हमारे देश पर मुगलों ने कई वर्षों तक शासन किया। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं के घर लूटपाट भी की। यहां तक कि वह हिंदू महिलाओं को उठाकर भी ले जाते थे। या फिर उनकी इज्जत लूट लेते थे। ऐसे में राजस्थान की महिलाएं इन मुगलों की बुरी नजर से बचने के लिए कई तरीके अपनाती थी। इनमें एक तरीका ऐसा था जो सबसे अनोखा लेकिन बेहद कारगर था।
मुगलों से बचने के लिए महिलाएं पहनती थी ये चीजकहा जाता है कि राजस्थान में जब भी किसी दुल्हन की डोली उठती थी तो मुगल वहां पहुँच जाते थे। पहले वह पैसों की लूटपाट करते थे। और फिर दुल्हन की इज्जत पर हाथ डालते थे। इन मुगलों के खौफ के चलते ही महिलाएं लंबे घूंघट का सहारा लेनी लगी। और यही चीज आगे चलकर राजस्थान की परंपरा बन गई। हालंकी घूंघट के अलावा एक और तरीका था जिससे दुल्हन खुद को मुगलों की गंदी नियत से बचाती थी।

राजस्थान में तब दुल्हन एक खास ताबीज पहनी थी। इसे ढोलना कहा जाता था। यह लाल धागे में बंधा एक ताबीज होता था। इसमें कुछ लड़ियां भी होती थी। इस ताबीज के अंदर सूअर के बाल भरे जाते थे। बस इसी चीज से मुगल डरते थे। वह दुल्हन को हाथ तक नहीं लगाते थे। उन्हें लगता था ऐसा करने से वह नापाक हो जाएंगे।
डर के मारे छूते तक नहीं थे मुगलसूअर के बाल से बना ताबीज बड़े काम का निकला। इसे पहनने के बाद मुगलों ने दुल्हन पर हाथ डालना बंद कर दिया। हालांकि वह शादी में घुसकर लूटपाट करते रहते थे। इस डर से कुछ लोग रात के अंधेरे में चोरी चुपके शादी करने लगे थे। वहीं कई बार घर की रखवाली के लिए मां या किसी अन्य महिला को ये ताबीज पहनकर रुकना पड़ता था। फिर भले उस दिन बेटे की बारात ही क्यों न जा रही हो।
यह ढोलना पहले राजस्थानी महिलाएं मुगलों से बचने के लिए पहना करती थी। लेकिन धीरे-धीरे यह उनकी परंपरा का एक हिस्सा बन गया। अब वह इसे मगंलसूत्र की तरह पहनती हैं। वहीं घर में मांगलिक कार्यक्रम होने पर भी ढोलना पहना जाता है। शादी में दूल्हे का बड़ा भाई या फिर जेठ यह ढोलना दुल्हन को देता है।
इतिहासकार आदि गुरु शंकराचार्य लिखित सौंदर्य लहरी की माने तो 6वीं शताब्दी में इन गहनों का प्रचलन शुरु हुआ। इसमें मगंलसूत्र और ढोलना का जिक्र पढ़ने को मिलता है। एक अन्य मान्यता की माने तो यह ढोलना दूर से एक इस्लामिक ताबीज जैसा दिखता है। ऐसे में हिंदू लड़कियां कई बार खुद को मुसलमान बता कर भी अपनी इज्जत बचा लिया करती थी।
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