नई दिल्ली, 22 अक्टूबर . भारत कार्बन उत्सर्जन घटाने में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है. साथ ही देश की ओर से रिल्यूएबल एनर्जी क्षमता को बढ़ाया जा रहा है. फॉसिल फ्यूल नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी इनिशिएटिव के ग्लोबल इंगेजमेंट डारेक्टर हरजीत सिंह की ओर से मंगलवार को यह बयान दिया गया.
‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2024’ के साइडलाइन में सिंह ने से बातचीत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर विकसित देशों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया गया है. न ही उन्होंने कार्बन उत्सर्जन को कम किया और न ही विकासशील देशों को फाइनेंसिंग उपलब्ध कराई है.
उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन में आज के समय में भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है. हम कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं और साथ ही रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को बढ़ा रहे हैं. भारत ने नेतृत्व करके दिखाया है कि कैसे विकासशील और विकसित देशों के साथ काम करके बड़ी समस्या को सुलझाया जा सकता है.
सिंह ने बताया कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समिट के दौरान कहा कि सरकार का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर है. यह जमीन पर दिखाई दे रहा है कि कैसे एलईडी, इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस बढ़ा है.
सितंबर महीने में भारत के रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन ने 200 गीगावाट का आंकड़ा पार कर लिया है.
देश की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता अब कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 46.3 प्रतिशत है.
आंकड़ों के अनुसार, बिजली उत्पादन के मामले में राजस्थान 31.5 गीगावाट बिजली के साथ पहले स्थान पर है. इसके बाद 28.3 गीगावाट बिजली उत्पादन कर गुजरात दूसरे नंबर पर और 23.7 गीगावाट के साथ तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है.
लिस्ट में कर्नाटक का नाम 22.3 गीगावाट बिजली उत्पादन के साथ चौथे स्थान पर आता है.
सरकार के अनुसार, देश में 2014 से रिन्यूएबल एनर्जी के माध्यम से बिजली उत्पादन में 86 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 193.5 बिलियन यूनिट से बढ़कर 360 बिलियन यूनिट हो गई.
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एबीएस/
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