नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार किस देश के पास है? इसका जवाब सऊदी अरब, अमेरिका या रूस नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार वेनेजुएला के पास है। इस दक्षिण अमेरिकी देश के पास 303.8 अरब बैरल तेल भंडार है। सऊदी अरब के पास 297.7 अरब बैरल और कनाडा के पास 170 अरब बैरल तेल भंडार है। इसके बावजूद वेनेजुएला उन देशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा महंगाई है। कभी यह अमीर देशों की श्रेणी में आता था लेकिन 1980 के बाद से इसका विकास एक तरह से ठहर गया है। वेनेजुएला में साल 1980 में जीडीपी प्रति व्यक्ति 8,000 डॉलर थी जो आज के भारत की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है। हालत यह हो गई है कि पिछले महीने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को देश में इकनॉमिक एमरजेंसी की घोषणा करनी पड़ी।लेकिन वेनेजुएला की प्रति व्यक्ति आय आज भी उसी स्तर पर रुकी हुई है। इसकी तुलना में दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति आय 1980 में महज 2,000 डॉलर थी जो आज 65,000 डॉलर के करीब पहुंच चुकी है। यानी कोरिया की जीडीपी पर कैपिटा पिछले 45 साल में करीब 33 गुना बढ़ी जबकि इस दौरान वेनेजुएला की प्रति व्यक्ति जीडीपी में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं हुई। साउथ कोरिया ने जहां इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर जोर देकर खुद को हाई-इनकम वाले देश में बदल दिया, वहीं तेल पर वेनेजुएला की निर्भरता और राजनीतिक अस्थिरता ने वेनेजुएला को विकास की पटरी से उतार दिया। 2018 में देश में महंगाई 130,000% पहुंच गई थी। सबसे बड़ा तेल भंडारवेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है। दुनिया के कुल क्रूड रिजर्व का 18.2% इसी देश की कोख में दबा पड़ा है। यहां पेट्रोल पानी से भी सस्ता है लेकिन यह तो सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि इस देश में खाद्य पदार्थों की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है। हालत यह है कि देश के लाखों लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है। बेहतर जिंदगी की तलाश में लाखों लोग वेनेजुएला से पलायन कर गए हैं। देश में खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हैं कि अमीर लोगों के लिए भी दो जून की रोटी जुटाना भी भारी पड़ रहा है।कई गरीब लोग तो पेट भरने के लिए कचरे में पड़ी जूठन को खाने के लिए मजबूर हैं। सवाल यह है कि प्राकृतिक आपदा से भरपूर वेनेजुएला की यह हालत कैसे हुई। देश में पिछले कई साल से खाने-पीने की चीजों की कीमत बहुत ज्यादा बनी है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए देश की सोशलिस्ट नीतियां और अमेरिका के साथ टकराव जिम्मेदार हैं। ह्यूगो शावेज के बाद राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कर्ज के भुगतान के लिए बेतहाशा पैसे छापे। इससे करेंसी की कीमत काफी गिर गई। मादुरो ने 2019 में करेंसी कंट्रोल में छूट दी। रुढ़िवादी आर्थिक नीतियों के साथ-साथ सरकारी खर्चे में कमी और टैक्स में बढ़ोतरी से देश में करीब एक साल तक महंगाई सिंगल डिजिट में रही। लेकिन फिर इसमें उछाल आई। क्यों आई ऐसी नौबत2014 से 2019 के बीच देश की इकॉनमी 80 फीसदी सिकुड़ गई। आज हालत यह हो गई है कि संपन्न लोग भी खाने पीने की चीजों की खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। देश के बाजार खाने-पीने की चीजों से भरे पड़े हैं लेकिन वे इतने महंगे हैं कि कम ही लोग उन्हें खरीदने में सक्षम हैं। लोग दिन में एक ही समय खाना खा रहे हैं या चैरिटी पर निर्भर हैं। देश की आधी से अधिक आबादी घोर गरीबी में जी रही है। एक सर्वे के मुताबिक 41% से अधिक लोगों का कहना है कि वे रोजाना एक समय का खाना छोड़ रहे हैं। पिछले 45 साल में महंगाई तो चरम पर पहुंच गई लेकिन लोगों की इनकम एक ढेला भी नहीं बढ़ी है। जानकारों का कहना है कि देश में महंगाई की दर 180 से 200 फीसदी हो सकती है।
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