नई दिल्ली: अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ लगाने का असर दिखाई पड़ रहा है। भारत की ओर से अमेरिका को होने वाला निर्यात घट गया है। नई चुनौती के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीर्ष निर्यात संगठनों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। यह मीटिंग ऐसे समय में हुई जब इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल, लेदर और समुद्री उत्पाद जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर 50 फीसदी तक के टैरिफ बोझ से जूझ रहे हैं। कुछ सेक्टर को छोड़कर 50 प्रतिशत के भारी टैरिफ के कारण श्रम-प्रधान क्षेत्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।   
   
निर्यातकों का कहना है कि सबसे अधिक असर श्रम-प्रधान उद्योगों पर पड़ा है — ये वे सेक्टर हैं जिनका राजनीतिक महत्व भी तमिलनाडु, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में अधिक है। वहीं सरकार ने निर्यातकों से विविधता लाने और अमेरिकी बाजार से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए यूरोप, पश्चिम एशिया और अफ्रीका पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। अधिकारियों ने कहा कि अगले कुछ महीनों में यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और चिली के साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते भारतीय वस्तुओं के लिए नए द्वार खोल सकते हैं।
     
टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लगातार बातचीत जारी है। सोमवार को हुई इस मीटिंग में सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन और कपड़ा, वाणिज्य तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) मंत्रालयों के सचिव बैठक में उपस्थित थे। इनके साथ ही टेक्सटाइल, परिधान, समुद्री उत्पाद, इंजीनियरिंग, लेदर और जेम्स-एंड-ज्वेलरी उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
     
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ का असर भारतीय उद्योग पर कम पड़े इसको लेकर सरकार की ओर से लगातार प्रयास जारी है। जीएसटी की दरों में सरकार की ओर से बदलाव किया गया। भारत एक्सपोर्ट को लेकर अलग-अलग देशों के साथ करार कर रहा है। यह रणनीति रंग भी ला रही है। कपड़े, समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका में घटा लेकिन फ्रांस, जापान, वियतनाम इन देशों में बढ़ा। डाइवर्सिफिकेशन की स्ट्रेटजी धीरे-धीरे कारगर साबित हो रही है।
  
निर्यातकों का कहना है कि सबसे अधिक असर श्रम-प्रधान उद्योगों पर पड़ा है — ये वे सेक्टर हैं जिनका राजनीतिक महत्व भी तमिलनाडु, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में अधिक है। वहीं सरकार ने निर्यातकों से विविधता लाने और अमेरिकी बाजार से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए यूरोप, पश्चिम एशिया और अफ्रीका पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। अधिकारियों ने कहा कि अगले कुछ महीनों में यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और चिली के साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते भारतीय वस्तुओं के लिए नए द्वार खोल सकते हैं।
टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लगातार बातचीत जारी है। सोमवार को हुई इस मीटिंग में सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन और कपड़ा, वाणिज्य तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) मंत्रालयों के सचिव बैठक में उपस्थित थे। इनके साथ ही टेक्सटाइल, परिधान, समुद्री उत्पाद, इंजीनियरिंग, लेदर और जेम्स-एंड-ज्वेलरी उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ का असर भारतीय उद्योग पर कम पड़े इसको लेकर सरकार की ओर से लगातार प्रयास जारी है। जीएसटी की दरों में सरकार की ओर से बदलाव किया गया। भारत एक्सपोर्ट को लेकर अलग-अलग देशों के साथ करार कर रहा है। यह रणनीति रंग भी ला रही है। कपड़े, समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका में घटा लेकिन फ्रांस, जापान, वियतनाम इन देशों में बढ़ा। डाइवर्सिफिकेशन की स्ट्रेटजी धीरे-धीरे कारगर साबित हो रही है।
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