नई दिल्ली: देश में रेल और सड़क नेटवर्क को लेकर कई बड़े काम हुए हैं और हो रहे हैं। इन प्रोजेक्ट पर दोनों मंत्रालय ने खूब पैसा खर्च किया है। सड़क परिवहन और रेलवे मंत्रालयों ने मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के उपयोग में शानदार प्रदर्शन किया है। सड़क परिवहन मंत्रालय की कमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पास तो रेलवे की जिम्मेदारी अश्विनी वैष्णव के पास है।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने बजट का 63% और रेलवे मंत्रालय ने 56.5% खर्च कर दिया है। सितंबर के अंत तक इन दोनों मंत्रालयों का संयुक्त कैपेक्स 3.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवंटित 5.2 लाख करोड़ रुपये के बजट का एक बड़ा हिस्सा है। इस वित्तीय वर्ष में सभी क्षेत्रों के लिए आवंटित कुल 11.2 लाख करोड़ रुपये के कैपेक्स में से आधे से अधिक हिस्सा सड़क और रेलवे क्षेत्र को मिला है।
सड़क मंत्रालय ने कितना किया खर्च?सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस साल कैपेक्स का इस्तेमाल उनके मंत्रालय के इतिहास में सबसे अधिक है। उन्होंने पहले छह महीनों के लिए तय लक्ष्य को भी पार कर लिया है।
मंत्रालय ने अब तक कुल 2.7 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में से लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पिछले साल इसी अवधि में यह खर्च 1.4 लाख करोड़ रुपये था। सूत्रों का कहना है कि बजट का बेहतर उपयोग होने से, भविष्य में जब बजट अनुमानों को संशोधित किया जाएगा, तो आवंटन बढ़ाने की गुंजाइश बन सकती है।
रेलवे मंत्रालय का कितना खर्च?वहीं, रेलवे मंत्रालय की बात करें तो सितंबर के अंत तक कैपेक्स पर 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। पूरे 2025-26 के लिए रेलवे का कैपेक्स बजट 2.5 लाख करोड़ रुपये है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने पिछले छह महीनों में सुरक्षा-संबंधी कामों पर 22,286 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके लिए FY26 में 39,456 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। इस खर्च में 'कवच' (KAVACH) जैसी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तकनीक से जुड़े काम, ट्रैक नवीनीकरण, रोड ओवर ब्रिज, पुल और लेवल क्रॉसिंग पर हुए काम शामिल हैं।
परिवहन व्यवस्था हुई बेहतरअधिकारियों ने यह भी बताया कि सबसे ज्यादा खर्च क्षमता बढ़ाने वाले कामों पर हुआ है। इसमें नई रेल लाइनें बिछाना, मौजूदा लाइनों को दोगुना करना, गेज बदलना (छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलना) और विद्युतीकरण जैसे काम शामिल हैं। साथ ही, बड़े शहरों में परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने पर भी खर्च किया गया है। यह दिखाता है कि सरकार देश के बुनियादी ढांचे, खासकर सड़क और रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर जोर दे रही है। इस तरह के बड़े निवेश से भविष्य में यात्रा और माल ढुलाई दोनों आसान और तेज होंगी।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने बजट का 63% और रेलवे मंत्रालय ने 56.5% खर्च कर दिया है। सितंबर के अंत तक इन दोनों मंत्रालयों का संयुक्त कैपेक्स 3.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवंटित 5.2 लाख करोड़ रुपये के बजट का एक बड़ा हिस्सा है। इस वित्तीय वर्ष में सभी क्षेत्रों के लिए आवंटित कुल 11.2 लाख करोड़ रुपये के कैपेक्स में से आधे से अधिक हिस्सा सड़क और रेलवे क्षेत्र को मिला है।
सड़क मंत्रालय ने कितना किया खर्च?सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस साल कैपेक्स का इस्तेमाल उनके मंत्रालय के इतिहास में सबसे अधिक है। उन्होंने पहले छह महीनों के लिए तय लक्ष्य को भी पार कर लिया है।
मंत्रालय ने अब तक कुल 2.7 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में से लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पिछले साल इसी अवधि में यह खर्च 1.4 लाख करोड़ रुपये था। सूत्रों का कहना है कि बजट का बेहतर उपयोग होने से, भविष्य में जब बजट अनुमानों को संशोधित किया जाएगा, तो आवंटन बढ़ाने की गुंजाइश बन सकती है।
रेलवे मंत्रालय का कितना खर्च?वहीं, रेलवे मंत्रालय की बात करें तो सितंबर के अंत तक कैपेक्स पर 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। पूरे 2025-26 के लिए रेलवे का कैपेक्स बजट 2.5 लाख करोड़ रुपये है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने पिछले छह महीनों में सुरक्षा-संबंधी कामों पर 22,286 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके लिए FY26 में 39,456 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। इस खर्च में 'कवच' (KAVACH) जैसी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तकनीक से जुड़े काम, ट्रैक नवीनीकरण, रोड ओवर ब्रिज, पुल और लेवल क्रॉसिंग पर हुए काम शामिल हैं।
परिवहन व्यवस्था हुई बेहतरअधिकारियों ने यह भी बताया कि सबसे ज्यादा खर्च क्षमता बढ़ाने वाले कामों पर हुआ है। इसमें नई रेल लाइनें बिछाना, मौजूदा लाइनों को दोगुना करना, गेज बदलना (छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलना) और विद्युतीकरण जैसे काम शामिल हैं। साथ ही, बड़े शहरों में परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने पर भी खर्च किया गया है। यह दिखाता है कि सरकार देश के बुनियादी ढांचे, खासकर सड़क और रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर जोर दे रही है। इस तरह के बड़े निवेश से भविष्य में यात्रा और माल ढुलाई दोनों आसान और तेज होंगी।
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