नई दिल्ली: पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब है और वो IMF से मदद चाहता है. भारत चाहता है कि उसे यह मदद न मिले.आज यानी 9 मई को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की बड़ी मीटिंग होने जा रही है. इस मीटिंग में ये फैसला लिया जाएगा कि पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर (करीब ₹11,113 करोड़) का लोन दिया जाए या नहीं. ये लोन “क्लाइमेट रेजिलिएंस प्रोग्राम” के तहत दिया जा सकता है. भारत कर सकता है विरोध भारत इस फैसले का विरोध कर सकता है जिसकी वजह है 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी. भारत का कहना है कि पाकिस्तान को मिलने वाला यह पैसा आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल हो सकता है. IMF ने भारत की आपत्ति खारिज की भारत ने IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से अपील की थी कि पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर फिर से विचार किया जाए. लेकिन IMF ने साफ कर दिया कि वह अपने तय कार्यक्रम के तहत ही पाकिस्तान को लोन पर विचार करेगा. 7 बिलियन डॉलर वाले पुराने पैकेज की भी समीक्षा IMF की आज की मीटिंग सिर्फ नए लोन पर नहीं, बल्कि 7 बिलियन डॉलर (करीब ₹59,000 करोड़) के पहले से चल रहे लोन पैकेज की भी समीक्षा करेगी. यह पैकेज जुलाई 2024 में शुरू हुआ था, जो तीन साल चलेगा. इस दौरान पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 6 बार समीक्षा होगी. IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड क्या करता है? IMF के फैसले इसके "एग्जीक्यूटिव बोर्ड" द्वारा लिए जाते हैं. इसमें 24 सदस्य होते हैं, जो अलग-अलग देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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