इस्लामाबाद, 30 अप्रैल . पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रेस बयान से आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ)’ का उल्लेख हटाने के लिए दबाव डाला. प्रस्ताव में पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की गई थी.
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 29 अप्रैल को बोलते हुए डार ने खुलासा किया कि इस्लामाबाद ने परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में अपने पद का इस्तेमाल अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित बयान की भाषा को बदलने के लिए किया. इसमें मूल रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी समूह ‘लश्कर-ए-तैयबा’ से जुड़े ‘टीआरएफ’ का नाम लेकर उसकी निंदा की गई थी.
बता दें टीआरएफ ने पहलगाम नरसंहार की जिम्मेदारी ली है.
यूएनएससी प्रेस वक्तव्य एक घोषणा है जिस पर सभी 15 सदस्य देश सहमत होते हैं. प्रेस वक्तव्य जारी करने के लिए सुरक्षा परिषद के हर एक सदस्य को अंतिम पाठ पर अपनी स्वीकृति देनी होती है.
डार ने टीआरएफ के लिए एक दूसरे नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा, “पाकिस्तान की ओर से मुझे [बयान पर] दो आपत्तियां थीं. पहली, केवल पहलगाम का उल्लेख किया गया और दूसरी, इसका दोष ‘द रेजिस्टेंस फोरम’ पर लगाया गया. मुझे लगा कि यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. आपको पहलगाम के साथ जम्मू और कश्मीर भी लिखना होगा.”
माना जाता है कि टीआरएफ का जन्म तब हुआ जब भारत सरकार ने 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया.
डार के मुताबिक यह संगठन स्थानीय आबादी की ओर से गठित एक ‘मंच’ मात्र है और उन्होंने इसे आतंकवादी समूह के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार कर दिया.
डार ने दावा किया कि इससे यूएनएससी के बयान पर बहस हुई, खास तौर पर अमेरिका के साथ. उन्होंने कहा, “मैंने यूएन में अपने राजदूत को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे संशोधन करवा के ही रहें.”
पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति में टीआरएफ का जिक्र करने के लिए सबूत पेश किए जाने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि मीडिया आई वे सभी खबरें झूठी हैं जिनमें कहा गया कि टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली.
डार के अनुसार, बयान को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में 2.5 दिन लग गए क्योंकि पाकिस्तान ने शुरुआती मसौदे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “मसौदे पर आम सहमति बनाने के लिए मुझे बड़ी-बड़ी राजधानियों से फोन आए, लेकिन मैंने उनसे कहा कि कुछ नहीं किया जाएगा.”
डार ने दावा किया कि अंततः, पाकिस्तान की आपत्तियों का असर यूएनससी की ओर से जारी अंतिम प्रेस वक्तव्य में साफ नजर आया.
परिषद ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की ‘कड़े शब्दों में निंदा की’, लेकिन पहलगाम या किसी आतंकवादी समूह का नाम नहीं लिया. बयान का बाकी हिस्सा सामान्य था.
15 सदस्यीय परिषद ने इस बात की पुष्टि की कि ‘आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.” इसमें कहा गया कि आतंकवाद के कृत्य ‘आपराधिक और अनुचित’ हैं, चाहे प्रेरणा या अपराधी कुछ भी हों.
प्रस्ताव में कहा गया कि इस ‘आतंकवाद के निंदनीय कृत्य’ के लिए जिम्मेदार लोगों – अपराधियों से लेकर प्रायोजकों और वित्तपोषकों तक – को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.
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एमके/
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