तेल अवीव: ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने बड़ा कदम उठाते हुए फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दी है। तीनों देशों ने रविवार को इसका औपचारिक ऐलान किया है। इजरायल की सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए फिलिस्तीन को मान्यता का विरोध किया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुस्सा दिखाते हुए कहा है कि इन देशों ने अपनी ओर से कदम उठाया है लेकिन फिलिस्तीनी देश की स्थापना को कभी जमीन पर नहीं उतरने दिया जाएगा।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी सहयोगियों के फिलिस्तीनी स्टेट को मान्यता देने पर नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि ये नेता हमास को इनाम दे रहे हैं। नेतन्याहू ने कहा कि हमास ने इजरायल में किस तरह से हमले को अंजाम दिया था, उसको ये देश नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे फिलिस्तीनी गुट हमास का हौसला बढ़ जाएगा।
फिलिस्तीनी राष्ट्र कभी नहीं बनेगाइजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं होगा। जॉर्डन नदी के पश्चिम में फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी। विदेशी लोग हमास को सम्मानित कर रहे हैं लेकिन वो कामयाब नहीं होंगे। इजराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पहले भी कह चुके हैं कि ऐसा कदम 'आतंक को इनाम' देने जैसा है।
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने भी इसी तरह की बात कही है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि फिलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देना हमास के लिए इनाम के अलावा कुछ नहीं है। विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, 'हमास के नेता खुले तौर पर मानते हैं कि यह मान्यता सीधे सात अक्तूबर के नरसंहार का नतीजा है।'
तीन देशों ने दी मान्यताब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को औपचारिक रूप से फिलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दी है। ये तीनों देश अमेरिका और इजरायल के सहयोगी हैं। अमेरिका और इजरायल की ओर से इस फैसले पर आपत्ति जताई गई थी। इसके बावजूद फिलिस्तीन को मान्यता दी गई। इसे इजरायल और अमेरिका के लिए झटके की तरह देखा जा रहा है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा है कि हमास का फिलिस्तीन के भविष्य में कोई स्थान नहीं होगा। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी स्पष्ट किया कि यह फैसला हमास को इनाम नहीं बल्कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी को मजबूत करने और लोकतांत्रिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए है। ऑस्ट्रेलिया की ओर से भी इसी तरह का बयान आया है।
फिलिस्तीन की विदेश मंत्री वर्सेन अघाबेकियन शाहिन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रतीकात्मक नहीं बल्कि व्यावहारिक और अपरिवर्तनीय है। इससे फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और संप्रभुता की राह और करीब आ गई है। यह फैसला भले ही तुरंत युद्ध खत्म ना करे लेकिन भविष्य की दिशा जरूर तय करेगा।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी सहयोगियों के फिलिस्तीनी स्टेट को मान्यता देने पर नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि ये नेता हमास को इनाम दे रहे हैं। नेतन्याहू ने कहा कि हमास ने इजरायल में किस तरह से हमले को अंजाम दिया था, उसको ये देश नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे फिलिस्तीनी गुट हमास का हौसला बढ़ जाएगा।
फिलिस्तीनी राष्ट्र कभी नहीं बनेगाइजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं होगा। जॉर्डन नदी के पश्चिम में फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी। विदेशी लोग हमास को सम्मानित कर रहे हैं लेकिन वो कामयाब नहीं होंगे। इजराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पहले भी कह चुके हैं कि ऐसा कदम 'आतंक को इनाम' देने जैसा है।
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने भी इसी तरह की बात कही है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि फिलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देना हमास के लिए इनाम के अलावा कुछ नहीं है। विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, 'हमास के नेता खुले तौर पर मानते हैं कि यह मान्यता सीधे सात अक्तूबर के नरसंहार का नतीजा है।'
तीन देशों ने दी मान्यताब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को औपचारिक रूप से फिलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दी है। ये तीनों देश अमेरिका और इजरायल के सहयोगी हैं। अमेरिका और इजरायल की ओर से इस फैसले पर आपत्ति जताई गई थी। इसके बावजूद फिलिस्तीन को मान्यता दी गई। इसे इजरायल और अमेरिका के लिए झटके की तरह देखा जा रहा है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा है कि हमास का फिलिस्तीन के भविष्य में कोई स्थान नहीं होगा। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी स्पष्ट किया कि यह फैसला हमास को इनाम नहीं बल्कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी को मजबूत करने और लोकतांत्रिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए है। ऑस्ट्रेलिया की ओर से भी इसी तरह का बयान आया है।
फिलिस्तीन की विदेश मंत्री वर्सेन अघाबेकियन शाहिन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रतीकात्मक नहीं बल्कि व्यावहारिक और अपरिवर्तनीय है। इससे फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और संप्रभुता की राह और करीब आ गई है। यह फैसला भले ही तुरंत युद्ध खत्म ना करे लेकिन भविष्य की दिशा जरूर तय करेगा।
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