राघोपुर: पटना से राघोपुर जाने के लिए अब छह लेन वाला पुल है। गंगा नदी से घिरे राघोपुर जाने के लिए पहले पीपा पुल हुआ करता था। इसी साल जून में इस छह लेन वाले पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। इस पुल से गुजरते हुए लगता है कि पटना से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा राघोपुर विकास के मामले में पटना के आसपास ही होगा, लेकिन यहां पहुंचने पर तस्वीर एकदम उलट है। हालांकि थोड़े कच्चे रास्ते को छोड़ दें तो गांवों तक पक्की सड़क है लेकिन लोगों के जीवन स्तर में सुधार नहीं दिखता।
जात पर वोट नहीं देते-ग्रामीण
मल्लीपुर गांव पहुंचे और लोगों से बात की तो शुरू में एक बुजुर्ग ने कहा यहां तो सब तेजस्वी वाले हैं। कितना काम हुआ है, ये पूछने पर उन्होंने फिर दिक्कतें बतानी शुरू की। कहा नेता किसी की नहीं सुनते हैं। उनकी पत्नी को 10 हजार रुपये (मुख्यमंत्री रोजगार योजना) भी नहीं मिले हैं। उनकी पत्नी इसे लेकर नाराज हैं, वो बोली कि मेरे समूह में कुछ को पैसा मिला, मुझे नहीं मिला। पैसा मिला होता तो वोट देती, अब नहीं दूंगी। उन्हें ये भी साफ नहीं है कि पैसा कौन दे रहा है, सरकार या फिर तेजस्वी यादव। पड़ोस में ही गया देवी को 10 हजार रुपये मिला है और वे इससे खुश भी हैं।
यहां लोगों ने बताया कि हमने मोबाइल में सुना है कि सबको 5 किलो राशन मिलता है लेकिन हमें चार किलो ही मिलता है। डीलर कहता है कि मैं ट्रैक्टर में लादकर लाऊंगा तो अपना खर्चा भी तो निकालूंगा। जब यहां लोग ये बता रहे थे कि यादवों के परिवार ज्यादा हैं और सब लालूजी के साथ हैं तभी धनजंय आए, पेंट-शर्ट पहने और हाथ की घड़ी ठीक करते हुए। बोले मैं भी यादव हूं लेकिन मेरी तरह पढ़े लिखे यादव जानते हैं कि एनडीए ही विकास कर सकती है, हम जात पर वोट नहीं देते। वे बोले कि जंगलराज सुना है, राघोपुर को लालू परिवार ने वही बना रखा है।
लालू को वोट देंगे, तभी बिहार की इज्जत बचेगी
राघोपुर के ही रुस्तमपुर गांव में बिंदेसर राय मिले। कहा सरकार की तरफ से अभी तक हमें एक भी पैसा नहीं मिला है। न लालू की सरकार में न नीतीश की सरकार में। हमसे डीलर ने 400 रुपये भी ले लिए और फिर भी वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिली। फिर बोले हमें किसी का पैसा नहीं चाहिए। हम चाहे गंगा जी में डूब जाएंगे लेकिन वोट लालू को ही देंगे। बोले मेरे परिवार में सब मिलाकर 25 वोटर हैं, सब हम लालू जी को वोट देंगे, तभी बिहार की इज्जत बचेगी। उनके पास ही बैठे सुहाग भगत कहते हैं कि मैंने जिसका खाया है उसे ही वोट दूंगा। मेरी पेंशन 400 से बढ़कर 1100 रुपये जिसने की है उसे क्यों नहीं वोट देंगे। बोले मैं पासवान हूं पर मैं जातपात नहीं मानता, जो खाने को देगा उसे वोट देंगे।
तीसरी बार तेजस्वी उम्मीदवार
आरजेडी के तेजस्वी यादव इस बार तीसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। दो बार लगातार इसी सीट से चुनाव जीते। अब तक यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। पहले माना जा रहा था कि खुद प्रशांत किशोर यहां से चुनाव लड़ेंगे लेकिन उन्होंने युवा कारोबारी चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। चंचल सिंह राजपूत समुदाय से हैं। इलाके में वे सामाजिक कामों और मुद्दों को लेकर सक्रिय भी रहे हैं। राघोपुर विधानसभा में दो जातियां ही सबसे प्रभावी हैं यादव और राजपूत। यादव करीब 32 पर्सेंट हैं तो राजपूत 22 पर्सेंट। एनडीए ने भी इस सीट से यादव उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में प्रशांत किशोर की पार्टी ने जातीय समीकरणों को देखते हुए उम्मीदवार तय किया।
राघोपुर लालू परिवार का गढ़
राघोपुर विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है। ये आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार का गढ़ है। लालू प्रसाद ने 1995 और 2000 में यहीं से चुनाव लड़ा और जीते। राबड़ी देवी ने 2000 का उपचुनाव और 2005 का चुनाव भी यहीं से जीता। 2010 में जेडीयू के उम्मीदवार सतीश यादव से राबड़ी देवी हार गई। लेकिन फिर 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव यहां से चुनाव जीते। तब उन्होंने सतीश यादव को ही हराया, जो दोनों बार बीजेपी उम्मीदवार थे। इस बार फिर बीजेपी ने सतीश यादव को टिकट दिया है।
जात पर वोट नहीं देते-ग्रामीण
मल्लीपुर गांव पहुंचे और लोगों से बात की तो शुरू में एक बुजुर्ग ने कहा यहां तो सब तेजस्वी वाले हैं। कितना काम हुआ है, ये पूछने पर उन्होंने फिर दिक्कतें बतानी शुरू की। कहा नेता किसी की नहीं सुनते हैं। उनकी पत्नी को 10 हजार रुपये (मुख्यमंत्री रोजगार योजना) भी नहीं मिले हैं। उनकी पत्नी इसे लेकर नाराज हैं, वो बोली कि मेरे समूह में कुछ को पैसा मिला, मुझे नहीं मिला। पैसा मिला होता तो वोट देती, अब नहीं दूंगी। उन्हें ये भी साफ नहीं है कि पैसा कौन दे रहा है, सरकार या फिर तेजस्वी यादव। पड़ोस में ही गया देवी को 10 हजार रुपये मिला है और वे इससे खुश भी हैं।
यहां लोगों ने बताया कि हमने मोबाइल में सुना है कि सबको 5 किलो राशन मिलता है लेकिन हमें चार किलो ही मिलता है। डीलर कहता है कि मैं ट्रैक्टर में लादकर लाऊंगा तो अपना खर्चा भी तो निकालूंगा। जब यहां लोग ये बता रहे थे कि यादवों के परिवार ज्यादा हैं और सब लालूजी के साथ हैं तभी धनजंय आए, पेंट-शर्ट पहने और हाथ की घड़ी ठीक करते हुए। बोले मैं भी यादव हूं लेकिन मेरी तरह पढ़े लिखे यादव जानते हैं कि एनडीए ही विकास कर सकती है, हम जात पर वोट नहीं देते। वे बोले कि जंगलराज सुना है, राघोपुर को लालू परिवार ने वही बना रखा है।
लालू को वोट देंगे, तभी बिहार की इज्जत बचेगी
राघोपुर के ही रुस्तमपुर गांव में बिंदेसर राय मिले। कहा सरकार की तरफ से अभी तक हमें एक भी पैसा नहीं मिला है। न लालू की सरकार में न नीतीश की सरकार में। हमसे डीलर ने 400 रुपये भी ले लिए और फिर भी वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिली। फिर बोले हमें किसी का पैसा नहीं चाहिए। हम चाहे गंगा जी में डूब जाएंगे लेकिन वोट लालू को ही देंगे। बोले मेरे परिवार में सब मिलाकर 25 वोटर हैं, सब हम लालू जी को वोट देंगे, तभी बिहार की इज्जत बचेगी। उनके पास ही बैठे सुहाग भगत कहते हैं कि मैंने जिसका खाया है उसे ही वोट दूंगा। मेरी पेंशन 400 से बढ़कर 1100 रुपये जिसने की है उसे क्यों नहीं वोट देंगे। बोले मैं पासवान हूं पर मैं जातपात नहीं मानता, जो खाने को देगा उसे वोट देंगे।
तीसरी बार तेजस्वी उम्मीदवार
आरजेडी के तेजस्वी यादव इस बार तीसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। दो बार लगातार इसी सीट से चुनाव जीते। अब तक यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। पहले माना जा रहा था कि खुद प्रशांत किशोर यहां से चुनाव लड़ेंगे लेकिन उन्होंने युवा कारोबारी चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। चंचल सिंह राजपूत समुदाय से हैं। इलाके में वे सामाजिक कामों और मुद्दों को लेकर सक्रिय भी रहे हैं। राघोपुर विधानसभा में दो जातियां ही सबसे प्रभावी हैं यादव और राजपूत। यादव करीब 32 पर्सेंट हैं तो राजपूत 22 पर्सेंट। एनडीए ने भी इस सीट से यादव उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में प्रशांत किशोर की पार्टी ने जातीय समीकरणों को देखते हुए उम्मीदवार तय किया।
राघोपुर लालू परिवार का गढ़
राघोपुर विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है। ये आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार का गढ़ है। लालू प्रसाद ने 1995 और 2000 में यहीं से चुनाव लड़ा और जीते। राबड़ी देवी ने 2000 का उपचुनाव और 2005 का चुनाव भी यहीं से जीता। 2010 में जेडीयू के उम्मीदवार सतीश यादव से राबड़ी देवी हार गई। लेकिन फिर 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव यहां से चुनाव जीते। तब उन्होंने सतीश यादव को ही हराया, जो दोनों बार बीजेपी उम्मीदवार थे। इस बार फिर बीजेपी ने सतीश यादव को टिकट दिया है।
You may also like
लखीमपुर खीरी : 130 किलो ग्राम अवैध पटाखों के साथ दो आरोपित गिरफ्तार
सोनीपत में सड़क सुरक्षा क्विज, ढाई लाख छात्र हुए शामिल
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 210 इनामी नक्सली कैडर मुख्यधारा में लौटे, 153 हथियार सौंपे
ऑनलाइन नौकरी घोटाला मामले में 59 नागरिकों को वापस लाने के लिए दक्षिण कोरिया और कंबोडिया में वार्ता जारी
लोन अगेंस्ट फिक्स्ड डिपॉजिट या पर्सनल लोन, जानिए कौन सा लोन आपके लिए बेहतर है