कई लोग बिजनेस के बड़े-बड़े आइडिया के बारे में सोचने में ही समय निकाल देते हैं, तो वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं जो छोटे आइडिया से शुरुआत करके बड़ी सफलता हासिल करते हैं। आज के इस समय में महिलाएं भी अपने यूनिक बिजनेस आइडिया के दम पर सफलता के मुकाम पर पहुंच चुकी हैं। एक ऐसी ही महिला है सुल्तानपुर की गीता देवी। जिन्होंने बिजनेस की शुरुआत करने के लिए औषधीय पौधों का इस्तेमाल किया। नीम, केसर, चंदन, तुलसी, एलोवेरा, करौंदे आदि की पत्तियों और टहनियों से साबुन का निर्माण किया और आज भी एक सफल बिजनेस वूमेन बन चुकी हैं।
कौन हैं गीता देवी?गीता देवी ने केवल कक्षा आठवीं तक की ही पढ़ाई की है। अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर पाने के बावजूद हुए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने साबुन बनाने की कला सीखी। उनकी यह कला काम आई और वे घर बैठे ही सफल बिजनेस चला रही हैं।
शुरुआत में गीता देवी घर पर साबुन बनाकर बाजार में ले जाकर बेचा करती थीं। धीरे-धीरे उनके जैविक और केमिकल-फ्री साबुन की डिमांड बढ़ने लगी.
महिलाओं को कर रही प्रेरितगीता देवी न केवल खुद एक सफल बिजनेस का संचालन कर रही हैं, बल्कि उन्हें देखकर कई महिलाएं भी साबुन बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित हुई। वे अन्य महिलाओं को समूह से जोड़कर साबुन बनाने का काम भी कर रही हैं। आज गीता देवी लाखों रुपए कमाती है। उन्होंने भी महिला समूह से जुड़कर ही साबुन बनाना सीखा था। उसके बाद अपने व्यवसाय की शुरुआत की। उनके व्यवसाय को सफल बनाने में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का भी योगदान है।
धोपाप साबुनगीता देवी ने अपने साबुन के ब्रांड का नाम रामायण काल के प्रसिद्ध स्थल धोपाप घाट के नाम पर रखा। जिससे लोगों में और ज्यादा जुड़ाव हुआ।
गीता देवी की सफलता की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो बिजनेस तो करना चाहते हैं लेकिन बिजनेस के बारे में केवल विचार करके ही रह जाते हैं। कई लोग समय का तो कई लोग संसाधनों का बहाना बनाते हैं। लेकिन गीता देवी ने कम शिक्षा, कम संसाधनों के बाद भी एक सफल बिजनेस खड़ा किया। जो यह साबित करता है कि यदि मेहनत और लगन से किसी काम की शुरुआत की जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है।
कौन हैं गीता देवी?गीता देवी ने केवल कक्षा आठवीं तक की ही पढ़ाई की है। अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर पाने के बावजूद हुए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने साबुन बनाने की कला सीखी। उनकी यह कला काम आई और वे घर बैठे ही सफल बिजनेस चला रही हैं।
शुरुआत में गीता देवी घर पर साबुन बनाकर बाजार में ले जाकर बेचा करती थीं। धीरे-धीरे उनके जैविक और केमिकल-फ्री साबुन की डिमांड बढ़ने लगी.
महिलाओं को कर रही प्रेरितगीता देवी न केवल खुद एक सफल बिजनेस का संचालन कर रही हैं, बल्कि उन्हें देखकर कई महिलाएं भी साबुन बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित हुई। वे अन्य महिलाओं को समूह से जोड़कर साबुन बनाने का काम भी कर रही हैं। आज गीता देवी लाखों रुपए कमाती है। उन्होंने भी महिला समूह से जुड़कर ही साबुन बनाना सीखा था। उसके बाद अपने व्यवसाय की शुरुआत की। उनके व्यवसाय को सफल बनाने में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का भी योगदान है।
धोपाप साबुनगीता देवी ने अपने साबुन के ब्रांड का नाम रामायण काल के प्रसिद्ध स्थल धोपाप घाट के नाम पर रखा। जिससे लोगों में और ज्यादा जुड़ाव हुआ।
गीता देवी की सफलता की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो बिजनेस तो करना चाहते हैं लेकिन बिजनेस के बारे में केवल विचार करके ही रह जाते हैं। कई लोग समय का तो कई लोग संसाधनों का बहाना बनाते हैं। लेकिन गीता देवी ने कम शिक्षा, कम संसाधनों के बाद भी एक सफल बिजनेस खड़ा किया। जो यह साबित करता है कि यदि मेहनत और लगन से किसी काम की शुरुआत की जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है।
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