देहरादून, 11 अक्टूबर . 21 सितंबर को आयोजित होने वाली उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) को निरस्त कर दिया गया है. Chief Minister पुष्कर सिंह धामी ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर यह जानकारी साझा की.
सीएम धामी ने अपने पोस्ट में लिखा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को छात्रों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए निरस्त कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि यह निर्णय जांच आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि राज्य में परीक्षाओं की शुचिता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे. पुनः आयोजित होने वाली यह परीक्षा अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं डालेगी. उत्तराखंड में हर छात्र के लिए निष्पक्ष अवसर और भरोसेमंद परीक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है.
Chief Minister ने लिखा कि हमने नकल प्रकरण की जांच के लिए सीबीआई की संस्तुति कर दी है. हमारी Government छात्रों के भविष्य और अभिभावकों के विश्वास के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देगी.
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग ने Saturday को Chief Minister पुष्कर सिंह धामी को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी. इस आयोग की अध्यक्षता उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी कर रहे हैं.
Chief Minister धामी ने बताया कि आयोग ने कम समय में व्यापक जनसुनवाई की और अभ्यर्थियों व अन्य पक्षों से सुझाव लेकर यह रिपोर्ट तैयार की है. उन्होंने आयोग के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि Government इस रिपोर्ट का गहन अध्ययन करेगी और अभ्यर्थियों के हित में उचित निर्णय लेगी. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की जा चुकी है. इससे मामले की पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.
Chief Minister ने जोर देकर कहा कि राज्य Government परीक्षाओं की निष्पक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि किसी भी भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई गुंजाइश न रहे. उनका कहना था कि Government का लक्ष्य अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों का भरोसा परीक्षा प्रणाली पर बनाए रखना है.
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एमएस/जीकेटी
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