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Yes Bank संकट से SBI को हुआ ₹6000 करोड़ का मुनाफा, पर AT1 बॉन्ड निवेशकों का डूबा सारा पैसा; जानें पूरा मामला

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Yes Bank Crisis: प्राइवेट सेक्टर का यस बैंक (Yes Bank) पांच साल पहले डूबने की कगार पर था। जी हां, साल 2020 में यस बैंक पर बड़ा क्राइसिस आया। कई निवेशकों को लगा कि अब यह बैंक भी बाकी बैंकों की तरह डूब जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस यस बैंक को डूबने से बचा लिया। दरअसल, आरबीआई और सरकार ने “Reconstruction Scheme (पुनर्गठन योजना)” की मदद से यस बैंक को क्राइसिस से बाहर निकाला है। सरकार के इस फैसले को बैंकिंग हिस्ट्री में सबसे बड़ा और अहम माना जाता है। भले ही यस बैंक क्राइसिस से उभर गया, पर कई निवेशकों पर इसका असर पड़ा। सबसे ज्यादा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI ) जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों और AT1 बॉन्ड (Additional Tier-1 Bonds) वाले आम निवेशकों पर असर पड़ा। अब सबसे बड़ा सवाल आता है कि यस बैंक के सामने यह संकट कैसे आया और इस क्राइसिस से क्या सबक मिला है। नीचे इन सवालों का जवाब जानते हैं।

Yes Bank में कैसे शुरू हुआ संकट?
यस बैंक पर खराब लोन का बोझ बढ़ गया था। ऐसे में लोगों का भरोसा बैंकों पर डगमगाने लगा था। आरबीआई ने मार्च 2020 में बैंक पर पाबंदी लगा दी थी। आरबीआई ने बैंक के निकासी और लेन-देन को सीमित कर दिया। आरबीआई के इस फैसले का असर बैंक के स्टॉक पर भी देखने को मिला। हालांकि, बाद में सरकार और आरबीआई ने एक Reconstruction Scheme बनाई। इस स्कीम में तीन बड़ कदम उठाए गए।


  • सबसे पहले भारतीय स्टेट बैंक और कुछ सरकारी बैंकों से कहा गया कि वह यस बैंक में निवेश करें। एसबीआई ने यस बैंक में ₹2,450 करोड़ का निवेश कर 48 फीसदी की हिस्सेदारी ली।
  • दूसरा, आरबीआई ने यस बैंक के ₹8,415 करोड़ के AT1 Bonds को पूरी तरह से रद्द कर दिया। इसका मतलब है कि जिन निवेशकों ने इन बॉन्ड्स में निवेश किया था उनका सारा पैसा डूब गया।
  • तीसरा, इस स्कीम के तहत यस बैंक के जमाकर्ताओं का पैसा और रोजमर्रा की बैंकिंग सर्विस को सुरक्षित रखा गया। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि पूरे सिस्टम में कोई डर न फैले।

SBI को हुआ 6,000 करोड़ का फायदा

धीरे-धीरे यस बैंक पटरी पर लौट आई। बैंक को मुनाफा होने लगा। साथ ही, डिपॉजिट में बढ़ोतरी हुई और कैपिटल स्ट्रक्चर भी मजबूत हुआ। यस बैंक के पटरी पर लौटने से सबसे ज्यादा फायदा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को हुआ है। दरअसल, एसबीआई ने अपनी कुछ हिस्सेदारी Sumitomo Mitsui Banking Corporation (SMBC) को बेच दी। यस बैंक स्टेक बेचने से एसबीआई को 6,400 करोड़ का फायदा हुआ। एसबीआई ने यस बैंक में 2,450 करोड़ रुपये निवेश किये थे, लेकिन स्टेक डील में उसे ₹8,889 करोड़ मिले। इसका मतलब है कि एसबीआई को यस बैंक में निवेश करने पर 3.6 गुना का रिटर्न मिला। यहां तक कि SBI को इस डील से करीब ₹4,593 करोड़ का प्री-टैक्स फायदा भी हुआ।

AT1 बॉन्ड होल्डर्स को हुआ नुकसान
जहां एक तरफ एसबीआई को फायदा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ इससे AT1 बॉन्ड होल्डर्स को नुकसान हुआ है। बता दें कि AT1 बॉन्ड हाई-रिस्क बॉन्ड होते हैं। यह बॉन्ड बैंक को मुश्किल वक्त में घाटा झेलने में मदद करता है। इस बॉन्ड का नियम है कि अगर बैंक कैपिटल घटता है तो ये बॉन्ड राइट-ऑफ यानी रद्द हो जाएगा। यस बैंक के मामले में भी इस बॉन्ड को जीरो कर दिया गया।

कई आम निवेशक जिन्होंने ये बॉन्ड्स खरीदे थे उन्हें भारी नुकसान हुआ। कुछ बॉन्डहोल्डर्स ने बताया कि बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर ने उन्हें बिना ठीक से समझाए बेच दिया था। AT1 बॉन्ड के जीरो होने के बाद बॉन्ड होल्डर्स ने कोर्ट की ओर रुख किया। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से बॉन्ड बेचा गया है। इस मामले पर Bombay High Court और Supreme Court ने बॉन्ड होल्डर्स के पक्ष में फैसला सुनाया। आरबीआई और मार्केट रेगुलेटरी सेबी (SEBI) ने भी AT1 Bonds को रिटेल निवेशकों को बेचने पर रोक लगा दी।

यस बैंक मामले से क्या सबक मिला?
यस बैंक मामला बताता है कि जब भी बैंकिंग सिस्टम खतरे में होता है तो सरकार और आरबीआई का पहला मकसद पूरे बैंकिंग सिस्टम को बचाना है। इसके अलावा रिटेल निवेशकों को निवेश करते समय सतर्क रहना चाहिए। रिटेल निवेशकों को कभी भी हाई-रिस्क प्रोडक्ट जैसे AT1 Bonds में निवेश नहीं करना चाहिए।
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