नई दिल्लीः महात्मा गांधी रिंग रोड अब नई शक्ल लेने जा रहा है। राजधानी की यातायात व्यवस्था को सुगम और आधुनिक बनाने की दिशा में पीडब्ल्यूडी ने इस 55 किलोमीटर लंबे रिंग रोड कॉरिडोर के पुनर्विकास की औपचारिक शुरुआत कर दी है। प्रोजेक्ट की DPR तैयार करने की जिम्मेदारी एईकॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (AECOM) को दी गई है। पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि हम इसे सिर्फ मरम्मत नहीं बल्कि स्मार्ट और सुरक्षित राजधानी के रूप में नया आकार दे रहे हैं।
6 चरणों में होगा इसका कामरिंग रोड का पुनर्विकास 6 चरणो में किया जाएगा, जिसमें दिल्ली के उत्तर, दक्षिण और मध्य हिस्सों को जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में आजादपुर फ्लाईओवर से लेकर पैसिफिक मॉल, पीतमपुरा तक कुल 6 सेक्शन में सुधार किया जाएगा। इसमे डीएनडी फ्लाईओवर, मोती बाग, राजौरी गार्डन और आईएसबीटी जैसे भीड़भाड़ वाले हिस्से शामिल हैं।
हर चौराहा बनेगा स्मार्ट और सिटिजन फ्रेंडलीइस बारे में मंत्री प्रवेश सिंह ने कहा कि सरकार केवल सड़कों को चौड़ा नहीं कर रही, बल्कि उन्हें स्मार्ट, ग्रीन और डेटा-आधारित परिवहन प्रणाली के रूप में बदलने पर काम कर रही है। मंत्री ने कहा कि कॉरिडोर परियोजना पूरी होने के बाद दिल्ली के बड़े हिस्सों में आने जाने में समय कम लगेगा, जाम से राहत मिलेगी और एयर क्वॉलिटी में सुधार होगा।
एईकॉम करेगी सर्वे और डिजाइन तैयारएईकॉम को प्रोजेक्ट की स्टडी, ट्रैफिक विश्लेषण, पर्यावरणीय आकलन और 3डी डिजाइन मॉडलिंग का जिम्मा सौंपा गया है। पूरे कॉरिडोर का विकास तीन चरणों में किया जाएगा।
6 चरणों में होगा इसका कामरिंग रोड का पुनर्विकास 6 चरणो में किया जाएगा, जिसमें दिल्ली के उत्तर, दक्षिण और मध्य हिस्सों को जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में आजादपुर फ्लाईओवर से लेकर पैसिफिक मॉल, पीतमपुरा तक कुल 6 सेक्शन में सुधार किया जाएगा। इसमे डीएनडी फ्लाईओवर, मोती बाग, राजौरी गार्डन और आईएसबीटी जैसे भीड़भाड़ वाले हिस्से शामिल हैं।
हर चौराहा बनेगा स्मार्ट और सिटिजन फ्रेंडलीइस बारे में मंत्री प्रवेश सिंह ने कहा कि सरकार केवल सड़कों को चौड़ा नहीं कर रही, बल्कि उन्हें स्मार्ट, ग्रीन और डेटा-आधारित परिवहन प्रणाली के रूप में बदलने पर काम कर रही है। मंत्री ने कहा कि कॉरिडोर परियोजना पूरी होने के बाद दिल्ली के बड़े हिस्सों में आने जाने में समय कम लगेगा, जाम से राहत मिलेगी और एयर क्वॉलिटी में सुधार होगा।
एईकॉम करेगी सर्वे और डिजाइन तैयारएईकॉम को प्रोजेक्ट की स्टडी, ट्रैफिक विश्लेषण, पर्यावरणीय आकलन और 3डी डिजाइन मॉडलिंग का जिम्मा सौंपा गया है। पूरे कॉरिडोर का विकास तीन चरणों में किया जाएगा।
- पहले 6 हफ्तों में सर्वे और मैपिंग।
- अगले 6 हफ्तों में पर्यावरण विभाग से मंजूरी और जियोटेक्निकल जांच।
- ट्रैफिक मॉडलिंग और डीपीआर तैयार अंतिम 12 हफ्तों में किया जाएगा।
- कुल मिलाकर 24 सप्ताह (लगभग 6 महीने) में विस्तृत योजना तैयार हो जाएगी।
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