भारत समेत लगभग सभी दक्षिण एशियाई देशों की रसोई में हल्दी का इस्तेमाल होता है और अक्सर इस तरह के दावे किए जाते हैं कि हल्दी खाने के कई फ़ायदे हैं.
आपको इंटरनेट से लेकर अख़बार और अलग-अलग पत्रिकाओं में हज़ारों ऐसे लेख मिल जाएंगे, जिनमें हल्दी को सीने में जलन, अपच और डाइबिटीज़, डिप्रेशन, अलज़ाइमर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए फायदेमंद बताया जाता है.
यहां तक कि कुछ लेखों में बताया जाता है कि हल्दी से कैंसर का भी इलाज संभव हो सकता है.
हल्दी न केवल खाने में इस्तेमाल की जाती है बल्कि इसे त्वचा के लिए भी इसे काफ़ी फ़ायदेमंद बताया जाता है.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिएयहाँ क्लिककरें
हल्दी पर हो चुके हैं कई रिसर्चहल्दी पर सैकड़ों अध्ययन हो चुके हैं. माना जाता है कि इसमें मौजूद एक यौगिक इसके औषधीय गुणों के लिए ज़िम्मेदार है. यह है- करक्यूमिन.
करक्यूमिन के कारण ही हल्दी का रंग पीला होता है. हल्दी को आम तौर पर एक चमकीला पीला मसाला माना जाता है.
यह अदरक के परिवार का मसाला होता है. इसकी खेती दुनियाभर के कई गर्म इलाक़ों में की जाती है.
लंबे समय से हल्दी का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत से जुड़े फ़ायदों के लिए किया जा रहा है.
हल्दी का उपयोग सैकड़ों साल से भारत और चीन जैसे कई देशों में त्वचा रोग, श्वास संबंधी समस्याओं, जोड़ों के दर्द और पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है.
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के मुताबिक़ हल्दी के सेवन से कई तरह के फ़ायदे हैं और मंत्रालय ने इसकी एक लंबी सूची भी दी है.
चूहों पर हुए प्रयोग में पाया गया था कि करक्यूमिन की काफ़ी अधिक मात्रा उनमें कई तरह के कैंसर को बढ़ने से रोकने में सफल रही.
- सही आम की क्या पहचान होती है?- फ़िट ज़िंदगी
- ज़िंक क्या है और हमारे शरीर को इसकी ज़रूरत क्यों होती है?
- विटामिन की एक गोली रोज़, क्या डॉक्टर से बचा सकती है?
चूहों पर ही किए गए अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन से सिरोसिस यानी लीवर की बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
ब्रितानी मेडिकल जर्नल 'गट' में यह अध्ययन प्रकाशित भी किया गया है.
ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक अपने अध्ययन में यह पता लगाना चाहते थे कि करक्यूमिन लीवर की बीमारियों को कुछ समय के लिए टाल सकता है या नहीं. इन स्थितियों में प्राइमरी स्क्लेरोसिंग और प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस प्रमुख हैं.
इन दोनों स्थितियों में लीवर को कई तरह का नुक़सान पहुँच सकता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि इससे घातक लीवर सिरोसिस तक हो सकता है.
इस अध्ययन के प्रमुख ऑस्ट्रिया के ग्राज़ में मौजूद चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी और हेपोटोलॉजी (लीवर का अध्ययन) के माइकल टर्नर थे.
इसके पहले हुए अध्ययनों में कहा गया था कि हल्दी अपने एंटी-इनफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण कुछ रोगों से आसानी से लड़ सकता है.
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद मांगने में क्यों हिचकिचाते हैं पुरुष
- अकेलापन या अकेले रहने में से आपके लिए क्या फ़ायदेमंद है?
- लगातार तनाव लेने से आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है?

लेकिन हल्दी में दो-तीन फ़ीसदी ही करक्यूमिन होता है और जब हम इसे खाते हैं तो उतनी भी मात्रा में ये हमारे शरीर में अवशोषित नहीं होती.
हालांकि लिखित अध्ययनों में बहुत कम जगह ये बताया गया है भोजन में हल्दी की सामान्य मात्रा कितनी होनी चाहिए.
बेंगलुरु की डॉक्टर और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आत्रेय निहारचंद्रा कहती हैं, "हल्दी पर कई तरह के रिसर्च किए गए हैं. किसी भी स्टेज के कैंसर पेशेंट को हम एनिमल प्रोडक्ट्स या डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं देते हैं. उन्हें सब्ज़ियां या फल देते हैं. ऐसे पेशेंट के लिए हल्दी जर्म्स को मारने और पाचन क्रिया को ठीक रखने में मददगार है."
उनका कहना है, "भारतीय खाने में आम तौर पर हल्दी मिलाई जाती है क्योंकि यह पाचन में मदद करती है. हल्दी प्रदूषण की वजह से शरीर पर होने वाले असर से लड़ने में मदद करती है. दुनिया के कई देशों में हल्दी रोज़ाना के भोजन में नहीं मिलाया जाता है, तो वो इसके बदले हल्दी के टैबलेट लेते हैं.
डॉक्टर आत्रेय निहारचंद्रा बताती हैं, "आमतौर पर एक टी-स्पून हल्दी या आठ ग्राम तक हल्दी रोज़ाना लेना सुरक्षित होता है."
वो समझाती हैं, "अगर इसे और सूक्ष्मता से देखें तो शरीर के एक किलोग्राम वज़न के लिए 1.4 मिलीग्राम हल्दी का रोज़ाना इस्तेमाल करना चाहिए. यानी अगर किसी का वज़न 60 किलोग्राम है तो वह 8.4 ग्राम के क़रीब हल्दी का सेवन कर सकता है."
भारत में शादियों में भी इस तरह की रस्में होती हैं जिनमें हल्दी का इस्तेमाल होता है. हल्दी के गुणों के कारण यह कई ब्यूटी प्रोडक्ट में भी मिलाया जाता है.
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर सीमा गुलाटी कहती हैं कि हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. जिसकी वजह से ये कई तरह के स्किन इन्फ़ेक्शन में भी फायदेमंद है.
- एक सेब रोज़ खाओ और डॉक्टर से दूर रहो वाली कहावत में कितना दम है
- दिमाग़ तेज़ करने वाली ये ख़ुराक किन चीज़ों से मिलती है?
- एंग्ज़ाइटी क्या है और इससे कैसे पार पाया जा सकता है?
आमतौर पर परंपरागत तरीके से उचित मात्रा में हल्दी का सेवन सुरक्षित होता है. हालांकि खाने में हल्दी की अत्यधिक मात्रा या इसके ज़्यादा टैबलेट खाने का बुरा असर भी हो सकता है.
ज़्यादा हल्दी खाने से उबकाई, वोमिटिंग, एसिड रिफ्लक्स (सीने और गले में जलन), पेट ख़राब होना, डायरिया या कब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है.
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर सीमा गुलाटी कहती हैं, "किसी को व्यक्तिगत तौर पर हल्दी से कोई समस्या हो तो ये अलग बात है, लेकिन हल्दी को अगर तय मात्रा में लिया जाए तो इसका कोई नुक़सान अब तक सामने नहीं आया है."
करक्यूमिन के ख़ून पर असर और एस्पिरिन के साथ इसके इस्तेमाल के संभावित नतीजों पर भी कई शोध हुए हैं.
सीमा गुलाटी का कहना है, "ज़्यादा मात्रा में लेने से कभी-कभी गैस्ट्रिक जैसी समस्या या एस्पिरिन जैसा असर देखा जा सकता है."
डॉक्टर आत्रेय के मुताबिक़ जो लोग एस्पिरिन जैसी दवा लेते हैं उन्हें हल्दी न लेने की सलाह दी जाती है या ब्लड थिनिंग की समस्या वाले लोगों को भी हल्दी न लेने की सलाह दी जाती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, और व्हॉट्सऐप पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
- क्या गर्मियों में ज़्यादा अंडे खाने से कोलेस्ट्रॉल और वज़न बढ़ सकता है? - फ़िट ज़िंदगी
- गर्मियों में सिर्फ़ ज़्यादा पानी पीने से नहीं चलेगा काम, इन बातों का भी रखें ध्यान
- अंकुरित आलू, प्याज और लहसुन खाने चाहिए या नहीं?
- फल या फ़्रूट जूस: किससे है ज़्यादा फ़ायदा और डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए क्या सही? - फ़िट ज़िंदगी
You may also like
किवाड़ नदी में नहाने गए रूपवास के दो किशोरों की डूबने से मौत
वाराणसी नगर निगम 15 अगस्त तक पूरे शहर में विशेष महा सफाई अभियान चलाएगा
राज्य स्तरीय महिला हैण्डबाल एवं बास्केटबाल प्रतियोगिता का शुभारम्भ
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस : हरित भविष्य के लिए लें संकल्प, सुनें प्रकृति की पुकार
पीएम मोदी ने आदि तिरुवथिरई महोत्सव में लिया हिस्सा, स्थानीय लोगों ने जताई खुशी