क्या आप जानते हैं भारत में क्रिप्टो करेंसी न ही अवैध है और नहीं पूरी तरह से वैध। जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने सवाल किया है कि अभी तक क्रिप्टोकरंसी नीति क्यों नहीं बनाई गई। कोर्ट ने बिटकॉइन ट्रेडिंग को ‘हवाला कारोबार का परिष्कृत रूप’ करार देते हुए इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया। इसका मतलब है कि लोग बिटकॉइन या एथेरियम जैसी डिजिटल असेट्स खरीद -बेच तो सकते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल रोजमर्रा के ट्रांजैक्शंस में नहीं किया जा सकता। क्रिप्टोकरंसी नीति कब बनाएगी सरकार?सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सवाल किया कि आखिर क्रिप्टो करेंसी को लेकर स्पष्ट नीति का निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है? शीश न्यायालय में गुजरात में एक बिटकॉइन घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सरकार से सवाल किए गए। इसके बाद एक बार फिर क्रिप्टो करेंसी के नियम पर बहस बढ़ गई है। क्रिप्टोकरंसी हवाला जैसे अवैध बिटकॉइन से जुड़े एक घोटाले के मामले पर सुनवाई के दौरान सिर्फ न्यायालय के द्वारा यह कहा गया कि बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरंसी के जरिए समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। यह देश की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बिटकॉइन हवाला जैसा अवैध कारोबार है। जिसमें बिना किसी नियम के धन का लेनदेन हो रहा है। अगर सरकार इस पर स्पष्ट नियम बनाती है तो अवैध व्यापारों पर नजर रखी जा सकती है। 2 साल पहले भी हुई थी क्रिप्टो करेंसी पर नीति की मांग सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह भी याद दिलाया कि उन्होंने 2 साल पहले भी सरकार को क्रिप्टोकरंसी पर स्पष्ट नीति बनाने की मांग की थी। लेकिन सरकार के द्वारा अब तक इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। अनोखी सरकार की तरफ से पेश हुए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी नीति बनाने की प्रक्रिया में है और विभिन्न विभागों से सलाह-मशविरा कर रही है।भारत में अभी भी क्रिप्टोकरंसी ना पूरी तरह से वैध है और न ही अवैध। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर को रद्द कर दिया था, जिसमें क्रिप्टोकरंसी से संबंधित लाइनें को रोकने का आदेश दिया गया था। इसके बाद भले ही क्रिप्टो ट्रेडिंग को हरी झंडी मिली लेकिन इसको लेकर स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई, जिसके कारण हमेशा से इसकी वैधता पर सवाल उठते आए हैं। क्रिप्टोकरंसी पर टैक्स का नियमसाल 2022 में सरकार ने क्रिप्टो करेंसी से होने वाले लाभ पर 30% टैक्स लगाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही प्रत्येक लेन-देन पर 1% टीडीएस भी लगाने की घोषणा की गई। क्रिप्टोकरंसी पर कोई भी स्पष्ट सरकारी नीति नहीं होने के कारण धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। पहले भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बिटकॉइन के नाम पर ठगी के मामलों पर चिंता जताई गई थी। सरकार ने इसे हवाला कारोबार से जोड़कर सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है।
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