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केरल की ताड़ी में अब होगा ज्यादा नशा, सरकार ने तय की अल्कोहल लिमिट

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केरल में पारंपरिक पेय ताड़ी को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है, जो न केवल ताड़ी प्रेमियों के लिए राहत की खबर है, बल्कि उन हजारों लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है, जिनकी रोज़ी-रोटी इस इंडस्ट्री से जुड़ी है। अब राज्य सरकार ने ताड़ी में अल्कोहल की लीगल लिमिट को 8.1% से बढ़ाकर 8.98% कर दिया है। वर्षों से चली आ रही बहस—जो स्वास्थ्य बनाम परंपरा के बीच झूल रही थी—अब इस निर्णय के साथ एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

यह अहम अपडेट सुप्रीम कोर्ट की पहल के बाद सामने आया, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी समीक्षा करने को कहा गया था। एक्सपर्ट्स की राय यह आई कि नई लिमिट ताड़ी के नेचुरल फर्मेंटेशन लेवल से मेल खाती है, यानी यह बदलाव प्राकृतिक प्रक्रियाओं के अनुरूप है। इससे जुड़े जानकारों का मानना है कि यह कदम न केवल ताड़ी इंडस्ट्री को स्थिरता देगा, बल्कि राज्य की पारंपरिक विरासत को भी संरक्षित करेगा। “ये सिर्फ शराब नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा है,” एक एक्सपर्ट ने भावुक होकर कहा।

पहले क्या होती थी दिक्कत?


पहले जब अल्कोहल की लिमिट काफी कम थी, तब ताड़ी निकालने वाले (टैपर्स) और विक्रेता लगातार कानूनी पचड़ों में फंसते रहते थे। ज़रा सोचिए, एक पूरी इंडस्ट्री प्राकृतिक प्रक्रिया की वजह से बार-बार संकट में आ जाती थी! नेचुरल फर्मेंटेशन के कारण ताड़ी में अल्कोहल का प्रतिशत अक्सर निर्धारित सीमा से थोड़ा ऊपर चला जाता था, जिससे इन पर भारी जुर्माने लगते थे या लाइसेंस रद्द कर दिए जाते थे। यह उन छोटे उत्पादकों के लिए मानसिक और आर्थिक बोझ बन गया था, जो इस परंपरा को पीढ़ियों से संजोए हुए हैं।

ताड़ी इंडस्ट्री पर क्या पड़ रहा था असर?

ताड़ी उत्पादकों और विक्रेताओं के संगठनों ने लंबे समय से इस नियम में बदलाव की मांग की थी। उनका कहना था कि ताड़ी पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पाद है, जिसकी अल्कोहल मात्रा मौसम और किण्वन प्रक्रिया पर निर्भर करती है। उन्होंने यह भी दलील दी कि कड़े नियम ताड़ी व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे थे, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका खतरे में थी। यह महज़ एक पेय नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की धड़कन है, जिसे दबाया जा रहा था।

कल्चर और इकोनॉमी को करेगा प्रमोट

इस सकारात्मक बदलाव से ताड़ी इंडस्ट्री में नई ऊर्जा का संचार होगा। अब उत्पादक और विक्रेता अधिक आत्मविश्वास से काम कर पाएंगे, वहीं ग्राहकों को भी बेहतर गुणवत्ता की ताड़ी उपलब्ध हो सकेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला न केवल केरल की संस्कृति को मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय इकोनॉमी को भी रफ्तार देगा। यह कदम पारंपरिक ज्ञान को मान्यता देने की दिशा में एक संतुलित प्रयास है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नई अल्कोहल लिमिट भी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तय की गई है, ताकि किसी भी प्रकार के दुरुपयोग को रोका जा सके।

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