दिल्ली में रहने वाली महिला एक प्यारी सी हाउस वाइफ और दो बच्चों की मां. सीमा की शादी दिल्ली के ही एक लड़के से हुई थी, जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही पति का असली चेहरा सामने आने लगा. पहले तो पति ने हर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े से शुरू कर दिया, फिर उस पर हाथ उठाना शुरू कर दिया.
सीमा ने बताया कि एक दिन सीमा के पति ने ब्लेड से उसके हाथ काट दिए और कहा कि अब रसोई में खाना बनाओ, लेकिन उसका दुख केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं था. मानसिक प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न की हदें तब पार हो गई जब पति ने उसे जबरन ‘वाइफ स्वैपिंग’ के लिए मजबूर करना शुरू किया.
सीमा का पति उसे एक होटल ले गया और अपने दोस्तों से मिलवाया. वहां उन्होंने सीमा को गलत तरीके से छूने की कोशिश की, लेकिन फिर सीमा किसी तरह वहां से भाग निकली. फिर भी यह सब खत्म नहीं हुआ था. सीमा ने आगे बताया कि उसके पति ने उसका फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर उस पर उसकी तस्वीरें पोस्ट कीं, और उन्हें इस तरह पेश किया मानो वह पैसे लेकर किसी के साथ संबंध बनाना चाहती हो. जब सीमा ने अपने पति से उसके भाई द्वारा की जा रही छेड़छाड़ की शिकायत की, तो उसने यह कहकर टाल दिया, ‘इन बातों को नजरअंदाज करो.’ निकुंज के भाई और उसके दोस्तों ने लगातार सीमा का यौन उत्पीड़न करते रहे.
आखिरकार, जब सहने की हद पार हो गई, सीमा ने पुलिस में FIR दर्ज कराई. शुरुआत में निकुंज के खिलाफ केवल दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मामला दर्ज हुआ, लेकिन बाद में सीमा ने 164 CrPC के तहत दिए गए बयान में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के आरोप भी लगाए. इसके बाद पुलिस ने इन धाराओं को भी मामले में शामिल किया. निकुंज ने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि यह सब एक वैवाहिक विवाद का नतीजा है और उसे जमानत मिलनी चाहिए. हालांकि, जब निकुंज फिर भी नहीं सुधरा उसने नया सिम कार्ड लेकर एक फर्जी नाम से सीमा से संपर्क करने की कोशिश की, तो अदालत का रुख सख्त हो गया.
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने कहा, ‘यह मामला किसी सामान्य वैवाहिक विवाद जैसा नहीं है. महिला ने जिन आरोपों को उठाया है, वे उसकी गरिमा को गंभीर रूप से ठेस पहुंचाने वाले हैं. आरोपी को जमानत पर रिहा करना पीड़िता की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.’ अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में अदालत को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर तब जब पीड़िता पहले से ही उत्पीड़न, मानसिक आघात और सामाजिक बदनामी से गुजर रही हो. वहीं अब हाईकोर्ट ने निकुंज कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
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