New Delhi, 5 अक्टूबर . अमेरिकी Government ने एच-1बी वीजा में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने का ऐलान किया. इसके बाद से चीन का ‘के वीजा’ काफी चर्चा में आया. अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा के नियमों में बदलाव के ऐलान के बाद से दुनिया के कई देशों ने युवा प्रतिभाओं के लिए अपना दरवाजा खोला है. इन देशों में चीन का नाम सबसे आगे है.
चीन ने प्रतिभाशाली युवाओं को अवसर देने के लिए ‘के-वीजा’ लॉन्च किया. एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाने के बाद चीन का के-वीजा सुर्खियों में आ गया है. हालांकि, युवाओं को आकर्षित करने के लिए चीन ‘के-वीजा’ में और भी रियायत दे रहा है. ऐसे में सबसे पहले के वीजा के नियम और फायदों के बारे में जानना जरूरी है.
चीन ने के-वीजा को लॉन्च करने का ऐलान 7 अगस्त को ही कर दिया था. 1 अक्टूबर को इसे लॉन्च किया गया, जिसके बाद से यह सुर्खियों में आने लगा. हर देश में वीजा की अलग-अलग कैटेगरी होती है, जैसे कि एजुकेशन, ट्रैवल, नौकरी समेत अन्य. इनमें से ही एक है चीन का ‘के-वीजा’. इस वीजा के तहत चीन एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) की पढ़ाई कर रहे हैं या फिर इस क्षेत्र से जुड़े हैं, तो चीन इस वीजा के जरिए नई प्रतिभाओं को अवसर दे रहा है.
अमेरिका के एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करने वाले आधे से ज्यादा लोग भारतीय हैं. इसलिए जब इस वीजा की फीस बढ़ाई गई, तो इसका सीधा असर उन भारतीयों पर होने वाला है. इसके साथ ही आपको एच-1बी वीजा तभी मिल सकता है, जब आपके पास किसी अमेरिकी कंपनी का ऑफर लेटर हो. वहीं, के-वीजा के लिए आपके पास पहले से चीनी कंपनी का ऑफर लेटर होना जरूरी नहीं है.
1 अक्टूबर को के-वीजा लॉन्च होने के बाद से social media पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. चीनी युवाओं में के वीजा को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है. चीनी युवाओं का कहना है कि अपने देश में युवा मास्टर डिग्री लेकर बैठे हैं, लेकिन उन्हें जॉब नहीं मिल रहा है और आप दूसरे देशों से लोगों को बुलाकर रोजगार देंगे. बता दें, चीन में बेरोजगारी दर 19 फीसदी के करीब है.
चीन और India के बीच काफी समय से तनाव चल रहा था, जो अब कम होता नजर आ रहा है. दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट की भी शुरुआत हो रही है. हालांकि सवाल यह भी उठता है कि क्या India के लोगों के लिए चीन का के-वीजा अमेरिका के एच-1बी वीजा का विकल्प बन सकता है? India और चीन के बीच भाषा और संस्कृति का काफी अंतर है. यह भी देखना होगा कि दूसरे देश से आए लोगों को स्वीकार करना और उनके साथ सामंजस्य बैठाना चीनी नागरिकों के लिए कितना आसान होगा.
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केके/एएस
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