Lucknow, 1 अक्टूबर . उत्तर प्रदेश की राजधानी Lucknow में Wednesday को आरएसएस विचार यात्रा के 100 वर्ष विशेषांक का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में संघ के Government्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मुख्य अतिथि रहे. इसके साथ ही मंत्री असीम अरुण और मेयर सुषमा खर्कवाल के अलावा बड़ी संख्या में संघ के पदाधिकारी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
गोमती नगर के भागीदारी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के Government्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि स्वयंसेवक सेवक संघ समाज में परिवर्तन लाने की कल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है. स्वयंसेवक संघ के 100 साल के इतिहास में हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने कहा कि संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर एक आनंद का वातावरण बना हुआ है.
आज India Government ने संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर एक विशेष डाक टिकट और चांदी का सिक्का जारी किया है. आरएसएस की शुरुआत अपने प्रचार, Political लाभ या धन अर्जन के लिए नहीं की गई थी. इसकी शुरुआत समाज में एक वैचारिक जागृति लाने के लिए की गई थी. होसबाले ने कहा कि India Government के इस कदम से समाज में एक संदेश जाएगा. उन्होंने कहा कि समाज में संघ का स्टांप होना और सिक्का होना यह पिछले 100 वर्षों में हुआ है. इसलिए India Government ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.
इससे पहले सुबह 10:30 बजे New Delhi के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में Prime Minister Narendra Modi ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल बताया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं.
Prime Minister मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र निर्माण का विराट उद्देश्य लेकर चल रहा है. संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का रास्ता चुना. इस रास्ते पर सतत चलने के लिए नित्य और नियमित चलने वाली शाखा के रूप में कार्य पद्धति को चुना.
उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार जानते थे कि हमारा राष्ट्र तभी सशक्त होगा, जब हर व्यक्ति के भीतर राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध जागृत होगा. हमारा राष्ट्र तभी ऊंचा उठेगा, जब India का हर नागरिक राष्ट्र के लिए जीना सीखेगा. इसलिए वे व्यक्ति निर्माण में निरंतर जुड़े रहे. उनका तरीका अलग था. हमने बार-बार सुना है कि डॉ. हेडगेवार जी कहते थे कि जैसा है, वैसा लेना है. जैसा चाहिए, वैसा बनाना है.
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मोहित/डीएससी
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