'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान नौ मई की रात अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस से फ़ोन पर क्या बात हुई थी, उसका ज़िक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में किया.
उन्होंने कहा, "नौ मई की रात को अमेरिकी उप राष्ट्रपति एक घंटे से बात करने की कोशिश कर रहे थे. बाद में मैंने उन्हें फोन किया कि आपका तीन-चार बार फ़ोन आया था."
"उन्होंने मुझसे कहा कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है. मेरा जवाब था- अगर पाकिस्तान का ये इरादा है तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा और हम उससे भी बड़ा हमला करके जवाब देंगे."
हमने पहले कहा था, "हम गोली का जवाब गोले से देंगे. दस मई की सुबह तक हमने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को तहस-नहस कर दिया. यही हमारा जवाब था और यही हमारा जज्बा था."
इससे पहले, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी को ट्रंप के सीज़फ़ायर के दावों पर घेरा था और संसद में इस पर बयान देने की चुनौती दी थी.
राहुल गांधी ने कहा, "ट्रंप ने 29 बार सीज़फ़ायर कराने का श्रेय लिया, अगर वो झूठ बोल रहे हैं तो अगर पीएम मोदी के पास इंदिरा गांधी का 50 प्रतिशत भी साहस हो तो वो बोलें कि ऐसा नहीं था. अगर पीएम में दम है तो बोलें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं."
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मोदी के जवाब पर हंगामापीएम मोदी ने कहा, "आज पाकिस्तान जान गया है कि भारत का हर जवाब पहले से ज्यादा तगड़ा होता है. उसे ये भी पता है कि भविष्य में नौबत आई तो भारत आगे कुछ भी कर सकता है."
पीएम मोदी ने साफ़ लफ़्जों में कहा कि 'दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा.'
इस पर विपक्षी की ओर से ज़ोरदार हंगामा शुरू हो गया.
पीएम मोदी ने कहा, "लोकतंत्र के इस मंदिर में मैं फिर से कहना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है. पाकिस्तान ने अगर दुःसाहस की कोशिश तो उसे करारा जवाब मिलेगा."
उन्होंने कांग्रेस पर मुद्दों के लिए पाकिस्तान पर निर्भर होने का आरोप लगाया. इसके बाद एक बार फिर विपक्षी बेंच की ओर सांसद खड़े होकर हंगामा करने लगे.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए उस पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री ने शाम क़रीब साढ़े छह बजे जब भाषण शुरू किया तो कहा, "जिन्हें भारत का पक्ष नहीं दिखता है उन्हें मैं आईना दिखाने के लिए खड़ा हुआ हूं."
इसके बाद उन्होंने कहा, "दुनिया में किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा में कार्रवाई करने से रोका नहीं है."
"क्वाड हो, ब्रिक्स, फ़्रांस, रूस, जर्मनी समेत तमाम देशों की ओर से भारत को समर्थन मिला है. लेकिन मेरे देश के वीरों के पराक्रम को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला."
पीएम मोदी ने कहा, "तीन चार दिन बाद ही कांग्रेस कहने लगी, 'कहां गई छप्पन इंच की छाती, कहां खो गया मोदी, मोदी तो फेल हो गया.' वे मजा ले रहे थे. पहलगाम में लोगों की हत्या में भी वे अपनी स्वार्थी राजनीति तलाश रहे थे और मुझ पर निशाना साध रहे थे."
इसके बाद विपक्षी बेंचों की ओर से फिर हंगामा शुरू हो गया. लोकसभा अध्यक्ष को पीएम मोदी के भाषण के बीच विपक्षी दलों को नसीहत देनी पड़ी.
प्रधानमंत्री ने कहा "22 अप्रैल का बदला, हमारी सेना ने 22 मिनट में निर्धारित लक्ष्य के साथ ले लिया."
उन्होंने कहा, "पहली बार ऐसा हुआ कि भारत की ओर ऐसी रणनीति बनी कि जहां हम पहले कभी नहीं गए, हम पहुंचे. पाकिस्तान के कोने-कोने में आतंकी अड्डों को धुआं-धुआं कर दिया. बहावलपुर, मुरीदके को भी ज़मींदोज़ कर दिया."
"ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने आत्मनिर्भर भारत की ताक़त को पहचाना. मेड इन इंडिया ड्रोन और मिसाइल ने पाकिस्तान की पोल खोल कर रख दी."
सीडीएस की नियुक्ति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "नेवी, आर्मी, एयरफ़ोर्स- तीनों सेनाओं का तालमेल, इसने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए."
पीएम मोदी ने कहा, "सिंदूर से लेकर सिंधु तक भारत ने कार्रवाई की है. आतंकी आका समझ गए हैं कि इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी."
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के मुख्य बिंदु-
- बैठक में मैंने साफ़ निर्देश दिया कि आतंकवाद का करारा जवाब देना होगा, ये हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. हमें हमारे सैन्य बलों की क्षमता, सामर्थ्य, साहस पर भरोसा है.
- सेना को खुली छूट दी गई और ये भी कहा गया कि सेना तय करे कि कब कहां कैसे कार्रवाई करनी है.
- पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी सेना को अंदाज़ा लग चुका था कि भारत कोई कड़ी कार्रवाई करेगा. परमाणु हथियारों की धमकी भी आनी शुरू हो गई.
- भारत ने छह मई की रात और सात मई की सुबह कार्रवाई की और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया.
- भारत ने सिद्ध कर दिया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग न तो चलेगी और न भारत इसके सामने झुकेगा. भारत ने पाकिस्तान के सीने पर सटीक प्रहार किया.
- पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया और आज भी उसके कई एयरबेस आईसीयू में हैं.
- ये न्यू नॉर्मल है कि अगर आतंकी हमला हुआ तो अंदर तक हमला करेंगे.
- आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंकी आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे.
- न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग नहीं चलेगी और न ही भारत इसके सामने झुकेगा.
'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सीज़फ़ायर कराने के दावों पर सरकार को घेरा.
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रंप के सामने तन कर खड़े होने की चुनौती दी.
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने एयरफ़ोर्स के हाथ बांध दिए थे, जबकि सरकार के पास लड़ने की इच्छा शक्ति नहीं थी.
उन्होंने कहा, "ट्रंप ने 29 बार सीज़फ़ायर कराने का श्रेय लिया, अगर वो झूठ बोल रहे हैं तो अगर पीएम मोदी के पास इंदिरा गांधी का 50 प्रतिशत भी साहस हो तो वो बोलें कि ऐसा नहीं था. अगर पीएम में दम है तो बोलें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं."
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक भी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की यानी पूरी दुनिया ने भारत को पाकिस्तान की बराबरी पर रखा."
"पहलगाम के मास्टरमाइंड पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच किया और इस समय अमेरिकी कमांडर के साथ इस बात चर्चा कर रहे हैं कि आतंकवाद को कैसे रोका जाए."
उन्होंने कहा, "'कोई भी आतंकी हमला युद्ध का एलान है', इस नीति से आपने आतंकियों को अधिकार दे दिया कि जब युद्ध में घसीटना हो, एक हमला कर दो."
नेता प्रतिपक्ष ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान को अलग रखने की भारतीय विदेश नीति के प्रमुख आधार को आघात पहुंचाया गया है.
राहुल गांधी के भाषण के मुख्य बिंदु-
- दो चीजें हैं- राजनीतिक इच्छा शक्ति, फ़्रीडम ऑफ़ ऑपरेशन...1971 में राजनीतिक इच्छा शक्ति थी. दुनिया की महाशक्ति का सातवां बेड़ा हिंद महासागर में आ रहा था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में हमारा जो काम करना है वो पूरा करेंगे.
- 1971 में एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसर्पण किया और बांग्लादेश बना.
- दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर में भारत सरकार ने पाकिस्तान को बता दिया कि हमारे पास लड़ने की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं है, हम तनाव बढ़ाना नहीं चाहते.
- इंडोनेशिया में भारत के डिफ़ेंस अटैची शिवकुमार ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान के एयर डिफ़ेंस सिस्टम और सैन्य ठिकानों पर हमला न करने को कहा गया था.
- यही बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले दिन ही पाकिस्तान से कहा था. इसके बावजूद लड़ाकू पायलटों को भेज दिया गया.
- भारत सोच रहा था कि वह पाकिस्तान के साथ लड़ रहा है, लेकिन चीन उसके साथ बिल्कुल जुड़ गया था और पल पल की लाईव फीड दे रहा था. ये विदेश नीति की विफलता है कि दोनों देशों को एकजुट होने का मौका मिला.
इससे पहले लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक को लेकर सरकार को घेरा.
उन्होंने कहा, "रक्षा मंत्री राजनाथ के कल के लंबे भाषण में एक बात छूट गई कि बैसरन वैली पर्यटक स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी."
उन्होंने सरकार से पूछा कि पहलगाम हमले के बाद गृह मंत्री या खुफिया विभाग के किसी व्यक्ति का इस्तीफ़ा क्यों नहीं हुआ?
वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, "कुछ समय पहले सरकार कह रही थी कश्मीर में शांति है, वहां अमन चैन है, शांति का वातावरण है कश्मीर चलिए, सैर करिए. शुभम द्विवेदी की छह महीने पहले शादी हुई थी वो कश्मीर की बैसरन वैली पहुंचे थे."
पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों में शुभम द्विवेदी भी एक थे, जिन्हें उनकी पत्नी के सामने ही चरमपंथियों ने मार दिया.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में एक चरमपंथी हमला हुआ था, इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 25 पर्यटक थे और एक स्थानीय युवक.
प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा, "सिक्योरिटी क्यों नहीं थी, वहां एक भी सैनिक क्यों नहीं दिखा. क्या सरकार को ये मालूम नहीं था कि रोज़ वहां हज़ार से पंद्रह सौ पर्यटक जाते हैं. क्या मालूम नहीं था कि वहां पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते होकर जाना पड़ता है, अगर कुछ हो गया तो लोग क्या करेंगे."
उन्होंने कहा, "चिकित्सक या फ़र्स्ट एड का इंतज़ाम नहीं था. न सुरक्षा का इंतज़ाम था. ये लोग वहां सरकार के भरोसे गए थे, सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया."
प्रियंका गांधी ने कहा कि पहलगाम में सुरक्षा चूक पर मोदी सरकार चुप है. उन्होंने कहा कि नेहरू से लेकर उनकी माँ के आंसुओं तक मोदी सरकार ने सब कुछ कहा, लेकिन जिस पर कुछ कहने की ज़रूरत है- वो है पहलगाम की नाकामी.
प्रियंका ने कहा, "मेरी मां के आंसू की बात हुई है. मेरी मां के आंसू तब गिरे जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया. तब वो मात्र 44 साल की थीं. आज अगर मैं इस सदन में खड़ी हूँ और उन 26 लोगों की बात कर रही हूँ तो मैं इसलिए कर रही हूँ क्योंकि मैं उनका दर्द जानती हूँ, महसूस करती हूँ."
दरअसल, अमित शाह ने अपने भाषण में बाटला हाउस केस का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी पर निशाना साधा था. शाह ने सलमान खुर्शीद के एक वीडियो का हवाला देते हुए सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने 'आतंकवादियों' के लिए आंसू बहाए थे.

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इससे पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि 'वह ऑपरेशन महादेव पर सरकार को धन्यवाद नहीं दे रहे हैं. आखिर एनकाउंटर कल ही क्यों हुआ?'
इससे पहले भी गृह मंत्री अमित शाह के वक्तव्य के दौरान उन्होंने सवाल उठाए थे.
अखिलेश यादव ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष रोकने की घोषणा, सरकार की बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की ओर से किए जाने पर सवाल उठाए.
सपा प्रमुख ने पूछा, "सरकार कैसे झुक गई? सीज़फ़ायर के पीछे क्या कारण थे?"
उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 के हटने के बाद सरकार ने दावा किया था कि अब आतंकी हमला नहीं होगा, टूरिज़्म बढ़ेगा, लेकिन पहलगाम हमले में कोई सुरक्षा नहीं थी. ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर प्रचार निंदनीय है. ऑपेशन सिंदूर का होना ही सरकार की विफलता का प्रतीक है."
ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश में राजनीतिक डेलिगेशन भेजने पर भी सवाल उठाते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि 'डेलिगेशन में नाम देने का अधिकार राजनीतिक दलों का होता है.
चर्चा के पहले दिन क्या-क्या हुआवहीं 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा का पहला दिन था जिसकी शुरुआत देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.
उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान अगर फिर कोई हरकत करता है तो हम और भी कठोर कार्रवाई करेंगे. पाकिस्तान के मन में ग़लतफ़हमी थी, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर से दूर कर दिया. अगर कुछ बचा होगा तो उसे भी दूर कर देंगे."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "पाकिस्तान के साथ कोई संघर्ष नहीं है. यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. अगर कोई हमारी संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा."
राजनाथ सिंह ने कहा-
- हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं. हम आज भी कहते हैं कि समृद्ध पाकिस्तान हमारे हित में है.
- नरेंद्र मोदी सरकार का रुख़ स्पष्ट है- बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.
- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस चर्चा में भाग लिया और भारत-पाकिस्तन के बीच सीज़फ़ायर में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दावों को पूरी तरह से ख़ारिज़ कर दिया.
एस. जयशंकर ने कहा-
- 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
- 9 मई को अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर ये जानकारी दी कि अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है.
- 25 अप्रैल से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने तक, कई फोन कॉल और बातचीत हुईं. मेरे स्तर पर 27 कॉल आई, प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर लगभग 20 कॉल आई
- प्रधानमंत्री ने अपने जवाब में यह स्पष्ट कर दिया कि अगर ऐसा कोई हमला होता है, तो हमारी ओर से इसका उचित जवाब दिया जाएगा.
- सीमा पार आतंकवाद की चुनौती जारी है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने भारत का एक चेहरा पेश किया है.
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दूसरी ओर विपक्ष ने सीज़फ़ायर कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए. इस दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत के बयानों की चर्चा रही.
गौरव गोगोई ने कहा, "हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं, हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज भी सरकार के साथ हैं, लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए. हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पूरे घटनाक्रम की जानकारी देंगे."
"हम सब एकजुट हुए और पूरा समर्थन पीएम मोदी को दिया. पूरा देश पीएम मोदी जी के साथ था लेकिन 10 मई को सूचना आती है कि सीजफ़ायर हो गया. क्यों हुआ? पहले 21 टार्गेट चुने गए थे और फिर नौ क्यों हुए?"
"पाकिस्तान वास्तव में अगर घुटने टेकने के लिए तैयार था, तो आप क्यों रुके, आप क्यों झुके. किसके सामने आपने सरेंडर किया?"
"अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि हमने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. आप बताइए कि कितने जेट गिरे?"
वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि "पानी और ख़ून एकसाथ नहीं बह सकते" और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई प्रतिबंध लगाए थे, तो 14 सितंबर को एशिया कप में भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कैसे खेलेगी?
उन्होंने कहा, ''जिन इंसानों को बैसरन की वादियों में मारा गया था. पाकिस्तान से ट्रेड बंद है. वहां के प्लेन यहां नहीं आ सकते. जल क्षेत्र में जहाज़ नहीं आ सकता है. आपका ज़मीर ज़िंदा क्यों नहीं है. किस सूरत से आप पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे.''
ओवैसी ने यह भी कहा कि उनका अपना ज़मीर भारत और पाकिस्तान के बीच वह क्रिकेट मैच देखने की इजाज़त नहीं देता.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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