नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' नामक एक प्रमुख त्रि-सेवा अभ्यास आयोजित होने वाला है। यह अभ्यास थल, वायु और नौसेना की तीनों सेनाएं मिलकर एक साथ इस अभियान में जुटेंगी। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य में होने वाले संघर्ष युद्धों में संयुक्त बलों की तत्परता और क्षमता को मजबूत करना है। इस अभ्यास में विशेष बलों, मानवरहित प्लेटफार्मों और नेटवर्क ऑपरेशन का सुधार किया जाएगा।
त्रि-सेवा अभ्यास मेचुका की पहाड़ियों में किया जाएगा आयोजितएक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र बलों के तीनों सेनाओं के बीच युद्ध क्षमता, तकनीकी और तालमेल को एकीकृत करने के लिए एक त्रि-सेवा अभ्यास इस महीने अरुणाचल प्रदेश के मेचुका की पहाड़ियों में आयोजित किया जाएगा। डिफेंस पब्लिक रिलेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने शनिवार शाम एक बयान में कहा कि पूर्वी प्रचंड प्रहार, अभ्यास, जिसे एक दूरदर्शी अभ्यास (विजिनरी प्रैक्टिस) के रूप में अनुमानित किया गया है। थल, वायु और नौसेना पर बहु-डोमेन इंटीग्रेटेड को वैध करेगा, जो फ्यूचर के युद्ध संघर्षों के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की विकसित होती तत्परता को दर्शाता है।
भारतीय सेना की तैयारी को परखा जाएगाऑफिसर लेफ्टिनेंट ने बताया कि इस अभ्यास में विशेष बलों, मानव रहित प्लेटफॉर्म्स, सटीक प्रणाली और नेटवर्क आधारित ऑपरेशन सेंटरों का इंटीग्रेटेड उपयोग किया जाएगा, जिससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल का प्रदर्शन होगा। यह अभ्यास ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आयोजित होगा, जिससे भविष्य की परिस्थितियों के लिए भारतीय सेना की तैयारी को परखा जाएगा।
एक और मील का पत्थर होगा साबितअभ्यास 'पूर्वी प्रचंड प्रहार ', 'भाला प्रहार' (2023) और 'पूर्वी प्रहार' (2024) के सफल आयोजन के बाद, भारत की तीनों सेनाएं मिलकर एक और मील का पत्थर साबित होगा। लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि यह राष्ट्र की रक्षा में मिशन की तत्परता और ज्वॉइंट ऑपरेशन बनाए रखने के सशस्त्र बलों के संकल्प को और मजबूत करता है।
त्रि-सेवा अभ्यास मेचुका की पहाड़ियों में किया जाएगा आयोजितएक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र बलों के तीनों सेनाओं के बीच युद्ध क्षमता, तकनीकी और तालमेल को एकीकृत करने के लिए एक त्रि-सेवा अभ्यास इस महीने अरुणाचल प्रदेश के मेचुका की पहाड़ियों में आयोजित किया जाएगा। डिफेंस पब्लिक रिलेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने शनिवार शाम एक बयान में कहा कि पूर्वी प्रचंड प्रहार, अभ्यास, जिसे एक दूरदर्शी अभ्यास (विजिनरी प्रैक्टिस) के रूप में अनुमानित किया गया है। थल, वायु और नौसेना पर बहु-डोमेन इंटीग्रेटेड को वैध करेगा, जो फ्यूचर के युद्ध संघर्षों के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की विकसित होती तत्परता को दर्शाता है।
भारतीय सेना की तैयारी को परखा जाएगाऑफिसर लेफ्टिनेंट ने बताया कि इस अभ्यास में विशेष बलों, मानव रहित प्लेटफॉर्म्स, सटीक प्रणाली और नेटवर्क आधारित ऑपरेशन सेंटरों का इंटीग्रेटेड उपयोग किया जाएगा, जिससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल का प्रदर्शन होगा। यह अभ्यास ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आयोजित होगा, जिससे भविष्य की परिस्थितियों के लिए भारतीय सेना की तैयारी को परखा जाएगा।
एक और मील का पत्थर होगा साबितअभ्यास 'पूर्वी प्रचंड प्रहार ', 'भाला प्रहार' (2023) और 'पूर्वी प्रहार' (2024) के सफल आयोजन के बाद, भारत की तीनों सेनाएं मिलकर एक और मील का पत्थर साबित होगा। लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि यह राष्ट्र की रक्षा में मिशन की तत्परता और ज्वॉइंट ऑपरेशन बनाए रखने के सशस्त्र बलों के संकल्प को और मजबूत करता है।
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