New Delhi, 7 अगस्त . भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता जून 2025 तक 485 गीगावाट है और सरकार देश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 2031-32 तक इसे बढ़ाकर लगभग 870 गीगावाट करने की योजना बना रही है. यह जानकारी सरकार द्वारा Thursday को संसद को दी गई.
विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने Lok Sabha में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि तेज आर्थिक विकास, घरेलू विद्युतीकरण में विस्तार, बढ़ते शहरीकरण, जीवन स्तर में सुधार और एयर कंडीशनर व इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी ऊर्जा-गहन तकनीकों के बढ़ते उपयोग के कारण देश में बिजली की मांग में वृद्धि हुई है.
नाइक ने बताया कि केंद्र ने वर्ष 2034-35 तक थर्मल (कोयला और लिग्नाइट) ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता लगभग 3,07,000 मेगावाट होने का अनुमान लगाया है, जबकि 31 मार्च, 2023 तक स्थापित क्षमता 2,11,855 मेगावाट है. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, विद्युत मंत्रालय ने न्यूनतम 97,000 मेगावाट अतिरिक्त कोयला और लिग्नाइट आधारित थर्मल ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है.
अप्रैल 2023 से जून 2025 तक लगभग 11,680 मेगावाट की थर्मल क्षमताएं पहले ही चालू हो चुकी हैं. इसके अतिरिक्त, 38,935 मेगावाट थर्मल क्षमता वर्तमान में निर्माणाधीन है. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 में 15,440 मेगावाट थर्मल क्षमता के लिए अनुबंध दिए जा चुके हैं और निर्माण कार्य पूरा होना है. उन्होंने बताया कि देश में अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए 35,460 मेगावाट कोयला और लिग्नाइट आधारित संभावित क्षमता की पहचान की गई है, जो नियोजन के विभिन्न चरणों में है.
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि 13,463.5 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा, 9,802 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएं नियोजन के विभिन्न चरणों में हैं और इन्हें 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
उन्होंने यह भी बताया कि 6,600 मेगावाट क्षमता की परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है और इसे 2029-30 तक पूरा करने का लक्ष्य है. 7,000 मेगावाट क्षमता की अन्य परमाणु क्षमता नियोजन और अनुमोदन के विभिन्न चरणों में है.
इसके अलावा, 1,58,450 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 74,150 मेगावाट सौर ऊर्जा, 30,080 मेगावाट पवन ऊर्जा और 53,750 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है, जबकि 62,000 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता नियोजन के विभिन्न चरणों में है, जिसमें 46,010 मेगावाट सौर ऊर्जा और 15,990 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है और इसे 2029-30 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
नाइक ने यह भी बताया कि ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में, 8,250 मेगावाट/49,500 मेगावाट घंटा पंप भंडारण परियोजनाएं (पीएसपी) निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा, कुल 5,780 मेगावाट/34,680 मेगावाट घंटा क्षमता की पीएसपी पर सहमति बन चुकी है और उनका निर्माण कार्य अभी शुरू होना बाकी है.
इनमें से 3,500 मेगावाट/21,000 मेगावाट घंटा क्षमता वाली पीएसपी की बोली प्रक्रिया चल रही है, और 15,829 मेगावाट/51,106 मेगावाट घंटा क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) वर्तमान में निर्माण और बोली के विभिन्न चरणों में हैं.
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एबीएस/
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