जहानाबाद: बिहार की राजनीतिक जमीन हमेशा से ही बड़ी उपजाऊ रही है। जहानाबाद जिले की घोसी विधानसभा सीट इसी राजनीति का एक शानदार मंच है। ये क्षेत्र भौगोलिक और सामाजिक रूप से भले ही पूरी तरह से ग्रामीण हो, लेकिन यहां की चुनावी लड़ाइयां अक्सर राज्य की सुर्खियों में रही हैं। घोसी विधानसभा क्षेत्र जहानाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। घोसी का इतिहास 1977 से 2015 तक एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। ये कहानी शुरू होती है जगदीश शर्मा से, जिन्होंने घोसी की राजनीति पर लगभग चार दशक तक अपना एकाधिकार बनाए रखा। 1977 से 2009 तक जगदीश शर्मा लगातार आठ बार विधायक चुने गए। ये अपने आप में एक अनोखा रिकॉर्ड है कि इस दौरान उन्होंने कई पार्टियों की सीढ़ियां चढ़ीं। जनता पार्टी, भाजपा, कांग्रेस, और जदयू के साथ-साथ दो बार निर्दलीय भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
जगदीश शर्मा सांसद बने पत्नी बन गई विधायकजब जगदीश शर्मा 2009 में जहानाबाद से लोकसभा सांसद चुने गए, तो ये सीट उनके परिवार की विरासत बन गई। विधानसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी शांति शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुईं और 2010 के अगले विधानसभा चुनाव में उनके बेटे राहुल शर्मा ने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की।
क्या कहता है घोसी का कास्ट कैलकुलेशन?घोसी विकास खंड पूरी तरह से ग्रामीण है और 2011 की जनगणना के अनुसार, इसकी कुल आबादी 1,08,130 है। जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां का चुनावी गणित काफी उलझा हुआ है। यादव, भूमिहार, रविदास और पासवान समुदाय के मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। अनुसूचित जातियों के वोटरों की संख्या लगभग 19.93 प्रतिशत है, जो किसी भी चुनाव का रुख पलटने की क्षमता रखते हैं।
घोसी में रामबली Vs ऋतुराज कुमारघोसी का राजनीतिक इतिहास सिर्फ एक परिवार तक सीमित नहीं है। यहां वाम दलों, खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन का भी प्रभाव रहा है। सीपीआई ने दो बार जीत दर्ज की थी और माले भी एक बार जीत चुकी थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में घोसी में एक बड़ा उलटफेर हुआ, जिसने लगभग चार दशकों के वर्चस्व को तोड़ दिया। इस चुनाव में महागठबंधन के तहत सीपीआई-माले के उम्मीदवार राम बली सिंह यादव ने जगदीश शर्मा के बेटे जदयू के राहुल कुमार को भारी अंतर से हराया। इस बार भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने रामबली सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसका मुकाबला पूर्व सांसद अरुण के बेटे और जदयू प्रत्याशी ऋतुराज कुमार से होगा।
इनपुट-आईएएनएस
जगदीश शर्मा सांसद बने पत्नी बन गई विधायकजब जगदीश शर्मा 2009 में जहानाबाद से लोकसभा सांसद चुने गए, तो ये सीट उनके परिवार की विरासत बन गई। विधानसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी शांति शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुईं और 2010 के अगले विधानसभा चुनाव में उनके बेटे राहुल शर्मा ने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की।
क्या कहता है घोसी का कास्ट कैलकुलेशन?घोसी विकास खंड पूरी तरह से ग्रामीण है और 2011 की जनगणना के अनुसार, इसकी कुल आबादी 1,08,130 है। जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां का चुनावी गणित काफी उलझा हुआ है। यादव, भूमिहार, रविदास और पासवान समुदाय के मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। अनुसूचित जातियों के वोटरों की संख्या लगभग 19.93 प्रतिशत है, जो किसी भी चुनाव का रुख पलटने की क्षमता रखते हैं।
घोसी में रामबली Vs ऋतुराज कुमारघोसी का राजनीतिक इतिहास सिर्फ एक परिवार तक सीमित नहीं है। यहां वाम दलों, खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन का भी प्रभाव रहा है। सीपीआई ने दो बार जीत दर्ज की थी और माले भी एक बार जीत चुकी थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में घोसी में एक बड़ा उलटफेर हुआ, जिसने लगभग चार दशकों के वर्चस्व को तोड़ दिया। इस चुनाव में महागठबंधन के तहत सीपीआई-माले के उम्मीदवार राम बली सिंह यादव ने जगदीश शर्मा के बेटे जदयू के राहुल कुमार को भारी अंतर से हराया। इस बार भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने रामबली सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसका मुकाबला पूर्व सांसद अरुण के बेटे और जदयू प्रत्याशी ऋतुराज कुमार से होगा।
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