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NISAR सैटलाइट के जरिए जल्द मिलेंगी शानदार तस्वीरें, जानें नासा और इसरो का संयुक्त मिशन क्यों है खास

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नई दिल्ली: NASA और ISRO का संयुक्त मिशन NISAR (नासा इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) तय योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहा है। धरती की निगरानी के लिए दुनिया का यह सबसे बड़ा उपग्रह 30 जुलाई को प्रक्षेपित हुआ था और अब मिशन टीमों ने पुष्टि की है कि यह सभी शुरुआती जांच में सफल रहा है।



दो महीने में शुरू हो जाएगा संचालन

26 अगस्त से उपग्रह को उसकी परिचालन कक्षा, यानी 747 किलोमीटर की ऊंचाई में ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आने वाले हफ्तों में वैज्ञानिक गुणवत्ता वाली तस्वीरें मिलने लगेंगी, जबकि पूरा विज्ञान संचालन लॉन्च के 90 दिन बाद शुरू होगा। यानी अब दो महीने बाद से इसका विज्ञान की जरूरतों के लिए संचालन शुरू हो जाएगा।



इसे अनोखा बनाता है रडार सिस्टम

15 अगस्त को मिशन का सबसे अहम पड़ाव तब पूरा हुआ, जब 39 फीट लंबा रडार एंटीना रिफ्लेक्टर तैनात हुआ। इसके बाद इंजिनियरों ने उपग्रह के एल-बैंड और एस-बैड सिंथेटिक एपर्चर रडार को सक्रिय किया। यह दोहरा रडार सिस्टम ही निसार सैटलाइट को अनोखा बनाता है क्योंकि इससे पृथ्वी की सतह पर होने वाले बेहद सूक्ष्म बदलावों तक की निगरानी संभव हो सकेगी।



हर 12 दिन में दो बार धरती की स्कैनिंग

निसार हर 12 दिन में पृथ्वी के अधिकांश भूभाग और हिम सतहों की 2 बार स्कैनिंग करेगा। इससे जंगलो, बर्फीली सतहो, बड़े बुनियादी ढांचे और धरती की पपड़ी में होने वाले छोटे बदलावों की भी जानकारी मिलेगी। इस डेटा का उपयोग भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को समझने में बड़ी भूमिका निभाएगा।



रात में भी ले सकता है बेहतर तस्वीरें

सार सैटलाइट दिन और रात दोनो समय धरती की सतह की तस्वीरें ले सकते हैं। ये रडार सिग्नल का इस्तेमाल कर बादल, धुआं और राख के आर-पार जाकर साफ तस्वीरें देते हैं। यही वजह है कि बाढ़, जंगल में आग या ज्वालामुखी विस्फोट जैसी आपदाओं के समय ये सैटलाइट बेहद कारगर होते हैं।





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