जयपुर विकास प्राधिकरण का दायरा अब दोगुना हो चुका है। नगरीय विकास विभाग द्वारा जारी की गई नई अधिसूचना के तहत जयपुर विकास प्राधिकरण यानी जेडीए का क्षेत्र अब 6000 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है, जो पहले लगभग 3000 वर्ग किलोमीटर था। इस विस्तार के साथ ही अब जयपुर ही नहीं, बल्कि कोटपूतली-बहरोड़ जिले तक जेडीए का नियंत्रण पहुंच गया है। इस बदलाव से जयपुर के साथ-साथ आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को नई दिशा मिलेगी।
इस अधिसूचना के अनुसार, 17 तहसीलों के कुल 632 गांवों को जेडीए के अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। इनमें विराटनगर तहसील के 9 गांव भी शामिल हैं। जेडीए का क्षेत्र पहले केवल 40 किलोमीटर तक सीमित था, जिसे अब 60 किलोमीटर तक विस्तारित कर दिया गया है। इस विस्तार में जोबनेर, शाहपुरा और चाकसू नगर पालिकाओं के मास्टर प्लान में शामिल 47 गांव भी जोड़े गए हैं। जयपुर, सांगानेर और चौमूं तहसील के 14 गांव, जो पहले जेडीए की सीमा से बाहर थे, अब इसमें आ गए हैं।
इस नए विस्तार में सबसे अधिक गांव माधोराजपुरा तहसील से जोड़े गए हैं, जहां से कुल 98 गांव शामिल किए गए। बस्सी से 86, चाकसू और जमवारामगढ़ से 58-58, शाहपुरा से 55, जालसू से 51, चौमूं से 44, जोबनेर से 43, फागी से 41, आंधी से 36 और तूंगा से 25 गांव जोड़े गए हैं। इसके अलावा कोटखावदा से 14, विराटनगर से 9, दूदू से 6, और किशनगढ़-रेनवाल व फुलेरा से 4-4 गांवों को भी जेडीए में शामिल किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह विस्तार एक बड़े परिवर्तन की शुरुआत मानी जा रही है। अब जेडीए इन गांवों में आधारभूत ढांचे का विकास करेगा, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रोड नेटवर्क है। अब इन क्षेत्रों में 80 फीट या उससे चौड़ी सड़कें बनाई जाएंगी, जिससे गांवों की कनेक्टिविटी आस-पास के कस्बों और शहरों से बेहतर हो सकेगी। यह बदलाव उन गांवों के लिए खास फायदेमंद साबित होगा जहां जनसंख्या तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सड़कें संकरी और अव्यवस्थित हैं।
जेडीए अब इन सभी गांवों को आगामी मास्टर प्लान में शामिल करेगा। इसके तहत कॉलोनियों, सड़कों, सार्वजनिक सुविधाओं और विकास कार्यों की योजनाएं तैयार की जाएंगी। सरकारी और खातेदारी जमीनों के लैंड यूज में बदलाव का अधिकार भी अब जेडीए के पास होगा। इससे कृषि भूमि को आवासीय या वाणिज्यिक उपयोग में बदलने की प्रक्रिया आसान होगी और नई कॉलोनियों, हाउसिंग स्कीम्स व वाणिज्यिक योजनाओं को सीधा लाभ मिलेगा। यह फैसला क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ निवेश की संभावनाओं को भी बढ़ावा देगा।
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