नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत बनाई जा रही नई वोटर लिस्ट मॉडल को आयोग पूरे देश की नई वोटर लिस्ट को बनाने में भी आजमाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट में 28 अगस्त को होने वाली सुनवाई आयोग के पक्ष में रही तो फिर डेट की घोषणा के साथ ही अगस्त में ही पैन इंडिया नई वोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन इससे पहले दिल्ली समेत कुछ राज्य के सीईओ ने अपनी वेबसाइट पर अंतिम बार हुए SIR वाली वोटर लिस्ट को अपलोड किया है। लेकिन इस लिस्ट से वोटरों को अपना नाम सर्च करने में खासी परेशानी आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की एसआईआर वाली वोटर लिस्ट का ही उदाहरण लें तो इसमें 2008 की वोटर लिस्ट को अपलोड किया गया है। लेकिन इस लिस्ट में वोटरों को अपने नाम वाले पेज पर जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अगर आयोग ना केवल दिल्ली बल्कि तमाम राज्यों के सीईओ ऑफिस वेबसाइट पर इस एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में सर्च ऑप्शन भी दे दे तो अच्छा रहेगा। जिससे जिन वोटरों के नाम उस एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में हों। वह उस वोटर लिस्ट में सर्च ऑप्शन पर जाकर अपने वोटर कार्ड यानी एपिक नंबर, नाम या रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ना केवल अपना नाम खोज सकें, बल्कि सिस्टम उन्हें सीधे वोटर लिस्ट में उन्हें उनके नाम वाले पेज पर भेज दे।
चुनाव आयोग को तैयारियां तेज करनी होगी
बिहार में कितनी रफ्तार से चल रहा काम? इधर, बिहार की बनाई जा रही नई वोटर लिस्ट ड्राइव में अभी तक 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 वोटरों में से 90.12 फीसदी यानी सात करोड़ 11 लाख 72 हजार 660 वोटरों के एनुमरेशन फॉर्म मिल चुके हैं। अभियान के दौरान 36 लाख 86 हजार 971 ऐसे वोटर मिले जिनकी डेथ हो गई, स्थायी तौर पर शिफ्ट हो गए, एक से अधिक जगह वोटर कार्ड बनवा रखे हैं या फिर उनका कुछ पता ही नहीं चल पा रहा।
इसी तरह से 41 लाख 10 हजार 213 वोटरों ने अभी तक अपने एनुमरेशन फॉर्म ना तो बीएलओ को जमा किए और ना ही ऑनलाइन जमा किए। अब ऐसे 77 लाख 97 हजार 184 वोटरों की लिस्ट चुनाव आयोग ने तमाम राजनीतिक दलों को देना शुरू किया है। ताकि आयोग के बीएलओ के अलावा राजनीतिक दलों के बीएलए भी इन वोटरों को ढूंढ सकें। अगर बीएलए को भी ऐसा कोई वोटर मिलता है तो वह उसका फॉर्म लेकर आयोग को जमा करा सकते हैं। ताकि किसी भी जेनवन वोटर का नाम वोटर लिस्ट में जुड़ने से ना रह जाए।
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की एसआईआर वाली वोटर लिस्ट का ही उदाहरण लें तो इसमें 2008 की वोटर लिस्ट को अपलोड किया गया है। लेकिन इस लिस्ट में वोटरों को अपने नाम वाले पेज पर जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अगर आयोग ना केवल दिल्ली बल्कि तमाम राज्यों के सीईओ ऑफिस वेबसाइट पर इस एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में सर्च ऑप्शन भी दे दे तो अच्छा रहेगा। जिससे जिन वोटरों के नाम उस एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में हों। वह उस वोटर लिस्ट में सर्च ऑप्शन पर जाकर अपने वोटर कार्ड यानी एपिक नंबर, नाम या रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से ना केवल अपना नाम खोज सकें, बल्कि सिस्टम उन्हें सीधे वोटर लिस्ट में उन्हें उनके नाम वाले पेज पर भेज दे।
चुनाव आयोग को तैयारियां तेज करनी होगी
- चुनाव आयोग को अभी से ही देश के सभी राज्यों के सीईओ को यह आदेश देना चाहिए कि वह अपने-अपने राज्यों की वोटर लिस्ट को अपनी वेबसाइट पर अभी से ही अपलोड करना भी शुरू कर दें। ताकि लोगों में एक साथ पैनिक ना हो और वह समय रहते अपने नाम को एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में खोजने के साथ ही जरूरत के मुताबिक जरूरी दस्तावेज भी जुटा सकें।
- इसके अलावा सूत्रों का यह भी कहना है कि अच्छा तो यह भी रहे कि बिहार के अलावा अब आयोग आयोग पूरे देश के लिए एसआईआर वाली वोटर लिस्ट के वोटरों के एपिक नंबर से नाम वाले पेज को खोजकर उन्हें बांटे जाने वाले एनुमरेशन फॉर्म के साथ ही देना भी शुरू कर दे। ताकि एसआईआर वाली लिस्ट वाले वोटरों को अपना नाम लिस्ट में खोजने की जरूरत ही ना पड़े।
बिहार में कितनी रफ्तार से चल रहा काम? इधर, बिहार की बनाई जा रही नई वोटर लिस्ट ड्राइव में अभी तक 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 वोटरों में से 90.12 फीसदी यानी सात करोड़ 11 लाख 72 हजार 660 वोटरों के एनुमरेशन फॉर्म मिल चुके हैं। अभियान के दौरान 36 लाख 86 हजार 971 ऐसे वोटर मिले जिनकी डेथ हो गई, स्थायी तौर पर शिफ्ट हो गए, एक से अधिक जगह वोटर कार्ड बनवा रखे हैं या फिर उनका कुछ पता ही नहीं चल पा रहा।
इसी तरह से 41 लाख 10 हजार 213 वोटरों ने अभी तक अपने एनुमरेशन फॉर्म ना तो बीएलओ को जमा किए और ना ही ऑनलाइन जमा किए। अब ऐसे 77 लाख 97 हजार 184 वोटरों की लिस्ट चुनाव आयोग ने तमाम राजनीतिक दलों को देना शुरू किया है। ताकि आयोग के बीएलओ के अलावा राजनीतिक दलों के बीएलए भी इन वोटरों को ढूंढ सकें। अगर बीएलए को भी ऐसा कोई वोटर मिलता है तो वह उसका फॉर्म लेकर आयोग को जमा करा सकते हैं। ताकि किसी भी जेनवन वोटर का नाम वोटर लिस्ट में जुड़ने से ना रह जाए।
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