पोटैशियम की बात आते ही ज़्यादातर लोगों के दिमाग़ में सबसे पहले केला आता है. लेकिन शरीर को जितनी मात्रा में पोटैशियम चाहिए, उसके लिए सिर्फ़ एक केला काफ़ी नहीं होता.
आख़िर ये पोटैशियम क्या है?
पोटैशियम शरीर के सामान्य कामकाज के लिए एक ज़रूरी खनिज है. यह ब्लड प्रेशर सही रखने में मदद करता है. यह किडनी को अतिरिक्त सोडियम बाहर निकालने में सहारा देता है.
इसके अलावा, पोटैशियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है, कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करता है और शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
वरिष्ठ सलाहकार आहार विशेषज्ञ और सैप डायट क्लीनिक की संस्थापक डॉ. अदिति शर्मा कहती हैं, "पोटैशियम वह माइक्रो न्यूट्रिएंट मिनरल है, जो शरीर को ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स पहुंचाने और बॉडी वेस्ट को बाहर निकालने में मदद करता है."
शरीर में पोटैशियम एक इलेक्ट्रोलाइट की तरह काम करता है.
- ये मांसपेशियों की गतिविधि में मदद करता है.
- दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है.
- नसों को सही तरीक़े से सिग्नल भेजने में सहारा देता है.
एम्स की पूर्व डाइटीशियन और वन डाइट टुडे की संस्थापक डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं, "पोटैशियम हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस करने का काम करता है. यह एक ऐसा इलेक्ट्रोलाइट है जो हमारे शरीर की हर कोशिका में मौजूद रहता है और दिल, दिमाग़ और शरीर की हर मांसपेशियों को दुरुस्त रखने में मदद करता है."
वह बताती हैं कि पोटैशियम हमारे शरीर की मांसपेशियों की कार्यप्रणाली के लिए बेहद ज़रूरी होता है. यह मांसपेशियों की सिकुड़न को दूर करने और उन्हें आराम देने में मदद करता है. यह हमारे शरीर के पीएच को भी बैलेंस करने में मदद करता है और शरीर से अतिरिक्त सोडियम निकालने में मदद करता है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठनके मुताबिक वयस्कों को रोज़ाना औसतन करीब 3,500 मिलीग्राम पोटैशियम लेना चाहिए. यह न सिर्फ़ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि दिल की बीमारियों का ख़तरा भी कम करता है.
क्या खाना खाने से पोटैशियम मिल सकता है?
हां, अगर आहार में पर्याप्त फल और सब्ज़ियां शामिल हों तो पोटैशियम आसानी से मिल जाता है. लेकिन समस्या यह है कि ज़्यादातर लोग सप्ताह में पांच दिन भी अपने हिस्से के फल और सब्ज़ियां नहीं खाते.
उनकी आधी से ज़्यादा कैलोरी प्रोसेस्ड खाने से आती है.
यूके के एक सर्वे के मुताबिक़, 10 प्रतिशत पुरुष और 24 प्रतिशत महिलाएं रोज़ाना पोटैशियम की ज़रूरी मात्रा पूरी नहीं कर पाते.
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पोटैशियम की कमी आमतौर पर केवल डाइट की वजह से नहीं होती.
कई बार उल्टी-दस्त, कुछ दवाओं के असर या ज़्यादा शराब के सेवन से भी इसकी कमी हो जाती है.
इसकी कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल की बीमारी या स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ जाता है.
डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं, "पोटैशियम की कमी से मांसपेशियों में खिंचाव और तनाव बढ़ता है. शरीर थका थका रहता है. इससे क़ब्ज़ की शिकायत भी रहती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी कमी से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है. इसका सीधा असर ब्लड प्रेशर पर पड़ता है."
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आमतौर पर किडनी अतिरिक्त पोटैशियम को पेशाब के ज़रिए बाहर निकाल देती है लेकिन किडनी की बीमारी वाले लोगों में यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हो पाती.
ऐसे में पोटैशियम शरीर में जमा होने लगता है, जिससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और हार्ट फ़ेल्यर का ख़तरा बढ़ जाता है.
इसी वजह से किडनी रोगियों को अक्सर कम पोटैशियम वाला आहार लेने की सलाह दी जाती है.
डॉ. अदिति शर्मा बताती हैं कि इसकी कमी से हार्ट, नर्व और मसल्स प्रभावित होती हैं लेकिन इसका ज़्यादा होना बहुत ख़तरनाक है. इससे हार्ट काम करना बंद कर सकता है. ऐसे में यह सलाह है कि इसका अत्यधिक सेवन न करें.
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केला पोटैशियम देता है, लेकिन यह सबसे अच्छा या सबसे ज़्यादा पोटैशियम वाला स्रोत नहीं है.
एक केला रोज़ाना की ज़रूरत का लगभग 10% पोटैशियम देता है, जबकि एक बेक्ड आलू क़रीब 30% तक पोटैशियम दे सकता है.
पोटैशियम के और बेहतर स्रोत हैं- सूखे मेवे, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, नट्स, बीज, दूध और दही, दालें और मछली.
डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं कि पोटैशियम को बैलेंस करने के लिए ज़रूरी है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा फल और सब्ज़ियों को इस्तेमाल करें.
नारियल पानी, संतरा, केला, चुकंदर, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में यह आसानी से मिलता है. यह क़रीब सभी फलों और सब्ज़ियों में पाया जाता है.
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ज़्यादातर लोगों के लिए 3,700 मिलीग्राम या उससे कम पोटैशियम सप्लीमेंट लेना सुरक्षित माना जाता है.
लेकिन बुज़ुर्ग और किडनी रोगियों को इन्हें (सॉल्ट सब्स्टीट्यूट्स समेत) डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए.
दरअसल, उनकी किडनी अतिरिक्त पोटैशियम को आसानी से बाहर नहीं निकाल पाती.
डॉ. अदिति शर्मा इस बात की सलाह देती हैं कि बिना किसी डॉक्टर या फिर आहार विशेषज्ञ की अनुमति के इसे अतिरिक्त मात्रा में नहीं लेना चाहिए. अगर कोई रोज़ाना मौसमी सब्ज़ियों और फलों का सेवन कर रहा है तो उसे उचित मात्रा में यह मिलता रहता है. इसके लिए अतिरिक्त रूप से सप्लीमेंट लेने की ज़रूरत बिलकुल भी नहीं है.
क्या स्पोर्ट्स ड्रिंक में पोटैशियम ज़रूरी है?पसीने से बहुत कम मात्रा में पोटैशियम निकलता है. वर्कआउट के बाद इसकी भरपाई के लिए प्राकृतिक विकल्प बेहतर हैं.
आप टमाटर का जूस पी सकते हैं, जिसमें एक गिलास में लगभग 460 मिलीग्राम पोटैशियम होता है.
इसके अलावा छिलके सहित बेक किया आलू भी अच्छा विकल्प है. इससे न सिर्फ़ पोटैशियम मिलता है, बल्कि इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर की ऊर्जा भी वापस ला देते हैं.
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- रोज़ाना पाँच तरीक़े से फल और सब्ज़ियां खाएं. (जैसे नाश्ते में एक फल, लंच में एक फल और एक सब्ज़ी, डिनर में दो सब्ज़ियां.)
- हर दिन तीन डेयरी प्रोडक्ट शामिल करें. (दूध वाली कॉफ़ी, सलाद पर चीज़ या दही)
- हफ़्ते में दालें और फलियां ज़रूर खाएं.
- स्नैक के लिए ड्राई फ्रूट, नट्स और सीड्स को चुनें.
- सब्ज़ियां उबालने के बजाय स्टीम, स्टर-फ्राई या माइक्रोवेव करें.
- लंच या डिनर के साथ सलाद ज़रूर खाएं, कच्ची सब्ज़ियां पोटैशियम का अच्छा स्रोत हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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