क्या दुनिया का सबसे फेमस वेब ब्राउज़र क्रोम बिकने वाला है? क्या गूगल अपने क्रोम ब्राउजर को बेच देगा? यह सभी सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सर्च कंपनी Perplexity ने क्रोम ब्राउज़र को खरीदने के लिए 34.5 बिलियन डॉलर का ऑफर दिया है. बिना किसी पूर्व चर्चा के अल्फाबेट को यह ऑफर दिया गया है. इस ऑफर के बाद टेक इंडस्ट्री में हलचल मची हुई है.
गूगल की पहचान है क्रोम ब्राउजरइंटरनेट सर्फिंग के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा क्रोम ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा यह गूगल के बिजनेस मॉडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. ऐसे में पर्प्लेक्सिटी एआई का यह ऑफर कई सवाल खड़े कर रहा है. क्योंकि यह कंपनी केवल तीन साल पुरानी है. लेकिन इस कंपनी में जेफ बेजोस, एनवीडिया, और जापान के सॉफ्टबैंक जैसे निवेशकों के पैसे लगे हैं.
क्या मोनोपोली तोड़ेगा गूगल? गूगल पर मोनोपोली करने जैसे कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. पिछले साल ही एक फेडरल जज ने कहा था कि सर्च इंजन में गूगल मोनोपोली रखता है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार के द्वारा गूगल को क्रोम ब्राउज़र बचने के साथ ही सर्च डाटा के कंपटीशन में लाइसेंस देने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
बिना बातचीत पेश कर दिया ऑफरगूगल के क्रोम ब्राउज़र को खरीदने के लिए पर्प्लेक्सिटी एआई ने अल्फाबेट के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया है. कंपनी ने सीधे 34.5 बिलियन डॉलर का ऑफर देकर एक साहसिक कदम उठाया है. क्योंकि इसके लिए कंपनी को अपने वैल्यूएशन से ज्यादा वित्त की आवश्यकता पड़ेगी.
पहले भी दिए जा चुके हैं ऐसे ऑफर्सयह कोई पहली बार नहीं है जब पर्प्लेक्सिटी एआई ने अपने ऐसे ऑफर से सभी को चौंकाया हो. इसके पहले अरविंद श्रीनिवास की यह कंपनी ऐसे ऑफर्स दे चुकी है. चीनी स्वामित्व वाले टिकटॉक रिप्लेस करने के लिए इस कंपनी में अमेरिकी सरकार को एक लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप बनाने का प्रस्ताव दिया था.
गूगल का क्या है प्लान?पर्प्लेक्सिटी एआई द्वारा क्रोम को खरीदने के लिए आए ऑफर पर गूगल की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है. इसके पहले भी गूगल की तरफ से ऐसी कोई संकेत सामने नहीं आए जिसमें यह कहा जा सके की कंपनी क्रोम ब्राउज़र को बेचने की योजना बना रही है. इसके उलट गूगल, अमेरिकी अदालत द्वारा ऑनलाइन सर्च में मोनोपोली को गैर कानूनी बताने वाले फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है.
गूगल की पहचान है क्रोम ब्राउजरइंटरनेट सर्फिंग के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा क्रोम ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा यह गूगल के बिजनेस मॉडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है. ऐसे में पर्प्लेक्सिटी एआई का यह ऑफर कई सवाल खड़े कर रहा है. क्योंकि यह कंपनी केवल तीन साल पुरानी है. लेकिन इस कंपनी में जेफ बेजोस, एनवीडिया, और जापान के सॉफ्टबैंक जैसे निवेशकों के पैसे लगे हैं.
क्या मोनोपोली तोड़ेगा गूगल? गूगल पर मोनोपोली करने जैसे कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. पिछले साल ही एक फेडरल जज ने कहा था कि सर्च इंजन में गूगल मोनोपोली रखता है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार के द्वारा गूगल को क्रोम ब्राउज़र बचने के साथ ही सर्च डाटा के कंपटीशन में लाइसेंस देने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
बिना बातचीत पेश कर दिया ऑफरगूगल के क्रोम ब्राउज़र को खरीदने के लिए पर्प्लेक्सिटी एआई ने अल्फाबेट के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया है. कंपनी ने सीधे 34.5 बिलियन डॉलर का ऑफर देकर एक साहसिक कदम उठाया है. क्योंकि इसके लिए कंपनी को अपने वैल्यूएशन से ज्यादा वित्त की आवश्यकता पड़ेगी.
पहले भी दिए जा चुके हैं ऐसे ऑफर्सयह कोई पहली बार नहीं है जब पर्प्लेक्सिटी एआई ने अपने ऐसे ऑफर से सभी को चौंकाया हो. इसके पहले अरविंद श्रीनिवास की यह कंपनी ऐसे ऑफर्स दे चुकी है. चीनी स्वामित्व वाले टिकटॉक रिप्लेस करने के लिए इस कंपनी में अमेरिकी सरकार को एक लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो ऐप बनाने का प्रस्ताव दिया था.
गूगल का क्या है प्लान?पर्प्लेक्सिटी एआई द्वारा क्रोम को खरीदने के लिए आए ऑफर पर गूगल की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है. इसके पहले भी गूगल की तरफ से ऐसी कोई संकेत सामने नहीं आए जिसमें यह कहा जा सके की कंपनी क्रोम ब्राउज़र को बेचने की योजना बना रही है. इसके उलट गूगल, अमेरिकी अदालत द्वारा ऑनलाइन सर्च में मोनोपोली को गैर कानूनी बताने वाले फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है.
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