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महाभारत में कई ऐसी घटनाएं घटी जिनके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होगी। हम आपको एक ऐसे ही किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं। जब अज्ञातवास के दौरान पांडव विराट नगर में रह रहे थे, तो कुछ लोग द्रौपदी को जिंदा जलाना चाहते थे। वे द्रौपदी को खींचकर श्मशान घाट तक भी ले गए थे। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में।
विराट नगर में पांडवों ने बिताया अज्ञातवास
महाभारत के अनुसार, 12 वर्ष के वनवास के दौरान पांडवों को 1 साल के लिएअज्ञातवास में भी रहना था यानी अपनी पहचान छिपाते हुए उन्हें वहां रहना था। जब अज्ञातवास शुरू हुआ तो युधिष्ठिर और अन्य पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र एक शमी के पेड़ के ऊपर छुपा कर रख दिए और विराट नगर में रूप बदलकर रहने लगे। द्रौपदी भी विराट नगर की रानी की सेविका बनकर वहां रह रही थी। भीम उस दौरान रसोईए बन गए। अर्जुन किन्नर बनकर नृत्य सीखाने लगे। नकुल घोड़ों की और सहदेव गायों की सेवा करने लगे। वहीं युधिष्ठिर राजा विराट के सेवक बन गए।
द्रौपदी पर कीचक की थी बुरी नजर
द्रौपदी एक रानी की सेविका बनी। उसी राजा विराट का साला कीचक द्रौपदी पर बुरी नजर रखता था। एक दिन जब द्रौपदी अकेली थी तो उसने द्रौपदी के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की। जब भीम को पता चला तो उसने कीचक को एकांत में बुलाकर उसे जान से मार दिया। कीचक के मरने की बात जब अन्य लोगों की पता चली तो द्रौपदी ने कहा कि ‘5 गंधर्व मेरे पति हैं, उन्होंने ही कीचक का वध किया है।’
कीचक के भाई द्रौपदी को जलाना चाहते थे जिंदा
कीचक के भाइयों को जब कीचक के वध के बारे में जानकारी हुई तो वो इसका कारण द्रौपदी को मानने लगे। वे सभी द्रौपदी को खींचकर श्मशान तक ले गए ताकि क्योकिं वे उसे कीचक के साथ जिंदा ही जलाना चाहते थे। भीम ने जब ये देखा तो वो पहले ही श्मशान पहुंच गए। वहां भीम ने एक बहुत विशाल पेड़ उखाड़ लिया और कीचक के भाइयों को मारने के लिए उनके पीछे दौड़ पड़े।
जब द्रौपदी से डर गए विराट नगर के राजा भीम ने कीचक के सभी भाइयों को जान से मार दिया क्योकि वह बेहद ही ताकतवर थे। भीम के कहने पर द्रौपदी महल लौट आई। राजा विराट को जब ये जानकारी हुई कि कीचक के सभी भाई भी मारे गए हैं तो वे बहुत डर गए और उन्होंने द्रौपदी से विराट नगर छोड़कर जाने को कहा। इस पर द्रौपदी बोली कि मैं सिर्फ 13 दिन और आपके साथ इस महल में रहूंगी। उसके बाद मेरे गंधर्व पति स्वयं मुझे यहां से ले जाएंगे। द्रौपदी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उस समय पांडवों के अज्ञातवास खत्म होने से 13 दिन ही शेष बचे थे।
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