नई दिल्ली: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई चाहता है एक सुरक्षित भविष्य. लेकिन अक्सर हम (EMI) के जाल में उलझ जाते हैं कार की किस्त, मोबाइल का लोन, फर्नीचर की फाइनेंसिंग और फिर हर महीने की सैलरी आती है और सीधी चली जाती है.लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, अगर हम ईएमआई जैसी आदतों को थोड़े कंट्रोल में रखकर SIP (Systematic Investment Plan) शुरू कर दें, तो हम ना सिर्फ खर्च को काबू में रख सकते हैं बल्कि लंबे समय में एक अच्छी खासी संपत्ति भी बना सकते हैं. EMI कैसे आपकी जेब पर भारी पड़ता है?ईएमआई यानी "इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट" यानी हर महीने एक तय रकम जो आपको अपने लिए ली गई चीज़ों की किस्त चुकाने के लिए देनी होती है. इसमें आपको न सिर्फ प्रोडक्ट की कीमत चुकानी होती है, बल्कि उस पर बैंकों का लगाया हुआ ब्याज भी देना होता है. जैसे कि अगर आपने ₹1 लाख का मोबाइल लिया और उसपर 12% सालाना ब्याज के साथ EMI बनाई, तो आप लगभग ₹1.10 लाख तक चुका देंगे. SIP कैसे मदद करता है?SIP यानी Systematic Investment Plan में आप हर महीने एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. यह छोटी-छोटी बचतों के ज़रिए बड़ी पूंजी तैयार करने का तरीका है. SIP आप कम पैसों से शुरुआत कर सकते हैं, ₹500 या ₹1000 से भी.आज की दुनिया में इंस्टैंट ग्रैटिफिकेशन के चक्कर में मत पड़ो. हर EMI आपकी जेब से पैसे निकालती है और हर SIP आपके भविष्य के लिए पूंजी बनाती है.अगली बार जब आप कोई चीज़ किस्त पर लेने का सोचें, खुद से पूछिए "क्या मैं ये चीज़ लेने के लिए तैयार हूं या मुझे SIP शुरू करने की ज़रूरत है?" EMI नहीं, SIP करो क्योंकि खर्च को घटाओ और संपत्ति को बढ़ाओ.
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