नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पार्टी के कुछ नेता उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की सोच रहे हैं। थरूर को पाकिस्तान पर सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली है। इससे कांग्रेस में कुछ लोग नाराज हैं। उनका मानना है कि थरूर बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं। कांग्रेस के कई नेता थरूर को पार्टी के लिए खतरा मान रहे हैं। उन्हें डर है कि 2026 के केरल विधानसभा चुनाव में थरूर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस पहले ही परेशान है। इसलिए कुछ नेता चाहते हैं कि थरूर भी पार्टी छोड़ दें, इससे पहले कि वो कोई और बड़ा झटका दे दें। शशि थरूर को लेकर मुश्किल में फंसी है कांग्रेसNews18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि थरूर को अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए था। प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से पहले उन्हें पार्टी से सलाह लेनी चाहिए थी। थरूर ने सोशल मीडिया पर तुरंत इस जिम्मेदारी को स्वीकार कर लिया। इससे भी कांग्रेस के कुछ नेता नाराज हैं। उन्हें लगता है कि थरूर को पार्टी को भी धन्यवाद देना चाहिए था। कांग्रेस इन सबको लेकर मुश्किल में है। अगर वो थरूर के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है, तो बीजेपी को हमला करने का मौका मिल जाएगा। अगले कुछ दिनों में कांग्रेस ले सकती है कोई एक्शनइसी रिपोर्ट के अनुसार थरूर को जल्द ही नोटिस भेजा जा सकता है। पार्टी उन पर नजर रखेगी कि वो आगे क्या करते हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि थरूर चार बार सांसद रह चुके हैं। पार्टी को लगता है कि उन्होंने राजनीति में काफी समय बिता लिया है। अगर वो पार्टी में बने रहते हैं, तो भविष्य में, खासकर केरल में, पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पार्टी अगले कुछ दिनों में इस बारे में रणनीति बनाएगी। पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को लगता है कि थरूर कई बार बीजेपी के तरीके से बात करते हैं। अगर वो पार्टी में रहे, तो केरल में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। पहले भी कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, इसलिए ये नेता चाहते हैं कि थरूर भी चले जाएं। उनका यह भी मानना है कि थरूर को सोच समझकर बोलना चाहिए। कांग्रेस नेताओं की आंखों में क्यों चुभ रहे हैं थरूरदरअसल, पहले पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा इंतजामों को लेकर जिस तरह से केरल के तिरुवनंतपुरम के सांसद ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का बचाव किया है और उसके बाद से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सैन्य कार्रवाई से लेकर कूटनीतिक स्तर पर भारत सरकार की पहल की वह सराहना कर रहे हैं, उससे कांग्रेस पार्टी बहुत ही असहज है। इसी महीने की शुरुआत में जिस तरह से एक सरकारी कार्यक्रम में वे पीएम मोदी के साथ मंच पर दिखे, उससे कांग्रेस पार्टी को और भी जोर का झटका लगा था। ऐसे में सरकार की ओर से उन्हें सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का अगुवा बनाकर अमेरिका भेजने का सरकारी फैसला कांग्रेस की आंखों में बुरी तरह चुभ रहा है। कांग्रेस यहां तक कह रही है कि 'कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना' में फर्क है। पार्टी के अंदर से उनके लिए लक्ष्मण रेखा खींचे जाने की बातें पहले ही सामने आ चुकी है, अब लगता है कि उनके कांग्रेस में शायद गिनती के दिन ही रह गए हैं।
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