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भजनलाल सरकार की एक बड़ी धार्मिक पहल! गुरु पूर्णिमा पर सरकारी स्तर पर होगा संतों और धार्मिक गुरुओं का सम्मान, जानें वजह

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जयपुर/ झुंझुनूं: राजस्थान में पहली बार गुरु पूर्णिमा पर एक ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई में राज्य सरकार इस 10 जुलाई को संतों और धर्मगुरुओं को सरकारी स्तर पर सम्मानित करने जा रही है। यह फैसला प्रदेश में सनातन संस्कृति और संत परंपरा को पुन: प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक बड़ी और ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। झुंझुनूं जिला कलेक्टर डॉ. अरुण गर्ग ने जानकारी दी है कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देवस्थान विभाग द्वारा जिले के 15 प्रमुख संतों व धर्मगुरुओं का सम्मान किया जाएगा। उन्हें श्रीफल, शॉल और अभिनंदन पत्र देकर आदरांजलि अर्पित की जाएगी।इस काम को लेकर जिले में विकास अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिलहाल यह तय किया जा रहा है कि सभी संतों को एक ही मंच पर सम्मानित किया जाए या फिर प्रशासनिक टीमें खुद उनके निवास स्थान पर जाकर यह अनूठा सम्मान प्रदान करें।



संतों में उत्साह, सनातन प्रेमियों में उमंग

भजनलाल सरकार की इस अनोखी पहल से धार्मिक जगत में उत्साह की लहर दौड़ गई है। संत समाज इसे सनातन संस्कृति के लिए एक सकारात्मक संकेत मान रहा है। वर्षों बाद पहली बार ऐसा मौका आया है जब राज्य सरकार खुद संतों के द्वार पर जाकर सम्मान अर्पित करेगी।



भाजपा ने भी कस ली कमर, पार्टी के नेता खुद पहुंचेंगे संतों के चरणों में

सरकारी स्तर पर होने वाले इस आयोजन में भारतीय जनता पार्टी भी पूरा दमखम दिखाने जा रही है।भाजपा जिला संयोजक एडवोकेट सरजीत चौधरी ने बताया कि—10 जुलाई को भाजपा जिलाध्यक्ष एवं जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरि के नेतृत्व मेंं जिलेभर में मौजूद मठों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भाजपा पदाधिकारी पहुंचेंगे। वहां के संत-महात्माओं, पुजारियों का सम्मान समारोह आयोजित करेंगे। इस अभियान में भाजपा जिलाध्यक्ष हर्षिनी कुलहरी, विधायकगण, जनप्रतिनिधि, मंडल अध्यक्ष व अन्य संगठन के कार्यकर्ता पूरी सक्रियता से भाग लेंगे।



वर्चुअल मीटिंग में हुआ ब्लूप्रिंट तैयार

गुरु पूर्णिमा समारोह को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, कार्यक्रम संयोजक अरुण चतुर्वेदी, सह संयोजक सौरभ सारस्वत, पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी सहित कई नेताओं ने झुंझुनूं जिला नेतृत्व से वर्चुअल मीटिंग कर रणनीति तैयार की। इस बैठक में समारोह की रूपरेखा, सम्मान के तरीके, क्षेत्रीय संतों की सूची और मीडिया कवरेज पर विस्तार से चर्चा हुई। सिर्फ धार्मिक संत ही नहीं, इस कार्यक्रम में शिक्षा, खेल जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले स्थानीय नागरिकों को भी सम्मानित किया जाएगा। इससे यह आयोजन धर्म और सामाजिक योगदान का संगम बनने जा रहा है।



दावा किया जा रहा है कि भजनलाल सरकार का यह कदम सिर्फ एक धार्मिक सम्मान नहीं, बल्कि राजस्थान में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दस्तक माना जा रहा है। एक ओर जहां धर्म के क्षेत्र में संतो को सम्मानित किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर इससे राज्य सरकार सनातन परंपरा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित करेगी।



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