानक के पास आए।
गुरु नानक ने कहा कि अग्नि, पानी और हवा सभी परमात्मा की देन हैं, इसलिए मैं किसी को मना नहीं कर सकता। साधु लज्जित हुए और माफी मांगी। गुरु नानक ने उन्हें नशा छोड़ने और अहंकार त्यागने की सलाह दी।
साधुओं ने गुरु नानक के वचनों को स्वीकार किया और अगले दिन गुरु जी और भाई मरदाना अपनी यात्रा पर निकल पड़े।
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