नोएडा: उत्तर प्रदेश सरकार एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है। शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा में हुई बैठक में औद्योगिक विकास के लिए जमीन देने की प्रक्रिया को आसान बनाने पर बात हुई। सरकार चाहती है कि निवेशक बिना किसी परेशानी के आसानी से जमीन पा सकें। इसके लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरण को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। सभी विकास प्राधिकरणों को 100 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों के लिए 15 दिनों के अंदर जमीन देने और अपनी जमीन के बारे में जानकारी को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए कहा गया।
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना चाहती है। इसलिए सरकार ने ज़मीन से जुड़े नियमों को आसान बनाने का फैसला किया है। क्राउन प्लाजा होटल में हुई बैठक में सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सीईओ शामिल हुए। इस मीटिंग में औद्योगिक विकास को तेज़ करने के लिए एक योजना बनाई गई। बैठक में जमीन आवंटन को तेजी से पूरा करने, जमीन लेने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने और निवेशकों को हरसंभव मदद देने पर जोर दिया गया। UPSIDA, NOIDA, GNIDA, YEIDA, UPEIDA, GIDA, BIDA (झांसी), और SIDA (जौनपुर) के अधिकारियों ने भी इस मीटिंग में हिस्सा लिया। मीटिंग का मकसद ज़मीन से जुड़े पुराने मुद्दों को सुलझाना और बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा देना था।
132 निवेश प्रस्तावों पर हुई बातमीटिंग में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के 132 निवेश प्रस्तावों पर बात हुई। इनकी कुल कीमत 1.68 लाख करोड़ से ज़्यादा है। ये प्रस्ताव इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, फूड प्रोसेसिंग, वेयरहाउसिंग, सीमेंट और डेटा सेंटर जैसे सेक्टरों से जुड़े हैं। यह भी तय किया गया कि 25,000 एकड़ से ज़्यादा जमीन के बारे में जानकारी हर महीने अपडेट की जाएगी। सभी विकास प्राधिकरणों के लिए एक जैसे नियम बनाने और बिल्डिंग के नियमों को आसान बनाने पर भी चर्चा हुई।
33 हजार से ज्यादा प्लाटों का सर्वेInvest UP और विकास प्राधिकरणों ने बताया कि उन्होंने 33,000 से ज्यादा औद्योगिक प्लॉट का सर्वे किया है। इनमें से लगभग 25% खाली हैं। सरकार चाहती है कि इन प्लॉटों पर जल्द से जल्द काम शुरू हो। IDAs को सोलर मैन्युफैक्चरिंग, डेटा सेंटर, लॉजिस्टिक्स, IT/ITeS और फूड प्रोसेसिंग जैसे सेक्टरों के लिए जमीन तैयार करने के लिए कहा गया है।
ये अहम फैसले भी लिए गएमीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। इनमें जमीन की उपलब्धता और मैपिंग, 132 बड़े निवेश प्रस्ताव, जमीन आवंटन के लिए SOP, निवेश मित्र 3.0 में सुधार, एकीकृत भूमि नीति (2025) और उप-कानून, प्लग-एंड-प्ले पार्क को प्रोत्साहन, इंडस्ट्रियल पार्क और PPP मॉडल, औरश्रम एवं नियामक ईओडीबी में सुधार आदि शामिल हैं।
15 दिनों के भीतर जमीन देने के निर्देशअवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि निवेशकों के लिए जमीन उपलब्ध कराना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना उत्तर प्रदेश की औद्योगिक रणनीति का मूल है। अगस्त में, मुख्य सचिव के मार्गदर्शन में तीन उच्च-स्तरीय समितियां बनाई गईं। इनका काम ज़मीन की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना है। मीटिंग में सभी विकास प्राधिकरणों को 100 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों के लिए 15 दिनों के अंदर जमीन देने और अपनी जमीन के बारे में जानकारी को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए कहा गया।
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना चाहती है। इसलिए सरकार ने ज़मीन से जुड़े नियमों को आसान बनाने का फैसला किया है। क्राउन प्लाजा होटल में हुई बैठक में सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सीईओ शामिल हुए। इस मीटिंग में औद्योगिक विकास को तेज़ करने के लिए एक योजना बनाई गई। बैठक में जमीन आवंटन को तेजी से पूरा करने, जमीन लेने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने और निवेशकों को हरसंभव मदद देने पर जोर दिया गया। UPSIDA, NOIDA, GNIDA, YEIDA, UPEIDA, GIDA, BIDA (झांसी), और SIDA (जौनपुर) के अधिकारियों ने भी इस मीटिंग में हिस्सा लिया। मीटिंग का मकसद ज़मीन से जुड़े पुराने मुद्दों को सुलझाना और बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा देना था।
132 निवेश प्रस्तावों पर हुई बातमीटिंग में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के 132 निवेश प्रस्तावों पर बात हुई। इनकी कुल कीमत 1.68 लाख करोड़ से ज़्यादा है। ये प्रस्ताव इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, फूड प्रोसेसिंग, वेयरहाउसिंग, सीमेंट और डेटा सेंटर जैसे सेक्टरों से जुड़े हैं। यह भी तय किया गया कि 25,000 एकड़ से ज़्यादा जमीन के बारे में जानकारी हर महीने अपडेट की जाएगी। सभी विकास प्राधिकरणों के लिए एक जैसे नियम बनाने और बिल्डिंग के नियमों को आसान बनाने पर भी चर्चा हुई।
33 हजार से ज्यादा प्लाटों का सर्वेInvest UP और विकास प्राधिकरणों ने बताया कि उन्होंने 33,000 से ज्यादा औद्योगिक प्लॉट का सर्वे किया है। इनमें से लगभग 25% खाली हैं। सरकार चाहती है कि इन प्लॉटों पर जल्द से जल्द काम शुरू हो। IDAs को सोलर मैन्युफैक्चरिंग, डेटा सेंटर, लॉजिस्टिक्स, IT/ITeS और फूड प्रोसेसिंग जैसे सेक्टरों के लिए जमीन तैयार करने के लिए कहा गया है।
ये अहम फैसले भी लिए गएमीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। इनमें जमीन की उपलब्धता और मैपिंग, 132 बड़े निवेश प्रस्ताव, जमीन आवंटन के लिए SOP, निवेश मित्र 3.0 में सुधार, एकीकृत भूमि नीति (2025) और उप-कानून, प्लग-एंड-प्ले पार्क को प्रोत्साहन, इंडस्ट्रियल पार्क और PPP मॉडल, औरश्रम एवं नियामक ईओडीबी में सुधार आदि शामिल हैं।
15 दिनों के भीतर जमीन देने के निर्देशअवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि निवेशकों के लिए जमीन उपलब्ध कराना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना उत्तर प्रदेश की औद्योगिक रणनीति का मूल है। अगस्त में, मुख्य सचिव के मार्गदर्शन में तीन उच्च-स्तरीय समितियां बनाई गईं। इनका काम ज़मीन की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना है। मीटिंग में सभी विकास प्राधिकरणों को 100 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों के लिए 15 दिनों के अंदर जमीन देने और अपनी जमीन के बारे में जानकारी को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए कहा गया।
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