नई दिल्ली: पिछले पांच साल में दिल्ली मेट्रो के अंदर हर साल 300 से 500 सीसीटीवी कैमरे खराब पाए गए है। DMRC का साल 2020 से लेकर साल 2024 तक का डेटा बताता है कि 2020 में 479, 2021 में 432, 2022 में 503, 2023 में 337 और 2024 में 406 कैमरे ट्रेन के अंदर काम नहीं कर रहे थे। यह जानकारी मिष्टी खुराना और यशिका जैन की आरटीआई के जवाब में डीएमआरसी ने दी है।
सेवा से पहले किया जाता चेक
डीएमआरसी का कहना है कि सभी ट्रेनों को सेवा में शामिल किए जाने से पहले निरीक्षण से गुजारा जाता है। अगर कोई कैमरा खराब पाया जाता है तो उसकी मरम्मत होती है। यह वार्षिक संख्या है, जो 24 हजार सीसीटीवी कैमरों के नेटवर्क के संदर्भमें बहुत ही कम है यानी अधिकतर कैमरे हर दिन पूरी तरह काम करते हैं।
सुरक्षा से जुड़ी स्टडी ने भी चौंकाया
मेट्रो में महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर की गई स्टडी के आधार पर 'हर हक' (Her Haq) एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया कि पुराने स्टेशनों और ऑफ-पीक घंटो में सीसीटीवी निगरानी कमजोर रहती है।
NGO ने डीएमआरसी को दिए कई सुझाव
सर्वे में शामिल 71 में से 60 महिलाओं ने मेट्रो में कभी न कभी उत्पीड़न का सामना करने की बात कही। एनजीओ ने सिफारिशें दी है कि सभी गेट और प्लैटफॉर्म पर सेंट्रलाइज्ड हेल्पलाइन साइनेज लगे, फीडबैक सिस्टम भी बने।
DMRC ने इस मामले में दी ये सफाई
डीएमआरसी का कहना है कि 350 से अधिक ट्रेनों के बेड़े में महिलाओं के लिए आरक्षित कोच है। ट्रेनों के अंदर 11 हजार सीसीटीवी कैमरे लगे है। हर कोच में पैसेंजर इमरजेंसी अलार्म बटन भी मौजूद है।
सेवा से पहले किया जाता चेक
डीएमआरसी का कहना है कि सभी ट्रेनों को सेवा में शामिल किए जाने से पहले निरीक्षण से गुजारा जाता है। अगर कोई कैमरा खराब पाया जाता है तो उसकी मरम्मत होती है। यह वार्षिक संख्या है, जो 24 हजार सीसीटीवी कैमरों के नेटवर्क के संदर्भमें बहुत ही कम है यानी अधिकतर कैमरे हर दिन पूरी तरह काम करते हैं।
सुरक्षा से जुड़ी स्टडी ने भी चौंकाया
मेट्रो में महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर की गई स्टडी के आधार पर 'हर हक' (Her Haq) एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया कि पुराने स्टेशनों और ऑफ-पीक घंटो में सीसीटीवी निगरानी कमजोर रहती है।
NGO ने डीएमआरसी को दिए कई सुझाव
सर्वे में शामिल 71 में से 60 महिलाओं ने मेट्रो में कभी न कभी उत्पीड़न का सामना करने की बात कही। एनजीओ ने सिफारिशें दी है कि सभी गेट और प्लैटफॉर्म पर सेंट्रलाइज्ड हेल्पलाइन साइनेज लगे, फीडबैक सिस्टम भी बने।
DMRC ने इस मामले में दी ये सफाई
डीएमआरसी का कहना है कि 350 से अधिक ट्रेनों के बेड़े में महिलाओं के लिए आरक्षित कोच है। ट्रेनों के अंदर 11 हजार सीसीटीवी कैमरे लगे है। हर कोच में पैसेंजर इमरजेंसी अलार्म बटन भी मौजूद है।
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चोरीˈ करो… हर दिन 2000 दूंगा! 70 से ज्यादा केस में आरोपी, फिर ऐसे चढ़ा कानून के हाथ﹒




