हिंदू धर्म में गाय को केवल एक पशु नहीं, बल्कि माता के रूप में पूजा जाता है। गौ माता का विशेष महत्व है, और इसके साथ ही गाय के गोबर और मूत्र को भी उपयोगी माना जाता है। कई लोग गाय के गोबर का व्यवसाय करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। हरियाणा के डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने इस क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाई है, जहां वे गाय के गोबर से सालाना 50 से 60 लाख रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं।
इको-फ्रेंडली निर्माण की पहल
डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने गाय के गोबर का उपयोग करके इको-फ्रेंडली घर बनाने की पहल की है। वे गोबर से सीमेंट, पेंट और ईंट का निर्माण कर रहे हैं और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने 100 से अधिक लोगों को इस प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण भी दिया है।
किसान परिवार से संबंधित
शिव दर्शन मलिक एक किसान परिवार से आते हैं। पहले वे एक कॉलेज में पढ़ाते थे, लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर गाय के गोबर से निर्माण कार्य शुरू किया। पिछले पांच से छह वर्षों में, उन्होंने इस व्यवसाय से अच्छी खासी कमाई की है। बीकानेर में उन्होंने एक प्रशिक्षण केंद्र खोला है, जहां वे गोबर से निर्माण की विधि सिखाते हैं और इसके लिए 21 हजार रुपये की फीस लेते हैं।
विदेश से मिली प्रेरणा
इको-फ्रेंडली घर बनाने की प्रेरणा उन्हें विदेश यात्रा के दौरान मिली। अमेरिका और इंग्लैंड में उन्होंने देखा कि लोग वहां भी इको-फ्रेंडली घर बना रहे हैं। भारत लौटने के बाद, उन्होंने इस विचार को अपने देश में लागू किया।
गोबर से बने घरों के लाभ
गोबर से बने घरों की एक खासियत यह है कि गर्मियों में ये ज्यादा गर्म नहीं होते और सर्दियों में ठंड से भी बचाते हैं। शिव दर्शन ने पहले खुद इस सामग्री का उपयोग किया और धीरे-धीरे यह उनके आस-पास के लोगों में भी लोकप्रिय हो गया।
व्यापार का विस्तार
कई राज्यों में माल भेजने की प्रक्रिया

हरियाणा में उनका व्यवसाय तेजी से फैल रहा है। वे अपने राज्य से बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी अपने उत्पाद भेज रहे हैं। हर साल, वे लगभग 60 लाख रुपये की आय 5 हजार टन सीमेंट, पेंट और ईंट की बिक्री से प्राप्त करते हैं।
इको-फ्रेंडली सीमेंट बनाने की विधि
सीमेंट निर्माण का फॉर्मूला
शिव दर्शन ने गाय के गोबर से इको-फ्रेंडली सीमेंट बनाने की विधि साझा की है। इसमें गाय के गोबर के साथ जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी और नींबू पाउडर का उपयोग किया जाता है। इसे 'वैदिक प्लास्टर' नाम दिया गया है।
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