गुड़गांव: गुड़गांव के सुल्तानपुर नेशनल पार्क में करीब चार साल बाद शॉर्ट ईयर्ड आउल (Short Eared Owl) की वापसी ने बर्ड वॉचर्स (Bird Watchers) को खुश कर दिया है। सात आउल का यह समूह सुल्तानपुर फ्लैट इलाके में देखा गया है, जो पार्क के पास घास वाला खुला इलाका है। ये आउल यूरोप और इंग्लैंड से हर साल भारत आते हैं और जमीन पर रहना पसंद करते हैं। रात में शिकार करने वाले ये पक्षी दिन में घास में छिपकर आराम करते हैं। इनकी वापसी इस बात का संकेत है कि सुल्तानपुर और आसपास का पर्यावरण इन प्रवासी पक्षियों के लिए अभी भी अच्छा है।
बर्ड वॉचर अनिल गंडास ने कहा, "शॉर्ट ईयर्ड आउल का लौटना सकारात्मक संकेत है।" उन्होंने बताया कि ये आउल तभी लौटते हैं जब उन्हें खुला इलाका, अच्छा खाना और सुरक्षित रहने की जगह मिले। ये आउल हमारे वेटलैंड्स (Wetlands) यानी दलदली इलाकों और घास वाले इलाकों की सेहत बताते हैं। अगर ये लौट रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हमारे प्राकृतिक आवास अभी भी ठीक हैं।
पहले ये आउल झांझरौला खेड़ा इलाके में दिखते थे। बर्ड वॉचर्स के मुताबिक, पहले झांझरौला खेड़ा की करीब 500 एकड़ जमीन इन आउल्स का घर हुआ करती थी। लेकिन अब वहां खेती होने लगी है। इसलिए ऐसा हो सकता है कि जमीन के इस्तेमाल में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण की वजह से इन आउल्स ने सुल्तानपुर की ओर रुख किया हो। इस बार इन्हें सुल्तानपुर झील के पास सुल्तानपुर फ्लैट इलाके में देखा गया है। यहां इन्हें शिकार करने और रहने के लिए अच्छा माहौल मिला है।
शॉर्ट ईयर्ड आउल की खासियत यह है कि ये पेड़ों पर नहीं, बल्कि जमीन पर रहना पसंद करते हैं। ये रात के अंधेरे में अपने शिकार की तलाश करते हैं। दिन के समय ये पक्षी अपनी सुरक्षा के लिए घनी घास में छिप जाते हैं और आराम करते हैं। हर साल ये पक्षी यूरोप और इंग्लैंड जैसे ठंडे इलाकों से भारत के मैदानी इलाकों में प्रवास पर आते हैं। पिछले चार सालों से गुड़गांव और इसके आसपास के इलाकों में इनका दिखना बंद हो गया था। इनकी वापसी से यह उम्मीद जगी है कि सुल्तानपुर नेशनल पार्क और उसके आसपास का पूरा इकोसिस्टम (Ecosystem) यानी पारिस्थितिकी तंत्र इन मेहमान पक्षियों के लिए अभी भी अनुकूल बना हुआ है।
यह वापसी उन लोगों के लिए खास है जो पक्षियों को देखना पसंद करते हैं। बर्ड वॉचर्स के लिए यह एक रोमांचक खबर है। वे इन खूबसूरत पक्षियों को फिर से अपने कैमरे में कैद करने के लिए उत्साहित हैं। इन पक्षियों का वापस आना पर्यावरण के लिए एक अच्छी खबर है और यह दर्शाता है कि प्रकृति अभी भी अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
बर्ड वॉचर अनिल गंडास ने कहा, "शॉर्ट ईयर्ड आउल का लौटना सकारात्मक संकेत है।" उन्होंने बताया कि ये आउल तभी लौटते हैं जब उन्हें खुला इलाका, अच्छा खाना और सुरक्षित रहने की जगह मिले। ये आउल हमारे वेटलैंड्स (Wetlands) यानी दलदली इलाकों और घास वाले इलाकों की सेहत बताते हैं। अगर ये लौट रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हमारे प्राकृतिक आवास अभी भी ठीक हैं।
पहले ये आउल झांझरौला खेड़ा इलाके में दिखते थे। बर्ड वॉचर्स के मुताबिक, पहले झांझरौला खेड़ा की करीब 500 एकड़ जमीन इन आउल्स का घर हुआ करती थी। लेकिन अब वहां खेती होने लगी है। इसलिए ऐसा हो सकता है कि जमीन के इस्तेमाल में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण की वजह से इन आउल्स ने सुल्तानपुर की ओर रुख किया हो। इस बार इन्हें सुल्तानपुर झील के पास सुल्तानपुर फ्लैट इलाके में देखा गया है। यहां इन्हें शिकार करने और रहने के लिए अच्छा माहौल मिला है।
शॉर्ट ईयर्ड आउल की खासियत यह है कि ये पेड़ों पर नहीं, बल्कि जमीन पर रहना पसंद करते हैं। ये रात के अंधेरे में अपने शिकार की तलाश करते हैं। दिन के समय ये पक्षी अपनी सुरक्षा के लिए घनी घास में छिप जाते हैं और आराम करते हैं। हर साल ये पक्षी यूरोप और इंग्लैंड जैसे ठंडे इलाकों से भारत के मैदानी इलाकों में प्रवास पर आते हैं। पिछले चार सालों से गुड़गांव और इसके आसपास के इलाकों में इनका दिखना बंद हो गया था। इनकी वापसी से यह उम्मीद जगी है कि सुल्तानपुर नेशनल पार्क और उसके आसपास का पूरा इकोसिस्टम (Ecosystem) यानी पारिस्थितिकी तंत्र इन मेहमान पक्षियों के लिए अभी भी अनुकूल बना हुआ है।
यह वापसी उन लोगों के लिए खास है जो पक्षियों को देखना पसंद करते हैं। बर्ड वॉचर्स के लिए यह एक रोमांचक खबर है। वे इन खूबसूरत पक्षियों को फिर से अपने कैमरे में कैद करने के लिए उत्साहित हैं। इन पक्षियों का वापस आना पर्यावरण के लिए एक अच्छी खबर है और यह दर्शाता है कि प्रकृति अभी भी अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
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