शकुंतला देवी के आँसू सूख चुके हैं. उनके पति मोहन साह का दाह संस्कार गुरूवार सुबह ही हुआ है.
शकुंतला धीमी आवाज़ में भोजपुरी में कहती हैं, “दारू के दुख न बा, आदमी के बा" यानी शराब से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आदमी के न रहने से है.
शकुंतला देवी जैसे और भी हैं, जो ज़हरीली शराब से मचे कोहराम की चपेट में आए हैं.
16 अक्तूबर से बिहार के सारण और सिवान ज़िले में ज़हरीली शराब पीने से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ था.
ये मौतें सारण के मशरख और सिवान के भगवानपुर हाट नामक ब्लॉक में हुई थीं.
इस मामले में बिहार के डीजीपी आलोक राज ने एक बयान ज़ारी करके इन मौतों की वजह ज़हरीली शराब बताई है. अभी तक 33 लोगों की मौत की पुष्टि की है.
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को इस मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा करके सभी बिंदुओं पर जाँच करने का निर्देश दिया है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिएशकुंतला देवी उनके पति मोहन साह को लेकर कहती हैं, “रात दारू पीकर आए थे, तो खाना नहीं खाया. सुबह 3 बजे (16 अक्तूबर) होते-होते बेचैनी महसूस हुई. कहने लगे कि दिख नहीं रहा है.”
उन्होंने बताया, “हम लोग पहले बाइक से, फिर गाड़ी की व्यवस्था करके अस्पताल पहुँचे. वहाँ डॉक्टर ने पटना रेफ़र कर दिया. लेकिन, रास्ते में उनकी मौत हो गई.”
बिहार में सिवान के दक्षिण सागर सुल्तानपुर पंचायत के माघर गाँव के रहने वाले मोहन साह मछली बेचते थे.
पाँच बच्चों के पिता मोहन अपनी कमाई का एक हिस्सा हर रोज़ शराब पर ख़र्च कर देते थे.
उनकी 11वीं पास बेटी प्रियंका ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “पापा रोज़ दारू पीकर आते थे. मम्मी के मना करने पर भी नहीं मानते थे. गाँव में पोखर (तालाब) के पास दारू बहुत आसानी से मिल जाती है.”
क्या है पूरा मामला? BBC बिहार के कुछ इलाक़ों में इस तरह के पाउच में मिलती है शराब.शकुंतला और प्रियंका, अपनों को खोने के जिस दर्द से गुज़र रही हैं, उससे फ़िलहाल बिहार के कई परिवार गुज़र रहे हैं.
बिहार के डीजीपी आलोक राज ने एक बयान ज़ारी करके बताया, “नौ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, जिसमें कुछ शराब माफ़ियाओं के नाम सामने आए हैं. इनके विरुद्ध सख़्त कार्रवाई की जाएगी.”
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा करके मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव और एडीजी (प्रोहिबिशन) को घटनास्थल पर जाकर सभी बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश दिया है.
ये भी पढ़ेंभगवानपुर हाट की सीता देवी अपने बेटे की पासपोर्ट साइज फ़ोटो में उसकी आंखें निहार रही हैं.
वो अपने बेटे मनोज की शराब पीने की लत से परेशान हैं. अब उनके बेटे की आँखों पर ही ख़तरा है.
वो बताती हैं, “रात को दारू पीकर आया और सो गया. हम लोगों को लगा कि नशे में सो गया है. लेकिन तबियत ख़राब हुई और वो कहने लगा कि आँख से दिख नहीं रहा है. हम लोगों ने डॉक्टर को बुलवाकर सुई लगवाई और सिवान अस्पताल ले गए. वहाँ से उसे पटना इलाज के लिए भेज दिया है.”
पेशे से पेंटर मनोज के दो बच्चे हैं.
सीता बताती हैं, “बोलते-बोलते थक गए, लेकिन वो दारू छोड़ता ही नहीं, उल्टे गाली देता था. उसकी आँखें नहीं रहेंगी, तो हम बूढ़ा-बूढ़ी को ही उसका परिवार ढोना पड़ेगा.”
सीता के घर से कुछ दूरी पर सुनरदेव राय का घर है. जहाँ स्थानीय लोगों की बैठकी जमी है. ये सभी सुनरदेव से मिलने आए हैं. वो गुरूवार सुबह अस्पताल से लौटे हैं.
सुनरदेव राय बताते हैं, “एक पॉलीथिन पी लिया था बस. लेकिन, शराब से मरने वाली मौत होने लगी तो अस्पताल ले जाकर दो बोतल पानी चढ़वा दिया गया है. रात भर रखा और सुबह सरकारी अस्पताल ने छोड़ दिया.”
ये भी पढ़ेंसुनरदेव राय के घर के बाहर जिन लोगों की भीड़ लगी है, उनमें अधिकांश लोग मज़दूर और उनकी पत्नियाँ हैं.
इनमें से शराब पीने वाले लोग बीबीसी को नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं, “साल 2016 में दारू 50 रुपए में 400 एमएल मिलती थी, अब तो चोरी छिपे बिकने के चलते 50 रुपए में सिर्फ़ 100 एमएल मिलती है. दारू बंद नहीं है. होम डिलीवरी होती है.”
बीबीसी ने उस पाउच को भी देखा, जिसमें दारू बिकती है. ये एक सफेद पन्नी होती है, जिसको सिर्फ़ हाथ से गांठ बांधकर पैक कर दिया जाता है.
यहाँ मौजूद कबूतरी देवी कहती हैं, “सारे लोग काम करके आते हैं और घर आने के बजाए बाहर से ही दारू पीकर आते हैं. मना करने पर लड़ाई-झगड़ा, मारपीट करते हैं.”
दक्षिण सागर सुल्तानपुर पंचायत से करीबन तीन किलोमीटर दूर कौड़िया पंचायत के मुसहर टोले में लोग दाह संस्कार के लिए लकड़ी का इंतज़ाम कर रहे हैं.
इस टोले से पाँच लोगों की मौत हुई है, जिनमें दो औरतें भी शामिल हैं.
एक मृत औरत के पति बीबीसी से कहते हैं, “हम तो बाहर कमाने गए थे, यहाँ औरत ने दारू पी लिया तो हम क्या करे?”
भगवानपुर हाट ब्लॉक के प्रमुख हरेंद्र पासवान बताते हैं, “हमारे ब्लॉक में कौड़िया, दक्षिण सागर सुल्तानपुर, सोनधानी पंचायत प्रभावित हुए हैं. कौड़िया के मुसहर टोली खैरवा में पांच, वैस टोली में तीन, कौड़िया तख़्त में दो, खैरवां पटेल टोला में तीन आदमी की मौत हुई है. इसी तरह, दक्षिण सागर सुल्तानपुर में आठ और सोनाधानी पंचायत में तीन मौत हुई है.”
सिवान के ज़िलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता बताते है, “हमारे यहाँ कुल 63 लोगों को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. इनमें से 30 लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. 13 को इलाज के लिए पटना रेफ़र किया गया है.”
लेकिन राज्य में शराबबंदी के बावजूद शराब गाँव में खुले आम कैसे मिल जाती है, इस सवाल के जवाब में सिवान जिलाधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते.
वो बस इतना कहते हैं, "वर्तमान में जो घटना हुई है उसके फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज का पता लगा लिया गया है. इस मामले में लगातार छापेमारी की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
ये भी पढ़ेंबिहार के डीजीपी आलोक राज ने सारण में 4 लोगों की ज़हरीली शराब से मौत की पुष्टि की है.
लेकिन, सारण ज़िलाधिकारी अमन समीर ने पाँच मौतों की पुष्टि की है.
उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदी और स्थानीय पुलिस ने घर-घर जाकर 31 प्रभावित लोगों की पहचान की थी, जिनमें से 12 स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं, 14 इलाजरत हैं और पाँच की मौत हुई है.”
गौरतलब है कि साल 2022 में भी मसरख और भगवानपुर में ज़हरीली शराब से लोगों की मौत हुई थी.
ज़िलाधिकारी अमन समीर बताते हैं, “हम लोगों ने शराब की ख़ाली पाउच में बची ड्रॉपलेट्स का भी परीक्षण करवाया है और उसमें 80 फ़ीसदी मिथाइल अल्कोहल मिला है.”
बीबीसी ने इस संबंध में पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टर अंकित कुमार से बात की.
उन्होंने बताया, “अल्कोहल की जब बात करते हैं तो मुख्यत: ये मिथाइल अल्कोहल और इथाइल अल्कोहल है. इथाइल अल्कोहल जब शरीर में जाता है, तो उसका एब्सॉर्ब्शन लीवर के ज़रिए होता है और किडनी उसे पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकालती है. लेकिन मिथाइल अल्कोहल को पचाने वाले एन्जाइम हमारे शरीर में नहीं हैं, जिसके चलते अगर हमारी बॉडी में 30 से 40 एमएल भी ये चला जाए तो अंधापन, पेट फूलना और मौत तक हो जाती है.”
ये भी पढ़ेंसिवान और सारण में हुई इन मौतों के बाद बिहार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के लोगों से शराब नहीं पीने की अपील की है.
वहीं, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शराबबंदी के बावजूद अगर हर चौक-चौराहे और नुक्कड़ पर उपलब्ध है, तो क्या ये गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है.
बिहार में पूर्ण शराबबंदी साल 2016 से ही लागू है. लेकिन थोड़े-थोड़े अंतराल पर ज़हरीली शराब से मौत की घटनाएँ राज्य में होती रही हैं.
ग़ैर-क़ानूनी तीरक़े से राज्य में उपलब्ध हो रही शराब को प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव 20,000 करोड़ की पैरलल इकोनॉमी कहते रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी भी शराबबंदी क़ानून पर सवाल उठाते रहे हैं.
वहीं, बीते दो अक्तूबर को अपनी पार्टी बना चुके प्रशांत किशोर के मुताबिक़, “शराबबंदी बिहार में लागू ही नहीं है. ये सिर्फ़ सरकारी फाइल में है. घर-घर में शराब बिक रही है.”
प्रशांत किशोर पहले ही अपनी पार्टी जनसुराज के सत्ता में आने पर शराबबंदी ख़त्म करने का वायदा कर चुके हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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