Crizac के बहुप्रतीक्षित 860 करोड़ रुपये के IPO का अलॉटमेंट स्टेटस सोमवार, 7 जुलाई 2025 को तय किया जाएगा। यह इश्यू 2 जुलाई से 4 जुलाई तक निवेशकों के लिए खुला था और यह पूरी तरह से एक ऑफर फॉर सेल (OFS) था। इसका मतलब यह है कि कंपनी को इस इश्यू से कोई नया फंड नहीं मिलेगा, बल्कि मौजूदा शेयरधारकों द्वारा हिस्सेदारी बेचकर पैसा उठाया गया है।
क्या था प्राइस बैंड और GMP?इस IPO के लिए प्राइस बैंड 233 से 245 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था, और निवेशकों को कम से कम 61 शेयरों के एक लॉट में आवेदन करना था। खास बात यह रही कि ग्रे मार्केट में Crizac के शेयरों ने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया। शुरुआत में GMP 21-22 रुपये था, लेकिन जल्द ही यह बढ़कर 43 रुपये तक पहुंच गया। यानी लिस्टिंग से पहले ही निवेशकों को लगभग 17.5% का प्रीमियम मिलने की उम्मीद बन गई है।
सब्सक्रिप्शन डाटा ने चौंकायाCrizac के IPO को हर कैटेगरी से शानदार रिस्पॉन्स मिला। कुल मिलाकर यह इश्यू 59.82 गुना सब्सक्राइब हुआ। खासकर क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने इसे 134.35 गुना भर दिया, वहीं नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) ने 76.15 गुना और रिटेल निवेशकों ने 10.24 गुना तक आवेदन किया। 2.58 करोड़ शेयरों के मुकाबले 154.56 करोड़ से अधिक बिड्स प्राप्त हुईं।
अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें?जो निवेशक अलॉटमेंट स्टेटस चेक करना चाहते हैं, वे Link Intime की वेबसाइट या BSE वेबसाइट पर जाकर अपना स्टेटस देख सकते हैं।
बीएसई की वेबसाइट पर चेक करने के स्टेप्स
रिफंड और लिस्टिंग का शेड्यूलIPO के अलॉटमेंट के बाद 8 जुलाई को रिफंड प्रोसेस शुरू होगा, और उसी दिन सफल आवेदकों के डिमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। Crizac के शेयर 9 जुलाई को NSE और BSE दोनों एक्सचेंजों पर लिस्ट होंगे। ग्रे मार्केट की तेजी को देखते हुए निवेशकों को पहले ही दिन अच्छी लिस्टिंग गेन की उम्मीद है।
Crizac: एक इंटरनेशनल एजुकेशन प्लेटफॉर्मCrizac की शुरुआत 2011 में हुई थी और यह एक B2B एजुकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है। कंपनी UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों की यूनिवर्सिटी को दुनिया भर के 10,000 से अधिक एजुकेशन एजेंट्स से जोड़ती है। इसका ऑपरेशन 75 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है और यह सभी एप्लिकेशन को अपनी खुद की टेक प्लेटफॉर्म के जरिए मैनेज करती है।
वित्तीय प्रदर्शन और वैल्यूएशनCrizac का फाइनेंशियल ग्रोथ बेहद मजबूत रहा है। FY23 में जहां कंपनी का रेवेन्यू 274 करोड़ रुपये था, वही FY25 तक यह बढ़कर 849 करोड़ रुपये हो गया है। इसका कंपाउंड ग्रोथ रेट (CAGR) 76% है। वहीं नेट प्रॉफिट 110 करोड़ रुपये से बढ़कर 152 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी पूरी तरह से कर्ज मुक्त है और इसके पास भरपूर नकदी है। इसका FY25 EPS ₹8.74 है और नेट मार्जिन 18%। वैल्यूएशन के लिहाज से इसका P/E रेशियो 28x और P/B रेशियो 9x है, जो IndiaMART जैसे प्रतिस्पर्धी कंपनियों के स्तर पर है।
एनालिस्ट्स की राय और रिस्क फैक्टरCanara Bank Securities जैसे ब्रोकरेज हाउस मानते हैं कि Crizac का स्केलेबल और डिजिटल B2B मॉडल आने वाले वर्षों में भारत के इंटरनेशनल एजुकेशन बाजार से बड़ा फायदा उठा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत से 2030 तक 2.5 मिलियन छात्र विदेश जाने की संभावना है, और Crizac इस ट्रेंड का प्रमुख लाभार्थी बन सकता है। हालांकि, UK और कनाडा जैसे देशों की वीज़ा और शिक्षा नीतियों में सख्ती इसका संभावित जोखिम हो सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
क्या था प्राइस बैंड और GMP?इस IPO के लिए प्राइस बैंड 233 से 245 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था, और निवेशकों को कम से कम 61 शेयरों के एक लॉट में आवेदन करना था। खास बात यह रही कि ग्रे मार्केट में Crizac के शेयरों ने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया। शुरुआत में GMP 21-22 रुपये था, लेकिन जल्द ही यह बढ़कर 43 रुपये तक पहुंच गया। यानी लिस्टिंग से पहले ही निवेशकों को लगभग 17.5% का प्रीमियम मिलने की उम्मीद बन गई है।
सब्सक्रिप्शन डाटा ने चौंकायाCrizac के IPO को हर कैटेगरी से शानदार रिस्पॉन्स मिला। कुल मिलाकर यह इश्यू 59.82 गुना सब्सक्राइब हुआ। खासकर क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने इसे 134.35 गुना भर दिया, वहीं नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) ने 76.15 गुना और रिटेल निवेशकों ने 10.24 गुना तक आवेदन किया। 2.58 करोड़ शेयरों के मुकाबले 154.56 करोड़ से अधिक बिड्स प्राप्त हुईं।
अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें?जो निवेशक अलॉटमेंट स्टेटस चेक करना चाहते हैं, वे Link Intime की वेबसाइट या BSE वेबसाइट पर जाकर अपना स्टेटस देख सकते हैं।
- स्टेप 1: लिंक इनटाइम की आधिकारिक वेबसाइट पर देखी https://linkintime.co.in/initial_offer/public-issues.html पर जाएं।
- स्टेप 2: ड्रॉपडाउन से कंपनी का चयन करें।
- स्टेप 3: अपना पैन, आवेदन संख्या, या डीपी/क्लाइंट आईडी दर्ज करें।
- स्टेप 4: अलॉटमेंट स्टेटस देखने के लिए "सर्च" पर क्लिक करें।
बीएसई की वेबसाइट पर चेक करने के स्टेप्स
- स्टेप 1: https://www.bseindia.com/investors/appli_check.aspx वेबसाइट पर जाएं।
- स्टेप 2: इश्यू के प्रकार के रूप में "इक्विटी" का चयन करें।
- स्टेप 3: ड्रॉपडाउन से कंपनी का नाम चुनें।
- स्टेप 4: लिस्टिंग शेड्यूल के अनुसार अपना आवेदन संख्या और पैन नंबर दर्ज करें।
रिफंड और लिस्टिंग का शेड्यूलIPO के अलॉटमेंट के बाद 8 जुलाई को रिफंड प्रोसेस शुरू होगा, और उसी दिन सफल आवेदकों के डिमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। Crizac के शेयर 9 जुलाई को NSE और BSE दोनों एक्सचेंजों पर लिस्ट होंगे। ग्रे मार्केट की तेजी को देखते हुए निवेशकों को पहले ही दिन अच्छी लिस्टिंग गेन की उम्मीद है।
Crizac: एक इंटरनेशनल एजुकेशन प्लेटफॉर्मCrizac की शुरुआत 2011 में हुई थी और यह एक B2B एजुकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है। कंपनी UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों की यूनिवर्सिटी को दुनिया भर के 10,000 से अधिक एजुकेशन एजेंट्स से जोड़ती है। इसका ऑपरेशन 75 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है और यह सभी एप्लिकेशन को अपनी खुद की टेक प्लेटफॉर्म के जरिए मैनेज करती है।
वित्तीय प्रदर्शन और वैल्यूएशनCrizac का फाइनेंशियल ग्रोथ बेहद मजबूत रहा है। FY23 में जहां कंपनी का रेवेन्यू 274 करोड़ रुपये था, वही FY25 तक यह बढ़कर 849 करोड़ रुपये हो गया है। इसका कंपाउंड ग्रोथ रेट (CAGR) 76% है। वहीं नेट प्रॉफिट 110 करोड़ रुपये से बढ़कर 152 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी पूरी तरह से कर्ज मुक्त है और इसके पास भरपूर नकदी है। इसका FY25 EPS ₹8.74 है और नेट मार्जिन 18%। वैल्यूएशन के लिहाज से इसका P/E रेशियो 28x और P/B रेशियो 9x है, जो IndiaMART जैसे प्रतिस्पर्धी कंपनियों के स्तर पर है।
एनालिस्ट्स की राय और रिस्क फैक्टरCanara Bank Securities जैसे ब्रोकरेज हाउस मानते हैं कि Crizac का स्केलेबल और डिजिटल B2B मॉडल आने वाले वर्षों में भारत के इंटरनेशनल एजुकेशन बाजार से बड़ा फायदा उठा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत से 2030 तक 2.5 मिलियन छात्र विदेश जाने की संभावना है, और Crizac इस ट्रेंड का प्रमुख लाभार्थी बन सकता है। हालांकि, UK और कनाडा जैसे देशों की वीज़ा और शिक्षा नीतियों में सख्ती इसका संभावित जोखिम हो सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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