शिरडी ,1 अक्टूबर . साईं बाबा की 107वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शिरडी में चार दिवसीय महोत्सव की शुरुआत एक अक्टूबर को भव्य रूप से हुई. 15 अक्टूबर 1918 को विजयादशमी के दिन साईं बाबा ने महासमाधि ली थी, और तब से प्रत्येक वर्ष यह दिन श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट द्वारा ‘पुण्यतिथि महोत्सव’ के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष उत्सव की शुरुआत सुबह काकड़ आरती के साथ हुई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया.
उत्सव के पहले दिन शिरडी में भक्तिमय माहौल देखा गया. साईं बाबा की प्रतिमा, वीणा, और पोथी के साथ ढोल-ताशों की गूंज में एक भव्य जुलूस निकाला गया. इस जुलूस में श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के सीईओ गोरक्ष गाडिलकर, प्रशासकीय अधिकारी, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. समाधि मंदिर और परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया गया है.
विशेष रूप से गेट नंबर चार पर बनाया गया आकर्षक स्वागत कमान श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. महोत्सव में हजारों की संख्या में साईं भक्त शिर्डी पहुंचे हैं. समाधि मंदिर में दर्शन के लिए लंबी कतारें देखी जा रही हैं. श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं, जिसमें सुविधा केंद्र और सख्त सुरक्षा प्रबंध शामिल हैं. मंदिर परिसर में आध्यात्मिक वातावरण और सजावट भक्तों को एक अनूठा अनुभव प्रदान कर रहे हैं.
साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के सीईओ गोरक्ष गाडिलकर ने बताया कि से बातचीत में कहा कि उत्सव आज सुबह काकड़ आरती के साथ शुरू हुआ, जिससे हमें अपार खुशी मिली. दशहरे के दिन बाबा की आराधना विधि और भिक्षा झोली समारोह का आयोजन होगा, जो एक महान आशीर्वाद माना जाता है. यह उत्सव श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक है. बाबा का पुण्यतिथि महोत्सव चार दिनों तक चलेगा, जिसमें भव्य पालखी यात्रा होगी.
भक्तों के लिए आध्यात्मिक भजनों और प्रवचनों का आयोजन होगा. उत्सव के दौरान रथ यात्रा का विशेष आयोजन होगा. अंतिम दिन समाधि मंदिर में विशेष पूजा, आरती, और महाप्रसाद का वितरण होगा. संस्थान ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे शांति, अनुशासन, और श्रद्धा के साथ इस महोत्सव में भाग लें.
ट्रस्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े. बाबा की पुण्यतिथि केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण, और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है. यह उत्सव शिर्डी वासियों और साईं भक्तों के लिए एक ऐसा अवसर है जो उन्हें बाबा की शिक्षाओं और उनके प्रेम व करुणा के संदेश को आत्मसात करने का मौका देता है.
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डीकेएम/एएस
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