दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के एक बाहरी इलाक़े में आधी रात बीत चुकी है. मेरा कुछ खाने का मन कर रहा है. मेरे अपार्टमेंट के उस पार एक नहीं, बल्कि तीन-तीन खाने-पीने की दुकानें हैं और ये 24 घंटे खुली रहती हैं.
मैं जिस दुकान में घुसा वहां आइसक्रीम मिलती है. दुकान के अंदर अलग-अलग क़िस्म की आइसक्रीम से भरे फ्रीजरों की क़तार सी है.
लेकिन दुकान में ना तो कोई गार्ड और ना ही कोई कर्मचारी. सारा सामान सलीके से रखा हुआ है. अंदर एक ऑटोमेटिक मशीन है जिस पर अपनी पसंद का सामान रखिए और जो भी पेमेंट डिसप्ले होती है, कर दीजिए.
यहां आइसक्रीम के अलावा स्टेशनरी, पेट फ़ूड और सुशी तक की दुकानें हैं. पर सभी कर्मचारी रहित हैं. इन दुकानों में कोई कर्मचारी नज़र नहीं आता.
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इतना ही नहीं, सोल के अंदरूनी भीड़भाड़ वाले इलाके में बार तक कर्मचारी रहित हैं. ऐसे ही एक कर्मचारी रहित बार 'सूल 24' के मालिक हैं किम सुंग-रे. सूल 24 का अर्थ है 24 घंटे.
किम कहते हैं, "इतने बड़े बार में मुनाफ़ा कमाने के लिए मुझे 12 से 15 कर्मचारियों की ज़रूरत पड़ेगी. लेकिन मैं यहाँ सिर्फ़ दो लोगों का इस्तेमाल करता हूँ."
इससे पहले किम नज़दीक ही एक और बार चलाते थे. लेकिन वहां उनकी कमाई अच्छी नहीं हो रही थी इसलिए उन्होंने कर्मचारी रहित बार चलाना शुरू कर दिया.
और अब मुनाफ़ा बढ़ता जा रहा है.
दक्षिण कोरिया में दशकों की कम जन्म दर और बढ़ती तनख़्वाहों के कारण दुकानों में ऑटोमेशन का प्रचलन बढ़ रहा है.
दक्षिण कोरिया दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर वाले मुल्कों में शामिल है.
साल 2023 के आंकड़ों के अनुसार, यहाँ एक महिला की औसतन प्रजनन दर 0.72 तक गिर चुकी है.
एक स्थिर आबादी को बनाए रखने के लिए, प्रजनन दर कम से कम 2.1 होनी चाहिए. दक्षिण कोरिया में पिछली बार 1982 में इतनी प्रजनन दर थी.
कम बच्चे पैदा होने की वजह से लेबर मार्केट में काम करने वालों की संख्या लगातार घट रही है. साल 2000 के बाद से न्यूनतम मज़दूरी लगातार बढ़ रही है, फिर भी काम करने वाले नहीं मिल रहे.
बार चलाने वाले किम अब अपने कर्मचारियों को प्रतिघंटा करीब 600 रुपये ($7) देते हैं.
वह बताते हैं, "मैंने बिना कर्मचारियों वाला बार इसलिए बनाया क्योंकि यहां न्यूनतम मज़दूरी बढ़ती ही जा रही है. इस चुनौती से निपटने के दो ही तरीक़े हैं: रोबोट्स का इस्तेमाल और ऑटोमेशन."
रोबोट का इस्तेमाल महंगा पड़ता इसलिए किम ने कर्मचारी रहित बार का आइडिया चुना. कोविड महामारी ने ऑटोमेशन के रुझान को और प्रोत्साहित किया.

कुछ लोग कहते हैं कि नई पीढ़ी तथाकथित "3D नौकरियां" नहीं करना चाहते हैं. यानि वे 'डर्टी, डेंजरस और डिफ़िकल्ट' कामों से गुरेज़ करते हैं.
ये पीढ़ी मैनुफ़ैक्चिरंग, खेती-बाड़ी और अब दुकानों में काम करना पसंद नहीं कर रही है.
चो जुंग-हुन दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ पार्टी पीपुल्स पॉवर के सदस्य हैं.
चो कहते हैं, "युवा पीढ़ी सिर्फ बड़े शहरों में काम करने की कोशिश करती है. और वे अपने स्वयं के व्यवसाय, उद्यम भी वहीं शुरू करना चाहती है. और नौकरी भी बढ़िया तनख़्वाह वाले हाई-टेक बिज़नेस में करना चाहती है."
"मैं अपनी युवा पीढ़ी को ऐसी प्राथमिकताओं के लिए दोषी नहीं ठहराता. आंकड़े बताते हैं कि हमें आने वाले सालों में काम करने वालों की घटती संख्या से निपटना होगा."
स्थानीय थिंक टैंक कोरिया इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट को उम्मीद है कि अगले 20 सालों में देश में 43% नौकरियां ऑटोमेशन का शिकार हो जाएंगी.
इसका मतलब ब्राउनी के सीईओ क्वोन मिन-जे जैसे लोगों के लिए आने वाले साल उम्मीदों भरे हैं. क्वोन एक ऐसी कंपनी चलाते हैं जो दुकानदारों के लिए ऑटोमेशन का काम करती है. उन्होंने 2022 में कोविड संकट के अंत में अपना व्यवसाय शुरू किया.
क्वोन कहते हैं, "हम कर्मचारी रहित आइसक्रीम स्टोर, किराने की दुकानें और कैफ़े तक का प्रबंधन करते हैं."
क्वोन कहते हैं कि दुकानें भले ही कर्मचारी रहित हो जाएं फिर भी उनमें सामान रखने और सफ़ाई करने की ज़रूरत होती है. शुरुआत में, दुकान मालिकों ने यह काम ख़ुद किया. अब क्वोन की कंपनी ऐसे कर्मचारी मुहैया कर रही है जो दुकानों का रख रखाव कर सकते हैं.
इस बारे में बात करते हुए क्वोन ने बताया, "हमारे कर्मचारी दिन भर कई स्टोर्स का दौरा करते हैं. मालिक हमें दुकानों के प्रबंधन के लिए हर महीने 100 या 200 डॉलर का अतिरिक्त भुगतान करते हैं."
क्वोन की कंपनी 100 से अधिक स्टोर्स का प्रबंधन करती है.
थोड़ी बहुत चोरियांदक्षिण कोरिया में चोरियां बहुत कम होती हैं. ऐसी दुकानों की सफलता का एक कारण ये भी है.
बार चलाने वाले किम कहते हैं, "ऐसे मामले भी आए हैं जब लोग भुगतान करना भूल गए हैं, लेकिन बाद में मुझे अपने बिल का भुगतान करने के लिए बुलाया. मैं बाक़ी दुकानों के बारे में नहीं जानता, लेकिन यहां आने वाले युवा लोग अपनी टेबल पर बेफ़िक्र होकर बटुआ और फ़ोन छोड़ देते हैं."
किम मानते हैं कि चोरी से नुकसान हो सकता है लेकिन वो इतना नहीं होगा कि उनका धंधा ही चौपट हो जाए.
वे कहते हैं, "मैं दरअसल इसकी परवाह नहीं करता. ऑटोमेशन के ज़रिए पैसे बचाने की लागत वैसे भी नुक़सान से अधिक है. और छिटपुट चोरी से निपटने के लिए गार्ड रखा तो उसकी लागत संभावित चोरी से अधिक होगी."
टक्नोलॉजी में होती प्रगति के कारण भविष्य में खुद चलने वाली कारें भी आम हो जाएंगी.
एक अनुमान के अनुसार दक्षिण कोरिया को 2% आर्थिक विकास दर बनाए रखने के लिए 2032 तक 890,000 से अधिक अतिरिक्त कर्मचारियों की ज़रूरत होगी.
(ये कहानी बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के कार्यक्रम के एक एपिसोड से ली गई है.)
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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