अमेठी, 18 अक्टूबर (हि.स.)। हिन्दी विभाग आंध्र विश्वविद्यालय,विशाखा परिषद् एवं अवधी साहित्य संस्थान अमेठी उ प्र के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी भाषा एवं साहित्य एक विमर्श विषय पर आधारित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण से किया गया।
मुख्य वक्ता साहित्य भूषण आचार्य महेश दिवाकर ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य की गंगा है ,जो समूचे देश को महासमुद्र में समाहित करती है। संस्कृत हमारी जननी है और उसकी बेटी हिन्दी हमारी मातृभाषा है। मुख्य अतिथि कुलपति आन्ध्र विश्वविद्यालय प्रोफेसर शशि भूषण ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी समूचे देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है। हम हिन्दी भाषियाें को हिन्दी साहित्य सम्वर्द्धन हेतु आगे आने की जरूरत है। नार्वे से पधारे प्रवासी भारतीय डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने कहा कि भारत में सभी भाषाएं हमको जोड़ती हैं।अनेकता में एकता हमारी शक्ति है। संयोजक अवधी साहित्य संस्थान अमेठी ने कहा कि सागर से भी गहरी है हमारी हिन्दी। भाषायी समन्वय से ही हिन्दी साहित्य सम्वर्द्धन सम्भव है।हमें निज भाषा एवं निज देश पर गर्व होना चाहिए।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. एस एम इकबाल एवं द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. महेश दिवाकर ने की।इस अवसर पर प्रो. एस शेषारत्नम ,राही राज बंगलुरु, प्रयास जोशी मध्य प्रदेश, हरि नाथ शुक्ल हरि , प्रोफेसर जे विजया भारती, डॉ. के शान्ति ,शोभावती, प्रीती राज , डॉ. संतोष, युधिष्ठिर पाण्डेय एवं रीता पाण्डेय के साथ सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।सत्र का संचालन डॉ. शिवम् तिवारी ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश
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